विवेट सुजन पिंटो और अर्णव दत्ता / नई दिल्ली October 09, 2015
कोका कोला की भारतीय इकाई ने देश को 2020 तक विश्व के पांच सबसे बड़े बेवरिज बाजार में शुमार करने के लिए एक खाका तैयार किया है। कोका कोला की बिक्री के लिहाज से भारत पिछले साल जर्मनी को पछाड़ कर छठा सबसे बड़ा बाजार बन गया था। लेकिन कंपनी अब इसे पांचवें सबसे बड़े बाजार के रूप में शुमार करना चाहती है। कंपनी ने देश में 5 अरब डॉलर (30,000 करोड़ रुपये) के निवेश के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए 2012 में ही इसकी योजना तैयार की थी।
भारत एवं दक्षिण पश्चिम एशिया के लिए कोका कोला के अध्यक्ष वेंकटेश किनी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से खास बातचीत करते हुए कहा कि कंपनी की निवेश योजना पहले से ही तैयार थी और बाजार परिदृश्य के मद्देनजर उसमें फेरबदल किया गया है। उन्होंने कहा, 'उपभोक्ताओं को एक चलन जो हम देख रहे हैं वह है उत्पादों को प्रीमियम बनाना।' उन्होंने कहा, 'देश में आर्थिक वृद्धि और धनी व शहरी उपभोक्ताओं के उदय से वास्तव में अंतरराष्टï्रीय स्तर के उत्पादों की मांग बढ़ी है। इसका एक उदाहरण कोक जीरो है जिसे हमने ग्राहकों की शून्य कैलोरी पेय की मांग पर लॉन्च किया था। कोक जीरो को यहां पेश करने से काफी पहले उसके लिए विदेश में फेसबुक पर हमें लाइक मिल रहे थे।'
फ्यूजे टी कोका कोला का एक अन्य अरब डॉलर का वैश्विक ब्रांड है जिसमें एक साथ चाय और फल का स्वाद मिलता है। प्रीमियम उत्पादों की मांग के संबंध में उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया के मद्देनजर इसे हाल में भारत में पेश किया गया है। अमेरिकी बेवरिज कंपनी की भारतीय इकाई अपने प्रीमियम उत्पादों के वितरण के लिए एक अलग चैनल स्थापित करने की भी तैयारी कर रही है। कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
करीब 15,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कोका कोला की भारतीय इकाई को कोला पेय बेचने के उसके प्रमुख कारोबार से अधिकांश राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान भारत के 13,000 से 14,000 करोड़ रुपये के सॉफ्ट-ड्रिंक का बाजार के विकास की रफ्तार सुस्त हुई है। इसी मंदी के मद्देनजर कोका कोला ने हाल में पिछले दशक में पहली बार अपने उत्पादन में कटौती की है।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रीमियम उत्पादों को बढ़ावा देने संबंधी कोका कोला की रणनीति कोला श्रेणी से अलग उत्पादों पर जोर देती है। किनी को ऐसा नहीं लगता है कि फिजी पेय की वृद्धि पूरी तरह सूख चुकी है। उन्होंने कहा, 'बेमौसम बारिश के कारण इस साल की गर्मी काफी खराब रही। देश के कुछ भागों में मॉनसूनी बारिश कम होने के कारण ग्रामीण मांग के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन विकास की गुंजाइश अब भी बरकरार है। यदि हम लगातार निवेश के जरिये वितरण नेटवर्क बढ़ाने और नए पैक के साथ बाजार में उतरने पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो वृद्धि की गुंजाइश अब भी बरकरार है।'
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