विश्व में शीर्ष यूनिवर्सिटी की रैकिंग में फिसलने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी -के) स्वयं में संरचनात्मक बदलाव ला रहा है। इनमें विदेशी छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी करने के उपाय भी शामिल हैं। आईआईटी -के समुदाय के लोगों का स्पष्टï तौर पर मानना है कि निचली रैकिंग वास्तविक अकादमिक और अधोसंरचना सुविधाओं का परिचायक नहीं है, बल्कि यह संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक चीजों से जुड़ी हुई है, जो जमीनी सच्चाई के सही आकलन को प्रभावित करती हैं। मिसाल के तौर पर मोटे तौर पर 6,500 छात्रों में आईआईटी-के में विदेशी छात्रों की संख्या महज 34 है, जो एक प्रतिशत से भी कम है। इससे संस्थान को एक वैश्विक यूनिवर्सिटी होने का गौरव प्राप्त नहीं हो रहा है। इन दिनों विदेशी छात्रों की संख्या किसी आधुनिक संस्थान के वैश्विक होने की आवश्यक शर्त है।
हालांकि कानून संस्थान को विदेशी छात्र के नामांकन की अनुमति नहीं देते हैं। यह बाधा पार करने के लिए आईआईटी-के समझौते के मसौदे के जरिये विदेशी छात्रों अपने परिसर में कम से कम तीन महीने तक रखना चाहता है ताकि उनकी गिनती उसके छात्रों में हो सके। आईआईटी-के ग्लोबल रैकिंग कमेटी के संयोजक प्रोफेसर संदीप वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमने संयुक्त डिग्री देने के लिए नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और मेलबर्न यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) के साथ समझौते किए हैं।' पिछले महीने जारी क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में आईआईटी-के 271वें स्थान पर रखा गया, वहीं 100 शीर्ष यूनिवर्सिटी की रैंकिंग यानी टाइम्स हाइअर एजुकेशन यूनिवर्सिटी एशिया रैंकिंग 2015 की सूची से यह बाहर हो गया। पिछले साल इस सूची में यह 100 के अंदर था। क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में भारत के दो संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) बेंगलुरु और आईआईटी दिल्ली शीर्ष 200 संस्थानों की सूची में क्रमश: 147वें और 179वें स्थान पर रहा।
हालांकि इंडिया टुडे ग्रुप-नील्सन बेस्ट कॉलेज के सर्वेक्षण में लगातार दूसरे वर्ष इसे सर्वश्रेष्ठï इंजीनियरिंग संस्थान माना गया। आईआईटी दिल्ली दूसरे स्थान पर रहा। आईआईटी-के की ग्लोबल रैंकिंग कमेटी की स्थापना रैंकिंग संगठनों से सहयोग करने और सही आंक ड़े मुहैया कराने के लिए की गई है। वर्मा ने कहा, 'पहले ये संगठन द्वितीयक या सेकंडरी डेटा लिया करते थे और हमारे साथ इसका सत्यापन भी नहीं करते थे। समाज में यूनिवर्सिटी की वैश्विक रैंकिंग के बाद यह श्रेष्ठï यूनिवर्सिटी का आकलन करने का मानदंड बन चुका है।' कमेटी में प्रोफेसरों का एक समूह पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करता है और विभिन्न पहलुओं में तार्किक बदलाव लाने के उपाय बताता है, ताकि आईआईटी-के भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सके। इसके साथ ही संस्थान शोध का बेहतर वातावरण तैयार करने के लिए कदम भी उठा रहा है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.