लाभांश से बुनियाद को मजबूती | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली May 05, 2015 | | | | |
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने के मकसद से कई कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इन कदमों में 2015-16 के बजट में घोषित 20,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) के लिए वित्त का बंदोबस्त करना और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए रकम जुटाने का खाका तैयार करना शामिल है। और इन परियोजनाओं के लिए ज्यादातर रकम केंद्र और राज्यों से आने की उम्मीद है।
एनआईआईएफ के लिए वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा केंद्र को किए जाने वाले लाभांश के भुगतान का इस्तेमाल कर सकती है। ओएनजीसी और कोल इंडिया जैसी नकदी के भंडार पर बैठे सार्वजनिक उपक्रमों से सरकार को करीब 15,000 करोड़ रुपये लाभांश के तौर पर मिलेंगे, जिसे एनआईआई में लगाया जाएगा और करीब 5,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार की ओर से दिए जा सकते हैं।
सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'हम धनी सार्वजनिक उपक्रमों से लाभांश के तौर पर कररीब 15,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। यह नियमित लाभांश का हिस्सा होगा या उन्हें एनआईआईएफ के लिए विशेष लाभांश देने को कहा जा सकता है।' चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों से सरकार को 36,174 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान बजट में लगाया गया था।
उक्त अधिकारी ने कहा कि लाभांश से मिलने वाली रकम को साल की दूसरी छमाही में एनआईआईएफ में लगाया जा सकता है। एनआईआईएफ कोष का इस्तेमाल कर्ज जुटाने में इस्तेमाल किया जाएगा और इसके बदले में बुनियादी ढांचा वित्तीय कंपनियों, जैसे-भारतीय रेल वित्त निगम और राष्ट्रीय आवास बैंक में इक्विटी के तौर पर निवेश किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि 100 प्रस्तावित स्मार्ट सिटी और नई शहरी नवीकरण योजना के लिए ज्यादातर रकम केंद्र, राज्यों और सार्वजनिक उपक्रमों से आएंगे। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'आने वाले वर्षों में कुछ परियोजनाएं सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत या निजी इकाइयों की अगुआई में आ सकते हैं। इनमें ज्यादातर निवेश स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र सरकार द्वारा बजट आवंटन से होगा या शहरी निकायों द्वारा नगरपालिका बॉन्डों के जरिये जुटाए जाएंगे।'
पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने और शहरी नवीकरण मिशन के लिए अगले 5 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये निवेश की मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस रकम में इजाफा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में केंद्र और राज्य सरकार नेतृत्व की भूमिका अदा करेगी, क्योंकि कंपनियों के खाते पर बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण निजी भागीदारी हाल के वर्षों में कम हुई है। दिसंबर में मध्यावधि आर्थिक विश्लेषण में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणयन ने कहा था कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने से विकास को भी वृद्घि मिलेगी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'ऐसा प्रतीत होता है कि सार्वजनिक निवेश में सुधार वृद्घि को रफ्तार देने का मुख्य कारक हो सकता है और इसकी भरपाई निजी निवेश से नहीं की जा सकती, बल्कि निजी निवेश इसका पूरक भले ही हो सकता है।' इस विचार को 2014-15 की आर्थिक समीक्षा के साथ ही 2015-16 के बजट में भी समाहित किया गया।
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