एक तरफ जहां मंदी की मार से निपटने के लिए उद्योग जगत छंटनी, उत्पादन में कटौती और विस्तार योजनाओं को टाल रहा है, वहीं मंदी में भी शराब उद्योग जमकर चांदी काट रहा है।
माना जा रहा था कि इस उद्योग पर भी इसका असर पड़ेगा। शायद इस उद्योग को हो रहे मुनाफे के कारण ही इन हालात से बेफिक्र होकर फैशन वियर और जूते बनाने वाली कंपनी साल्वाटोर फैरागामो भारतीय बाजार में प्रीमियम श्रेणी की वाइन उतारने की योजना बना रही है।
कंपनी यह काम भारत में आयातित शराब के वितरण से जुड़ी कंपनी फाइनवाइन्समोर के साथ मिलकर करेगी। फैरागामो वाइन्स की यह वाइन 8,000-12,000 रुपये के बीच की कीमत में सबसे पहले मुंबई में उपलब्ध होगी।
फाइनवाइन्समोर की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी धरती देसाई ने बताया, 'एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक बड़े शराब बाजार के रूप में उभर रहा है। हम इस प्रीमियम ब्रांड को शुल्क मुक्त जगहों जैसे होटल और कुछ रिटेल शृंखलाओं पर बेचेंगे।'
एसोचैम के आंकड़ों के मुताबिक 2010 तक भारत में वाईन की खपत मौजूदा 50 लाख लीटर से बढ़कर 90 लाख लीटर सालाना हो जाएगी। भारतीय वाईन बाजार 500 करोड़ रुपये का है। पिछले वित्त वर्ष में लगभग 8,20,000 केस वाइन की बिक्री हुई थी।
देसाई ने बताया, 'हमने मार्च 2009 तक फैरागामो की लगभग 10,000 बोतलों की बिक्री करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन होटल और रेस्टोरेंट में वाइन की बढ़ती खपत को देखते हुए हमें उम्मीद है कि यह लक्ष्य ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।'
देश में वाइन की कुल खपत का लगभग 25 फीसदी हिस्सा आयात के जरिये पूरा किया जाता है। रैंकोज की एक रिपोर्ट के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में होने वाली वाइन की खपत में भारत की हिस्सेदारी कुल 2 फीसदी है।
लेकिन यह बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल भारतीय वाइन बाजार की विकास दर 18 फीसदी रही थी।