जिंदल को न्यायालय से राहत | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली March 23, 2015 | | | | |
केंद्र सरकार द्वारा 4 कोयला ब्लॉकों की बोली निरस्त किए जाने का मामला आज दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गया। न्यायालय ने तारा ब्लॉक मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। साथ ही न्यायालय ने गारे पालेमा 4/2 और 4/3 के मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।
नवीन जिंदल प्रवर्तित जिंदल पावर ने सरकार द्वारा कंपनी की बोली निरस्त किए जाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। पिछले सप्ताह सरकार यह कहते हुए गारे पालमा 4/1, 4/2, 4/3, और तारा कोल ब्लॉक की बोली खारिज की थी कि बोली की राशि बहुत कम है। वेदांत समूह प्रवर्तित बाल्को, गारे पालेमा 4/1 की बोली में विजेता बनकर उभरी थी।
बोली के बाद 2 सप्ताह की समीक्षा के उपरांत सरकार का बोली निरस्त करने का फैसला सामने आया था। ये ब्लॉक अब अगली कार्रवाई तक के लिए सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड को आवंटित किए जाने थे। पश्चिम बंगाल की तारा और झारखंड की गारे पालमा 4, 2 और 3 बिजली उत्पादन संयंत्रों के लिए इस्तेमाल होने थे। वहीं झारखंड की गारे पालेमा 4-1 बॉल्को को मिली थी, जिसका इस्तेमाल अनियमित, लोहा और स्टील क्षेत्र में होना था।
सरकार ने 5 बोलियों की समीक्षा की, जिनमें से 5 को हरी झंडी दे दी गई। जिंदल पावर, बाल्को और बीएस इस्पात के पहले चरण की बोली को लेकर सवाल खड़े हुए, जिनमें से जिंदल पावर बिजली क्षेत्र के लिए और अन्य दो अनियमित क्षेत्र की खदानों के लिए बोलीकर्ता थीं। दूसरे चरण की जिंदल पावर, हिंडालको, उषा मार्टिन और तिरुमला इंडस्ट्रीज की बोलियों की जांच की गई। एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि जहां बिजली उत्पादन के इस्तेमाल वाली गारे पालमा 4/2 और 3 के लिए बोली हासिल करने वाली कंपनियों ने 108 रुपये प्रति टन के भाव से बोली लगाई, वहीं इसी इस्तेमाल के लिए अन्य ब्लॉकों के लिए अंतिम इस्तेमाल के लिए बोली 37 से 1110 रुपये प्रति टन के बीच बोली रही है। इसलिए कंपनी की बोली सुरक्षित मूल्य से महज 8 रुपये ऊपर रही। जिंदल ने तारा ब्लॉक को दूसरे चरण की नीलामी में 126 रुपये प्रति टन के भाव पर हासिल किया था, जबकि बिजली क्षेत्र को मिलने वाले कोयले की बोली 202 से 670 रुपये प्रति टन के भाव रही। जिंदल ने पिछले सप्ताह अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि कंपनी ने कोयला ब्लॉक नीलामी प्रक्रिया के दौरान विवेकपूर्ण बोली रणनीति अपनाई थी, जो दीर्घावधि कारोबार को देखते हुए किया गया था।
दो चरणों में हुई 34 कोयला खदानों की नीलामी में 8 मामले में आवंटन पत्र पर सफल बोलीदाता ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। ये ऐसे ब्लॉक हैं, जिनमें मंत्रालय ने पाया था कि तुलनात्मक रूप से कम बोली लगाई गई है और इसलिए मामले को कोयला ब्लॉक का पुन:आवंटन करा रहे नामित प्राधिकरण के पास मामला पुनर्विचार के लिए भेज दिया गया था।
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