सुधीर पाल सिंह और ज्योति मुकुल / नई दिल्ली May 10, 2015
भारतीय रेलवे की प्राथमिकता सूची में फिलहाल सबसे ऊपर क्षमता विस्तार करना है। क्षमता विस्तार की जरूरी परियोजनाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए सरकार विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के साथ बातचीत कर रही है, जिससे इसके लिए जरूरी रकम जुटाई जा सके। सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया कि रेलवे इसके लिए एक कंपनी बना सकता है। उन्होंने बताया, 'वित्त पोषण के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है। बातचीत चल रही है लेकिन हम इस साल आवंटन प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।' पिछले सप्ताह ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि एडीबी के साथ भारत की साझेदारी अगले स्तर तक जाएगी। एडीबी के 48वें वार्षिक सम्मेलन के पहले कारोबारी सत्र में जेटली ने कहा था कि भारत सरकार 'मेक इन इंडिया' और 'स्किल इंडिया' के तहत स्मार्ट सिटीज, औद्योगिक गलियारे व रेलवे की परियोजनाओं के लिए एडीबी के साथ साझेदारी मजबूत करेगी।
भारतीय रेलवे के अनुमान के अनुसार करीब 4.92 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं अटकी हुई हैं। बैंकों से प्राप्त होने वाली रकम में से लाइनों की डबलिंग करने, नई लाइनें बिछाने, गेज परिवर्तन, यातायात सुविधाओं और इलेक्ट्रिफिकेशन परियोजनाओं को तवज्जो दी जाएगी, जिस पर करीब 2.08 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर विभाजित कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उनके लिए पर्याप्त रकम उपलब्ध हो और उन्हें जल्दी पूरा करने पर ध्यान दिया जा सके। इसका सीधा असर लाइन की क्षमता पर पड़ेगा और इससे रेलवे को ज्यादा आय होगी व उसकी आस्तियों का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।
रेलवे ने प्राथमिकता के लिए करीब 1 लाख करोड़ रुपये की 77 परियोजनाओं की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर परियोजनाएं उन लाइनों का दोहरीकरण करने की हैं, जिन पर पूरी क्षमता के साथ परिचालन हो रहा है। इन परियोजनाओं को क्लस्टर के आधार पर लिया जाएगा और रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ मुलाकात हो चुकी है। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने अपने बजट भाषण में कहा था कि रेलवे अगले पांच साल में 8.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। इनमें से करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये ऋण के तौर पर जुटाए जाएंगे। अधिकारी ने बताया, 'मंत्रालय ऋण नहीं ले सकता है इसलिए हम आईआरएफसी या सार्वजनिक उपक्रमों के जरिये ऋण की व्यवस्था कर रहे हैं।' विश्व बैंक फिलहाल डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के 1800 किलोमीटर लंबे पूर्वी गलियारे के निर्माण के लिए वित्तीय मदद दे रहा है। जापान इंटरनैशनल को-ऑपरेशन एजेंसी डीएफसीसी के पश्चिमी गलियारे के लिए वित्त उपलब्ध करा रही है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.