सिख समुदाय के सबसे प्रमुख गुरुओं में से एक गुरु गोविंद सिंह की जैसी छवि प्रस्तुत करने की कोशिश किए जाने के आरोप के बाद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने माफी मांग ली लेकिन इसके बावजूद आखिर क्यों यह इतना बड़ा मसला बना हुआ है?
डेरा सच्चा सौदा संप्रदाय विगत में भी कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर समस्या के केंद्र विंदु में रह चुका है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर सरकार कौन चलाता है, धार्मिक संगठन या फिर चुने हुए जन प्रतिनिधि। डेरे की स्थापना किसी एक व्यक्ति द्वारा सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए धार्मिक संस्थान के तौर पर की जाती है। उत्तर भारत में हजारों छोटे-बडे ड़ेरे हैं।
इनके प्रमुख सिख और हिंदू हैं। इनमें एक राधास्वामी सत्संग ब्यास है। निरंकारियों के अपने अलग डेरे हैं। इन डेरों की स्थापना के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त हर जगह इस धर्म के सिद्धांतों को अभिव्यक्त करने के लिए मौजूद नहीं रह सकती इसलिए अगर कोई ऐसा करना चाहता है तो वह डेरे की स्थापना कर सकता है।
इसके जरिए वह लोगों को ऐसे धर्म के बारे में उपदेश और उसे पालन करने की शिक्षा दे सकता है जो तकनीकी तौर पर जाति व्यवस्था को नहीं मानती। डेरा सच्चा सौदा भी ऐसी ही एक संस्था है। अभी ये हरियाणा की उस जगह पर स्थित है, जो बंटवारे से पहले पंजाब में था। इसके अनुयायियों में सिरसा के दलितों की बड़ी संख्या है।
सिख बहुल यह क्षेत्र पंजाब से सटा हुआ है। गुरमीत राम रहीम सिंह को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है जो एयर कंडीशन में रहते हैं, जिन्हें राजाओं की भेषभूषा में रहना पसंद है। वह लक्जरी कार में चलते हैं और हर समय उनके साथ हथियारबंद सुरक्षाकर्मी होते हैं। उनसे समय-समय पर आशीर्वाद लेने आने वाले नेताओं में प्रकाश सिंह बादल, अमरिंदर सिंह और एस.एस. ढींढसा भी शामिल हैं।
अगर दो घटनाएं नहीं हुई होतीं तो गुरमीत राम रहीम सिंह को ऐसा ही एक और धर्म गुरु माना जाता जो किसी का अहित नहीं करते हैं। इनमें से एक घटना यह है कि क्षेत्र के एक पत्रकार की हत्या की परिस्थितियों की केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई जांच कर रही है। उस पत्रकार द्वारा सिंह के कथित कुकृत्यों के बारे में लिखने के बाद उसकी हत्या होर् गई थी।
गुरमीत राम रहीम सिंह के कथित कुकृत्यों में हत्या और बलात्कार के मामले भी शामिल थे। दूसरी घटना यह है कि पिछले विधान सभा चुनाव के वक्त प्रचार के बीच में ही उन्होंने यह घोषणा की कि उनके अनुयायियों को अनिवार्य तौर पर कांग्रेस को वोट देना चाहिए।
इसके बाद आम धारणा यह बनी कि सीबीआई से छुटकारा पाने के लिए गुरमीत राम रहीम सिंह ने कांग्रेस से समझौता कर लिया। इसके बाद संगरूर, भटिंडा और मानसा क्षेत्रों में कांग्रेस ने सफलता दर्ज की। इन इलाकों को अकाली दल का गढ़ माना जाता था। चुनाव के बाद यह साफ हो गया कि गुरमीत राम रहीम सिंह की वजह से अकाली दल को 117 सदस्यों वाली विधान सभा में 10 से 15 सीटों का नुकसान हुआ।
संयोग से गुरमीत राम रहीम सिंह के दामाद हरमिंदर ने भटिंडा सीट जीत ली। हरमिंदर को सौदा के अनुयायी आदर देते हुए साहिबजादा कहते हैं। अब गुरमीत राम रहीम सिंह को लगा कि वे बडे ख़िलाड़ी हैं। उन्हें ऐसा इसलिए भी लग रहा होगा कि उनकी ही वजह से कांग्रेस की इज्जत बच गई। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पर पूरी तरह से साफ हो जाने का संकट मंडरा रहा था।
जैसे सभी नेता अपने करियर में कभी न कभी एक गलती करते हैं, वैसी ही गलती उन्होंने कर दी। उन्होंने खुद को ज्यादा करके आंक लिया। अप्रैल में एक समागम में उन्होंने ‘अमृत संचार’ समारोह कर डाला। इसमें उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के उस रस्म का दुहराव कर डाला जिसमें पंज प्यारे बनाए जाते थे। अंतर बस इतना था कि गुरु गोविंद सिंह ने पांच ईश्वर दूत तैयार किए थे और गुरमीत राम रहीम सिंह ने सात कर दिए।
इस घटना ने अकाल तख्त को गुस्सा दिला दिया। समारोह की जो तस्वीरें सामने आई उसमें सिखों के धार्मिक संकेत ‘एक ओंकार’ को गुरमीत राम रहीम सिंह के पैर पर देखा गया। इस वजह से हरियाणा-पंजाब सीमा के सभी शहरों में गुस्सा फैल गया। अकाल तख्त ने डेरे के सामाजिक बहिष्कार और सात दिनों के अंदर माफी मांगने की मांग की।
स्वामी अग्निवेश और अन्य लोगों ने इस मामले में बीच-बचाव किया। इसका नतीजा यह हुआ कि गुरमीत राम रहीम सिंह ने माफी तो नहीं मांगी लेकिन एक प्रेस विज्ञप्ति जरूर जारी की गई। अभी तक तख्त ने न तो इस तरह की माफी को स्वीकार किया है और न ही खारिज किया है।
अकाल तख्त ने इस आरोप में मुकदमा दर्ज करने के लिए समर्थक जरूर जुटा लिए कि डेरा प्रमुख ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस मामले में बेहद तेजी दिखाते हुए निचली अदालत ने पंजाब पुलिस को गुरमीत राम रहीम सिंह को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पर हरियाणा पुलिस ने गुरमीत राम रहीम सिंह को गिरफ्तार करना पड़ा।
हरियाणा में कांग्रेस की सरकार है। बहरहाल, गुरमीत राम रहीम सिंह को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने जेल से ही माफीनामा जारी किया। इसे जारी करने का समय रणनीति के साथ तय किया गया। साफ है कि गुरमीत राम रहीम सिंह को ऐसा लगता है कि अगर केंद्र में सरकार बदलती है और अकाली उसमें शामिल रहते हैं तो सिखों से बातचीत की संभावना रहेगी।
हालांकि, पंजाब और हरियाणा की राजनीति पर डेरा सच्चा सौदा के असर छोड़ने की संभावना कम ही है। पर इससे इतना तो साफ है कि धर्म राजनीति को किस हद तक दुष्प्रभावित कर सकती है। पर अहम सवाल अभी भी बरकरार है कि पंजाब में सरकार का नियंत्रण धर्म गुरू करते हैं या फिर चुने हुए जन प्रतिनिधि।
