पोषक खाद्य सामग्रियों पर गलत जानकारी देने से रोकने के मकसद से खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने नियमों का प्रस्ताव किया है। इसके तहत ऐसे उत्पादों को 'दवाओं' के रूप में बेचने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और अन्य पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली पर आधारित उत्पादों के लिए नियम बनाए हैं। नियामक ने इन पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली पर आधारित उत्पादों में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न अवयवों की अनुमति योग्य सीमा का भी प्रस्ताव किया है। एफएसएसएआई द्वारा जारी किए गए मसौदा आदेश के अनुसार, खाद्य अथवा 'हेल्थ सप्लीमेंट' के हर पैक के लेबल पर 'फूड' अथवा 'हेल्थ सप्लीमेंट' शब्द की सूचना होनी चाहिए, इस पर 'चिकित्सकीय उपयोग के लिए नहीं' वाक्य स्पष्टता के साथ लिखा रहना चाहिए।प्राधिकार द्वारा प्रस्तावित नए नियमों के तहत कंपनियां यह दावा नहीं कर सकतीं कि उसके विभिन्न उत्पाद और 'हेल्थ सप्लीमेंट' उत्पाद उपचारात्मक उद्देश्य के लिए हैं। एफएसएसएआई ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी तत्व आधारित उत्पादों में गाय का दूध, भैंस का दूध, ऊंट का दूध, घी, दही, मक्खन, शहद, सोना, स्वर्ण पत्र, चांदी, मोती के अधिकतम इस्तेमाल की मात्रा का भी प्रस्ताव किया है। यह सीमा प्रतिदिन इन तत्वों के अधिकतम इस्तेमाल के स्तर के आधार पर निर्धारित की गई है, जो आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी के आधार पर है। मसौदा प्रस्ताव पर विभिन्न हिस्सेदारों की राय लेने के बाद नियामक इन नियमों को अंतिम रूप देगा। एफएसएसएआई ने कहा है कि आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और अन्य परंपरागत भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के आधार पर खाद्य के जो फायदे दिखाए जाएं, व वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर होने चाहिए।
