छठे वेतन आयोग के प्रस्तावों के तहत कर्मचारियों को मुद्रास्फीति की बढ़ती दर से राहत मिल सकती है।
दरअसल, छेठ वेतन आयोग में सभी नियत भत्तों को मुद्रास्फीति के आधार पर तय किया जा सकेगा। आयोग ने सिफारिश की है कि जैसे ही महंगाई भत्ता 50 फीसदी बढ़ जाएगा, अन्य सभी भत्तों में भी खुद-ब-खुद वृद्धि हो जाएगी।आयोग ने परिवहन भत्ते को सालाना बढ़ाने की भी सिफारिश की है। यह वृद्धि महंगाई भत्ते के आधार पर तय की जाएगी।दरअसल, इस मापदंड का मकसद सरकारी कर्मचारियों को राहत देना और सभी भत्ते को व्यावहारिक बनाना है।
जोखिम भत्ते की निकासी के बारे में की गई आयोग की सिफारिश से मध्य व निम् श्रेणी के कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। आयोग ने इस बात की खुलकर सिफारिश की है कि जिस काम को करने से कर्मचारियों को जोखिम रहता है, उन्हें मुफ्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाए, साथ ही पीबी-1 श्रेणी के कर्मचारियों को पांच लाख रुपये तक जीवन बीमा कवर दिया जाए।
पीबी-2 श्रेणी के कर्मचारियों को सात लाख, जबकि पीबी-3 श्रेणी के कर्मचारियों को 10 लाख का जीवन बीमा कराया जाना चाहिए। अगर कार्य के दौरान हादसे में कर्मचारी गंभीर रूप से जख्मी हो जाता है या फिर उसकी मृत्यु हो जाती है, तो कर्मचारी या उसके आश्रितों पूरी बीमा राशि मिलेगी। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले अन्य लाभ भी उसे मिलेंगे।इसके साथ ही आयोग ने अतिरिक्त स्वास्थ्य जांच व प्रति तीन माह पर चिकित्सा जांच को जरूरी बनाने की सिफारिश भी की है, जो कर्मचारियों के हित में है।
सेबी में भी पगार मोटी
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से सिर्फ कर्मचारी ही नहीं, बल्कि विनियामक बोर्ड के अध्यक्ष व सदस्य भी लाभान्वित होंगे। दरअसल, छठे वेतन आयोग में इसकी सिफारिश की गई है कि भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड के अध्यक्ष का वेतन 3 लाख रुपये प्रति माह व इसके सदस्यों को 2.5 लाख रुपये प्रति माह देने की सिफारिश की गई है।
हालांकि इसमें शर्त यह है कि उन्हें कार व मकान नहीं उपलब्ध कराया जाएगा। दरअसल, वेतन वृद्धि का मकसद यह है कि विशेषज्ञ इस ओर आकर्षित हों। इसके साथ ही आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि इन पदों के लिए समाचार पत्रों के जरिए बाकायदा आवेदन आमंत्रित किए जाएं और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए।