आईडीबीआई बैंक में सरकारी हिस्सेदारी घटाने के संकेत
बीएस संवाददाता / मुंबई September 28, 2015
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज फैसला लेने के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकारी दबाव से आजादी देने की वकालत की और कहा कि सरकार इस कोशिश मेंं जुटी है कि इन बैंकों में कार्मिक क्षेत्र से जुड़े सभी मसले का समाधान पेशेवर तरीके निकले। पिछले हफ्ते मंत्री ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि सरकार आईडीबीआई बैंक को और स्वायत्तता देना चाहती है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के लिए ऐक्सिस बैंक जैसे ढांचे पर विचार किया जा सकता है। जब ऐक्सिस बैंक ने कारोबार शुरू किया था तब इसका मालिकाना हक यूटीआई और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के पास था। मालिकाना हक पूरी तरह सरकारी क्षेत्र के पास था जबकि इसे निजी क्षेत्र के बैंक का लाइसेंस मिला और यह कंपनी अधिनियम के तहत प्रशासित होता है।
इस बयान के बाद आईडीबीआई बैंक 17 फीसदी उछल गया। इस मसले पर स्पष्टीकरण मांगे जाने पर जेटली ने कहा, जब सरकार फैसला लेगी तब हम आपको जानकारी देंगे। जेटली इंडियन बैंक एसोसिएशन की सालाना आम बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। बैंकरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 फीसदी करने की योजना बना रही है।
आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 76.5 फीसदी है, लेकिन यह बैंक राष्ट्रीयकृत बैंक नहीं है क्योंकि इसका गठन बैंक राष्ट्रीयकरण के बाद हुआ था और यह कंपनी अधिनियम से प्रशासित होता है जो अन्य सरकारी बैंकों पर लागू नहीं है। पी जे नायक की अध्यक्षता वाली समिति का गठन आरबीआई ने बैंकों के प्रशासन से जुड़े मसले के समीक्षा के लिए किया था। समिति ने सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसदी से नीचे करने का सुझाव दिया है और कहा है कि सरकारी बैंकों को भी कंपनी अधिनियम के दायरे में लाया जाना चाहिए।
कुछ सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है और यह कदम बैंकों को इक्विटी पूंजी जुटाने में सक्षम बनाएगा, जो उन्हें बेसल-3 नियम के तहत जरूरी है और डूबने वाले कर्ज के लिए प्रावधान की खातिर भी। सरकारी बैंकों के एनपीए में पिछले तीन साल में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्री हालांकि सिर्फ आईडीबीआई बैंक पर टिप्पणी नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि इन बैंकों को फैसला लेने के मामले में राजनीतिक दबाव से मुक्ति मिलनी चाहिए और उनका फैसला सिर्फ बैंंकिंग के गुण के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने एपी शाह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया हैै, जो सबसे अच्छी प्रतिभाओं की नियुक्ति के विकल्प तलाशेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अगले महीने दिवालिया संहिता के मसौदे जारी करेगी। बैंंकिंग नियामक ने जानबूझकर चूक करने वालों से निपटने के लिए ऐसे कानून की जरूरत पर जोर दिया है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.