मुद्रा बैंक : एसएमई को लाभ नहीं | रामवीर सिंह गुर्जर / April 12, 2015 | | | | |
किराना कारोबारी मोनू मुद्रा बैंक द्वारा छोटे दुकानदारों को कर्ज देने की खबर सुनकर खुश हैं कि अब कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की उनकी जरूरत पूरी हो सकती है और उन्हें साहूकारों के महंगे कर्ज से छुटकारा मिल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रधानमंत्री मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट ऐंड रिफाइनैंस एजेंसी) योजना का उद्घाटन किया था। जिससे सूक्ष्म कारोबारियों को 50 हजार से 10 लाख रुपये तक कर्ज मिल सकेगा। यह कर्ज ग्रामीण और शहरी इलाकों में छोटी निर्माता इकाई, दुकानदार, फल-सब्जी बिक्रेता, हेयर कटिंग सलून, ब्यूटी पार्लर, ट्रांसपोर्टर, हॉकर्स, सहकारी संगठन, खाद्य सेवा इकाई, रिपेयर शॉप,मशीन ऑपरेटर, कलाकार, छोटे खाद्य प्रसंस्ककरणकर्ता, स्वसहायता समूह और सेवा मुहैया कराने वाले सूक्ष्म कारोबारी ले सकते हैं। हालांकि मुद्रा बैंक से थोक व्यापारी, छोटे व मझोले उद्यमी(एसएमई)को फायदा नहीं होगा।
मोनू ने कहा, 'मैं किराने का कारोबार और बढ़ाना चाहता हूं। लेकिन मेरे पास इसके लिए पैसा नहीं है। मैं असंगठित क्षेत्र में कारोबार करता हूं और मेरे पास बैंक के पास गिरवी रखने को कुछ नहीं है। इसलिए बैंक से कर्ज नहीं मिल पा रहा है। साहूकार से लेने पर कम से कम 24 फीसदी ब्याज देना होगा। जब मैंने सुना कि मोदी सरकार हमारे जैसे छोटे दुकानदारों को कर्ज देने के लिए कोई बैंक खोलने जा रही है, तब मुझे कर्ज लेकर कारोबार बढ़ाने की उम्मीद जगी है। लेकिन अभी मुझे यह पता नहीं है कि कर्ज कब से मिलना शुरू होगा, इसके क्या नियम होंगे, कितना ब्याज देना होगा? सरकार को इस बारे में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।'
10 लाख रुपये तक ही कर्ज मिलने के सवाल पर मोनू ने कहा कि हमारे जैसे छोटे दुकानदार के लिए 2-3 लाख रुपये कारोबार बढ़ाने के लिए पर्याप्त होते हैं। सैनी ऑटोमोबिल्स के राकेश सैनी भी सरकार की इस पहल को बड़ी राहत मानते हैं। सैनी ने कहा कि दो पहिया वाहनों की सर्विस व अन्य रिपेयरिंग करने वालों को भी बैंक कर्ज देने से परहेज करते हैं। कारोबार बढ़ाने के लिए हमें कर्ज की सख्त दरकार होती है। इसके अभाव में मौजूदा हालात से काम चलाना पड़ रहा है। अगर हमें 10 लाख रुपये तक का कर्ज मिल जाए तो हम अपनी दुकान पर ज्यादा लोगों को रखकर अधिक काम कर सकते हैं। दूसरी दुकान खोलने के बारे में भी सोचा जा सकता है। मुद्रा बैंक के साकार होने पर छोटे कारोबारियों को फायदा होने के साथ असंगठित क्षेत्र के बेरोजगारों को भी रोजगार मिलेगा।
उधर,एसएमई को मुद्रा बैंक से फायदा नहीं होने वाला है। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज(फिस्मे)के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि यह योजना असंगठित क्षेत्र, नॉन कॉरपोरेट के सूक्ष्म कारोबारियोंं के लिए है। जिन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिल पा रहा है। एसएमई के लिए 10 लाख रुपये तक का कर्ज कुछ भी नहीं होता है। इसलिए इसका फायदा एसएमई को नहीं होने वाला है। भारद्वाज को छोटे दुकानदारों की कर्ज की समस्या पूरी तरह दूर होने में भी संदेश है। दरअसल मुद्रा बैंक के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का फं ड बनाने का प्रस्ताव है। जिसमें बैंकों द्वारा प्राथमिकता क्षेत्र के लक्ष्य पूरा न होने से बची राशि का इस्तेमाल होगा। अगर लक्ष्य पूरा हो गया तो फिर मुद्रा बैंक के लिए पैसा कहां आएगा। इस बैंक के लिए 20 हजार करोड़ रुपये जुटाने में कई साल लग सकते हैं। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल(दिल्ली इकाई) के महामंत्री हेमंत गुप्ता भी मानते हैं कि कर्ज की सीमा काफी कम होने से थोक कारोबारियों को इस योजना का लाभ नहीं होगा।
कनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि 50 हजार तक, 50 हजार से 5 लाख तक और 5 लाख से 10 लाख तक कर्ज देने के तीन स्तरों की तीन स्तरों से मुद्रा की शुरुआत बेहद अच्छी है, लेकिन छोटे व्यवसाय के सभी वर्गों को मुद्रा में शामिल करने के लिए 10 लाख से 25 लाख रुपये और 25 लाख से 50 लाख रुपये के स्तर और बनने चाहिए। इससे इस नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर का समग्र आर्थिक विकास हो सकेगा।
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