उत्तराखंड सरकार 420 मेगावाट क्षमता वाली लखवर-व्यासी पनबिजली परियोजना को दो भागों में बांटने पर विचार कर रही है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने बहुउद्देशीय 300 मेगावाट क्षमता वाली लखवर परियोजना को एनएचपीसी को सौंपने पर सहमति जता दी है लेकिन 120 मेगावाट क्षमता वाली व्यासी परियोजना को देने से इनकार कर दिया है।
ये दोनों पनबिजली परियोजना यमुना नदी पर प्रस्तावित हैं, जो देहरादून जिले के लखवर क्षेत्र के आसपास है।
राज्य विद्युत सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया, 'हम लोग चाहते हैं कि व्यासी परियोजना का निर्माण हमारी एजेंसी ही करे।' उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में एक पत्र केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को शीघ्र ही भेजा जाएगा।
यह उम्मीद जाताई जा रही है कि राज्य की विभिन्न पनबिजली परियोजनाओं से 92.7 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा और इसके अलावा पूर्वी यमुना नहर के माध्यम से 40,000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई भी की जाएगी।
एनएचपीसी के अधिकारियों ने बताया कि दोनों परियोजनाओं को उन्हें ही दिया जाना चाहिए। अधिकारी ने बताया कि परियोजना से बिजली की लागत 8-10 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट अनुमानित की गई है
जो राज्य सरकार के लिए आर्थिक रुप से व्यावहारिक नहीं होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'परियोजना के निर्माण में उत्तराखंड सरकार से ज्यादा छूट एनएचपीसी को मिलेगी।'