हर क्षेत्र पर पड़ेगा असर
यशवंत सिन्हा
पूर्व वित्तमंत्री
देश की आर्थिक राजधानी पर हुए हमले के चलते देश में निवेश की स्थिति पर असर तो जरूर पड़ेगा। न केवल निवेश पर बल्कि इससे कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
और अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। वैसे यह पहली बार नहीं है कि देश में आतंकी हमले हुए हैं लेकिन इस बार का हमला बहुत बड़ा था। और देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमराई हुई सी है। 26 नवंबर की इस घटना से कुछ दिन पहले मैं जर्मनी गया हुआ था।
वहां पर लोगों ने मुझसे यही पूछा ‘इज इंडिया ए सेफ प्लेस’ (क्या भारत सुरक्षित जगह है?)। अब इस घटना के बाद विदेशों में भारत छवि और खराब हो जाएगी। कई एजेंसियों ने दुनिया की खतरे वाली जगहों में भारत का नाम शुमार करना शुरू कर दिया है।
और जिन एजेंसियों की फेहरिस्त में भारत पहले से शुमार था उन्होंने खतरे वाले देशों में इसकी रेटिंग और बढ़ा दी है।
अब ऐसे माहौल में निवेश तो प्रभावित होगा ही और अगर निवेश कम होगा तो अर्थव्यवस्था कैसे नहीं प्रभावित होगी। देखिए कानून और सुरक्षा आर्थिक विकास की बुनियाद है।
अगर आपको आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करना है तो कानून और सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद करनी पड़ेगी। जब तक उद्यमियों को यह भरोसा नहीं दिलाया जाएगा कि आप एक सुरक्षित जगह पर निवेश कर रहे हैं तब तक वह कैसे उद्योग लगाने के लिए और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
आप देश के अंदर ही देख लीजिए। जिन राज्यों में कानून और सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति सही हालत में है वहां पर तेजी से निवेश हो रहा है और जिन राज्यों में कानून व्यवस्था बिगड़ी हालत में है,
खासकर नक्सल प्रभावित राज्यों में, वहां पर निवेश कम हो रहा है। इसलिए कि इन राज्यों में निवेश करने के लिए उद्यमियों को भरोसा ही नहीं है।
हमें मुंबई की घटना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जैसे 911 की घटना में आतंकियों ने दुनिया की आर्थिक राजधानी न्यूयॉर्क को निशाना बनाया था वैसे ही इस बार हमारे देश की आर्थिक राजधानी को निशाना बनाया गया। इस बार आतंकियों के निशाने पर थे विदेशी नागरिक और फाइव स्टार होटलों में जाने वाले उच्च वर्गीय भारतीय।
इस बात का इशारा साफ है कि वे देश में कारोबार के माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं। दुनिया भर में संदेश देना चाहते हैं कि भारत में उद्योग मत लगाइए, यह सुरक्षित जगह नहीं है।
खैर अमेरिका ने तो उस घटना से सबक लेकर कारगर कदम उठाए और उसका ही नतीजा है कि उसके बाद से अमेरिका में कोई आतंकी हमला नहीं हुआ।
कुछ इसी तरह के कारगर कदम भारत सरकार को भी उठाने की जरूरत है। इस घटना से निवेश के अलावा कई और उद्योग प्रभावित होंगे।
मसलन विदेशी नागरिक यहां पर कम आएंगे। कुछ ने तो अपनी बुकिंग पहले ही कैंसिल करा दी है। ज्यादातर विदेशी नागरिक फाइव स्टार होटलों में ही रुकते हैं।
इस लिहाज से अगर कम विदेशी नागरिक भारत आएंगे तो होटल उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा।
नागरिक उड्डयन उद्योग पर भी असर पड़ेगा। इस घटना के बाद से कंपनियों के सुरक्षा खर्च में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।
सरकार ने अभी तक जो कदम उठाए हैं वह कारगर नजर नहीं आते। कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाया गया है। कुछ उल्लेखनीय करने के नाम पर प्रधानमंत्री ने पी. चिदंबरम को वित्त मंत्री की कुर्सी से हटाकर गृह मंत्री की कुर्सी से नवाज कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है।
दरअसल यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बड़ी ही मनमोहिनी चाल है। सवाल है कि जो चिदंबरम वित्त मंत्री के रूप में बुरी तरह असफल रहे हैं उनसे सक्षम गृह मंत्री की भूमिका निभाने की अपेक्षा कहां तक मुनासिब होगा?
बातचीत: प्रणव सिरोही
दूरगामी प्रभाव नहीं होगा
धर्मकीर्ति जोशी
प्रमुख अर्थशास्त्री, क्रिसिल
आतंकी हमले के बाद देश में निवेश पर तात्कालिक असर तो पड़ेगा लेकिन दीर्घअवधि में इसका कोई बहुत ज्यादा लंबा असर नहीं होगा। मतलब साफ है कि लंबे समय तक निवेशक देश से दूर नहीं रहने वाले।
निवेश की रफ्तार भले ही कुछ वक्त के लिए सुस्त हो जाए लेकिन बाद में यह वापस पुरानी रफ्तार पकड़ लेगी। हो सकता है कि आने वाले वक्त में निवेश में और भी तेजी आ जाए। वैसे आतंकी हमले के अलावा और भी कई कारक हैं जिनसे निवेश प्रभावित हो सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय मंदी के दौर से गुजर रही है। इस लिहाज से भी निवेश प्रभावित हो सकता है। लेकिन भारत में और देशों के मुकाबले मंदी की मार कुछ कम पड़ी है। इसके चलते भी दुनिया भर के निवेशकों के लिए भारत में अच्छे अवसर बन सकते हैं।
लेकिन इस हमले को बिल्कुल भी हल्के अंदाज में नहीं लेना चाहिए। आतंकवदियों ने देश के आर्थिक केंद्र पर हमला किया है। उसमें भी खासकर वहां पर जहां विदेशी नागरिक और कारोबारी वर्ग ठहरता है। इन फाइव स्टार होटलों पर हमले के जरिये आतंकवादी कारोबारी फिजां को बिगाड़ना चाहते हैं।
इन होटलों में ठहरने वाले कुछ पर्यटक होते हैं तो कुछ देश में कारोबारी संभावनाएं तलाशने वाले उद्यमी होते हैं। इन लोगों को निशाना बनाकर आतंकियों ने अपने इरादे साफ कर दिए। समय रहते इस चेतावनी को समझकर रणनीति बनानी होगी।
ऐसे वक्त में निवेश के लिए बढ़िया माहौल तैयार करने के लिए कुछ न कुछ फौरी कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए। कुछ ऐसे कारगर कदम उठाए जाएं जिससे निवेशकों में विश्वास पैदा हो, उनमें भरोसा कायम हो सके। इसके लिए कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाना बेहद जरूरी है।
क्योंकि जब तक उद्यमियों को उचित माहौल ही नहीं मिलेगा तब तक वे निवेश भी नहीं करेंगे। इस वक्त यही सबसे बड़ी चिंता का मुद्दा है। वक्त की नजाकत है कि इस दिशा में तुरंत कुछ न कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने पड़ेंगे।
सरकार ने निवेश का माहौल बेहतर बनाने और कारोबार जगत को सकारात्मक संदेश देने के लिए हाल ही में कुछ कदम उठाए हैं। इनका स्वागत भी किया जाना चाहिए। लेकिन मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था के लिए यह काफी नहीं है।
बहरहाल, सरकार ने पिछले दिनों में पहले तेल की कीमतों में कमी की है, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और नकद आरक्षित अनुपात में कमी की है। इससे कारोबार जगत में सकारात्मक संदेश ही जाएगा। इसके अलावा सरकार ने एक छोटा आर्थिक पैकेज भी जारी किया है।
इससे कई सेक्टरों को फौरी राहत मिलेगी। मसलन, मंदी की मार बुरी तरह से झेल रहे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल सेक्टरों और निर्यातकों को इस पैकेज से नई संजीवनी मिलेगी। इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को फिर से खड़ा होने में मदद मिलेगी।
कुछ लोगों का कहना है और ऐसी धारणा भी बनती जा रही है कि इस आतंकी हमले के बाद पर्यटन, होटल और अतिथि सत्कार के साथ-साथ नागर विमानन जैसे क्षेत्रों की हालत और खस्ता होगी। जैसा कि मैं ऊपर कह चुका हूं उसको फिर से दोहराता हूं कि इसका तात्कालिक असर पड़ सकता है।
इस तरह के समाचार आ भी रहे हैं कि जो विदेशी पर्यटक इस सीजन में देश में सैर-सपाटे के लिए आने वाले थे, वे अपनी बुकिंग रद्द करा रहे हैं। लेकिन इन सेक्टरों की हालत आतंकी हमले से पहले से ही खस्ताहाल है। दरअसल, वैश्विक आर्थिक मंदी ने इन सेक्टरों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
विदेशों में लोगों की नौकरियां कम हो रही हैं। कारोबार में नुकसान हो रहा है। लोगों की आमदनी घट रही है। ऐसे में इन लोगों ने सैर सपाटे पर खर्च कम कर दिया है।
बातचीत : शिखा शालिनी