आप किसी कॉल सेंटर में फोन कर दो दिन पहले ही एक कैब बुक करा सकते हैं। कार वक्त पर आपके पास आएगी।
कार एकदम नई होगी और उसका एयरकंडीशनर भी दुरुस्त काम कर रहा होगा। कार का इंटीरियर भी शानदार होगा और ड्राइवर भी पूरी शालीनता के साथ आपसे पेश आएगा। अरे भई आप जब सामान्य टैक्सी के किराये की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा पैसा चुकाएंगे तो आपको ये सब सहूलियतें तो मिलनी ही चाहिए।
पिछले कुछ महीनों में इजीकैब्स, मेरू, मेगाकैब्स और मेट्रो कैब्स जैसे कई नाम दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चंडीगढ़ जैसे शहरों में नजर आ रहे हैं। दूसरे कई सेक्टरों की तरह अब टैक्सी के कारोबार के संगठित होने की बारी आई है।
और छोटे खिलाड़ी इन बड़े खिलाड़ियों के सामने इस कारोबारी मुकाबले में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। दरअसल, सर्विस किसी भी सामान्य टैक्सी और रेडियो कैब में सबसे बड़ा फर्क डालती है। सामान्य टैक्सी की तुलना में रेडियो कैब ज्यादा साफ सुथरी, सुरक्षित और आरामदायक होती है। मेरू कैब्स के सीईओ मार्क परेरा कहते हैं, ‘बहुत सारी शॉपिंग करने के बाद भी गृहणियां हमारी कैब्स की सेवा लेना पसंद करती हैं।’
दिल्ली और मुंबई के पास बसे उपनगरों का आकार बढ़ता जा रहा है। कंपनियां अपने ऑफिसों के लिए ज्यादा जगह की चाह में इन शहरों की राह पकड़ रही हैं। हैदराबाद और बेंगलुरु में जो नये हवाई अड्डे बने हैं, वे तो शहर से खासी दूरी पर बनाए गए हैं।
शहर में कारोबार के काम से आने वाले लोग भी अपनी बिजनेस मीटिंग में जाने के लिए रेडियो कैब्स को मुफीद मानते हैं। कारोबारियों की एक पत्रिका ‘डेयर’ के एक अध्ययन के मुताबिक 2010 तक पांच बड़े शहरों और 12 छोटे शहरों में कैब्स का चलन बहुत आम हो जाएगा और इनकी संख्या बढ़कर 1,72,000 तक पहुंच जाएगी।
अब कई कंपनियां रेडियो कैब्स के कारोबार में अपनी रुचि दिखा रही हैं। दिल्ली में ही तकरीबन एक दर्जन ऑपरेटरों को ही रेडियो कैब्स के परिचालन का लाइसेंस मिल चुका है। लेकिन मुंबई में अभी तक तीन ऑपरेटरों को ही लाइसेंस मिल पाया है।
यहां आपको बता दें कि लाइसेंस देने का अधिकार राज्य सरकार के पास ही होता है बेंगलुरु, चंडीगढ, गुड़गांव, फरीदाबाद और हैदराबाद जैसे शहरों में तो रेडियो कैब्स को मंजूरी दे दी गई है जबकि कई और शहरों में जल्द ही ऐसा होने वाला है।
दिल्ली की मेगा कॉर्प ने मेगाकैब्स नाम से पांच साल पहले देश मे पहली बार रेडियो कैब्स की शुरुआत की थी। कंपनी के पास फिलहाल 1,000 कारें हैं और उसकी योजना अगले दो-तीन साल में अपने बेड़े को बढ़ाकर 20,000 कारों तक करने की है।
मेगाकैब्स के पास दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, गुड़गांव और फरीदाबाद में रेडियो कैब्स के परिचालन का लाइसेंस है। मेरूकैब की भी बड़े विस्तार की योजना हैं। कंपनी मार्च 2009 तक अपने कारों के बेड़े को दोगुना कर इनकी संख्या 4,000 तक करना चाहती है।
इसके लिए कंपनी की 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है। इजीकैब्स की योजना भी अगले साल तक अपनी कारों की संख्या बढ़ाकर 3,000 करने की है।