सरसों का भाव 5 हजार के पार | सुशील मिश्र / मुंबई October 13, 2015 | | | | |
सरसों का कम उत्पादन और त्योहारी मांग बढऩे के कारण इसके दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। वायदा कारोबार में पहली बार सरसों 5,000 रुपये प्रति क्ंिवटल को पार कर गई है। हाजिर और वायदा बाजार में बढ़ती मांग के कारण पिछले 20 दिनों में सरसों के भाव में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मांग और आपूर्ति में बढ़ते फर्क की वजह से सरसों के दाम में आगे भी तेजी बनी रहने की संभावना है।
एनसीडीईएक्स में सरसों अक्टूबर 4,940 रुपये, नवबंर अनुबंध 5,066 रुपये, दिसंबर अनुंबध 5,157 रुपये और जनवरी अनुबंध 5,188 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच गए। वायदा की तरह हाजिर बाजार में भी सरसों के दाम आसमानी रिकॉर्ड बना रहे हैं। हाजिर बाजार में औसतन दाम 5,050 रुपये प्रति क्ंिवटल बोले जा रहे हैं, हालांकि जयपुर मंडी में सरसों रिकॉर्ड 5,300 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच गई। हाजिर बाजार में 20 दिन पहले सरसों के दाम 4,200 रुपये प्रति क्ंिवटल बोले जा रहे थे।
बीकानेर उद्योग मंडल के प्रवक्ता पुखराज चोपड़ा ने कहा कि कम उत्पादन के कारण मांग के हिसाब से आपूर्ति कम है इसलिए दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। सरसों महंगाई के अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। इसके बावजूद कीमतें फिलहाल कम नहीं होंगी। क्योंकि नई फसल आने में अभी करीब 100 दिन लगेंगे, ऐसे में कीमतें बढ़ेगी, उनके अनुसार बाजार में मांग का यही हाल रहा तो इस साल सरसों 6,000 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच सकती है। सरसों के दाम बढऩे के कारण सरसों के तेल के दाम भी उबलने लगे हैं। हाजिर बाजार में 10 लीटर सरसों तेल का भाव 1,025 रुपये पर पहुंच गया है जबकि सोयातेल 635 रुपये प्रति 10 लीटर और पॉप 430 रुपये प्रति 10 लीटर चल रहे हैं।
गौरतलब है कि सरसों रबी सीजन की फसल है। बीते रबी सीजन में सरसों की फसल खराब होने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था। कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम फसल अनुमान के मुताबिक 2014-15 के रबी सीजन सरसों का उत्पादन 63.09 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था जो पिछले सात साल में सबसे कम उत्पादन अनुमान था। हालांकि कारोबारियों की संस्थाओं की रिपोर्ट में उत्पादन इससे भी कम बताया गया है। मोपा की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 सरसों का उत्पादन कम होकर 49 लाख टन रह गया जबकि इसके पहले साल 57.4 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था। उत्पादन कम होने के बावजूद सरसों खली का निर्यात ज्यादा हुआ है। सीईए आंकड़ों के मुताबिक सितंबर महीने में हो 60,211 टन सरसों खली का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल सामान्य अवधि में 49,788 टन खली का निर्यात हुआ था।
खाद्य तेल कारोबारियों के अनुसार तो वैश्विक स्तर पर मांग होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं और घरेलू बाजार में सरसों का स्टॉक भी पिछले साल की अपेक्षा कम है जिससे आने वाले समय में कीमतें और बढ़ेगी। घरेलू उत्पादन में कमी के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी इस साल सरसों का उत्पादन कम होने की खबरें आ रही हैं। जिससे कीमतें बढ़ रही हैं। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2015-16 में वैश्विक स्तर पर सरसों का उत्पादन 662 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि पिछले साल वैश्विक स्तर पर सरसों का उत्पादन 719 लाख टन हुआ था।
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