हिंदुस्तान जिंक को मजबूत बिक्री से मिल रही मदद | उज्ज्वल जौहरी / April 26, 2015 | | | | |
हिंदुस्तान जिंक (एचजेडएल) ने मार्च 2015 में समाप्त तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया। कंपनी को बिक्री में अच्छी तेजी की वजह से मदद मिली है। मार्च तिमाही के दौरान एचजेडएल का खनन उत्पादन 269,000 टन पर रहा जो पिछली तिमाही के 200,000 टन और एक साल पहले की समान अवधि के 242,000 टन के मुकाबले बेहतर है। दूसरी तरफ, लंदन मेटल एक्सचेंज पर औसतन जस्ता कीमतें 2,087 डॉलर प्रति टन पर रहीं जो तिमाही आधार पर 7 फीसदी कम हैं लेकिन सालाना आधार पर 3 फीसदी तक अधिक हैं। सीसा कीमतों को लगातार दबाव का सामना करना पड़ा है और यह कीमत 1,803 डॉलर प्रति टन पर रही जो तिमाही आधार पर 10 फीसदी और सालाना आधार पर 14 फीसदी तक कम है। हालांकि चांदी की कीमतें तिमाही आधार पर मामूली 1 फीसदी चढ़ कर 37,099 रुपये प्रति किलोग्राम पर रहीं जो मार्च 2014 की तिमाही के मुकाबले 17 फीसदी की गिरावट है।
स्पष्टï है कि बेहतर बिक्री से कंपनी की कुल बिक्री सालाना आधार पर 13.5 फीसदी बढ़ कर 4,072 करोड़ रुपये हो गई जो ब्लूमबर्ग के 3,955 करोड़ रुपये के अनुमान की तुलना में बेहतर है। एबिटा 1,978 करोड़ रुपये पर रहा जो 1975 करोड़ रुपये के अनुमान से कुछ हद तक बेहतर है। अधिक कर खर्च (सालाना आधार पर 124 फीसदी तक बढ़ कर 535 करोड़ रुपये पर) रहा जिसमें आस्थगित कर और न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) शामिल थे। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान अधिक खनन उत्पादन की वजह से पहली छमाही में उत्पादन में कमी आई। इस वजह से वित्त वर्ष 2015 का सालाना उत्पादन 887,000 टन पर रहा जो वित्त वर्ष 2014 के 880,000 टन की तुलना में कुछ अधिक है।
वित्त वर्ष 2015 के लिए जस्ता राजस्व 11,096 करोड़ रुपये पर रहा और यह सालाना आधार पर 13 फीसदी बढ़ा जबकि सीसा का राजस्व 1,784 करोड़ रुपये पर रहा जो दो फीसदी बढ़ा। चांदी की बिक्री से प्राप्त राजस्व 1187 करोड़ रुपये पर रहा। हालांकि कमजोर कीमतों की वजह से सालाना आधार पर इसमें 21 फीसदी की कमी दर्ज की गई। कई खदानों के बंद हो जाने की वजह से भविष्य में जस्ते की कीमतें वित्त वर्ष 2015 की तुलना में बेहतर बनी रहेंगी। दरअसल, मार्च के मध्य के 2000 डॉलर प्रति टन के स्तर से चढ़ कर अब 2200 डॉलर पर पहुंच गई हैं। कई विश्लेषकों ने अनुमान जताया है कि जस्ते की औसतन कीमतें 2100-2200 डॉलर प्रति टन के दायरे में रहेंगी जो एचजेडएल के लिए सकारात्मक है। अन्य खदानों में सुधार की वजह से कंपनी के खनन धातु उत्पादन भी वृद्घि होने का अनुमान है। हालांकि रमपुरा अगूचा खदान का वित्त वर्ष 2016 के धातु खनन में लगातार मजबूत योगदान बना रहेगा लेकिन इस खदान से कुल उत्पादन वित्त वर्ष 2015 की तुलना में कम रहेगा। उत्पादन में अंतर मुख्य रूप से सिंडेसर खुर्द खदानों से अधिक बिक्री की वजह से दिखेगा, क्योंकि रजपुरा दरिबा और जेवार जैसी अन्य खदानों के उत्पादन से भी हालात में सुधार आएगा।
कुल मिलाकर, पांच वर्षों में (2020 तक), एचजेडएल का सालाना धातु खनन उत्पादन 12 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 18 में से 15 विश्लेषकों ने इस शेयर को 'खरीदारी' और 187 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ शेष विश्लेषकों ने 'बनाए रखें/एकत्रित करें' की रेटिंग दी है।
|