जो लोग वित्त, मानव संसाधन और विपणन में एमबीए करने से परे की सोचते हैं, उनके लिए अच्छी खबर है।
दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों से मिल रहे रुझानों को देखें तो लगता है कि भारत में कुछ बिजनेस स्कूल कुछ अलग हटकर विशेष कोर्स मुहैया करा रहे हैं। ये संस्थान मीडिया मैनेजमेंट, वाइन मैनेजमेंट या फिर पेट्रोलियम मैनेजमेंट जैसे विविधता से भरे विषयों के साथ एमबीए की डिग्री दे रहे हैं।
मशहूर फिल्मकार और बॉलीवुड के शोमैन के नाम से जाने जाने वाले सुभाष घई अपने व्हिसिलिंग वुड्स स्कूल के जरिये भारत में पहली बार मीडिया और मनोरंजन में दो साल की एमबीए की डिग्री ऑफर कर रहे हैं। इसके लिए घई ने मणिपाल यूनिवर्सिटी से गठजोड़ किया हुआ है।
दो साल के इस कोर्स में फिल्म, ब्रॉडकास्टिंग, न्यू ऐंड इंटरेक्टिव मीडिया और इवेंट मैनेजमेंट जैसे विशेष विषयों के साथ एमबीए की डिग्री दी जा रही है। इस कोर्स के पहले साल में मणिपाल यूनिवर्सिटी के बेंगलुरु परिसर में सामान्य प्रबंधन विषयों और मीडिया केस स्टडीज की पढ़ाई करनी होती है। जबकि इस कोर्स के दूसरे साल की पढ़ाई मुंबई में फिल्म सिटी में बने घई के व्हिसिलिंग वुड्स स्कूल में होती है जिसमें अधिकतर हिस्सा प्रैक्टिकल से भरा है।
दो साल का कोर्स खत्म होने के बाद मीडिया और मनोरंजन में एमबीए की डिग्री मणिपाल यूनिवर्सिटी से मिलती है। देश में कई प्रबंधन संस्थान ऐसे ही कई नए और रोचक विषयों के साथ एमबीए कोर्स ऑफर कर रहे हैं। देश में पहली बार वाइन मैनेजमेंट का संस्थान खुलने जा रहा है। भारत में वाइन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी शैंपेन इंडेज ने इसके लिए ऐडिलेड विश्वविद्यालय के साथ करार किया है।
इस संस्थान को पुणे के पास 100 एकड़ जमीन में तकरीबन 100 करोड़ रुपये के ही निवेश के साथ स्थापित किया जा रहा है। कोर्स समाप्त होने के बाद डिग्री एडिलेड विश्वविद्यालय द्वारा दी जाएगी और दुनियाभर में मान्य होगी। इंडेज ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन एस जी चौगुले कहते हैं कि इसके जरिये वाइन इंडस्ट्री को काफी फायदा पहुंचेगा।
उनका मानना है कि इससे इंडस्ट्री को प्रशिक्षित तकनीशियन, प्रयोगशाला कर्मी, वाइन बनाने वालों के अलावा और भी हुनर वाले लोग मिल सकेंगे जिससे आखिरकार इंडस्ट्री को ही फायदा पहुंचेगा। जिन युवाओं को रेगुलर कोर्स करने में मुश्किल आ रही है, उनके लिए इस तरह के कोर्स बेहद फायदेमंद हैं। इसमें डिग्री से ज्यादा अहमियत उनकी लगन को दी जाएगी।
तेल और गैस क्षेत्र कितना अहम हो चला है, इसको न तो सरकार नजरअंदाज करने की स्थिति में है और न ही निजी क्षेत्र। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की मांग बेहद तेज हो चली है। इसलिए अब तो पेट्रोलियम प्रबंधन से जुड़े विश्वविद्यालय शुरू करने की बहस आए दिन जोर पकड़ने लगती है।
देहरादून में तो पहले ही पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज यूनिवर्सिटी (यूपीईएस) की स्थापना हो चुकी है अब गुजरात सरकार की कंपनी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (जीएसपीसी) ने गांधीनगर में पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (पीडीपीयू) की स्थापना की है। इस विश्वविद्यालय को रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के मुखिया मुकेश अंबानी का भी पूरा सहयोग मिल रहा है और वह इस विश्वविद्यालय के पहले अध्यक्ष भी हैं।
इन संस्थानों की सफलता से उत्साहित होकर सरकार ने भी राजीव गांधी पेट्रोलियम तकनीकी संस्थान की स्थापना करने का विचार किया है। जिसकी स्थापना में 435 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जिसमें से 285 करोड़ रुपये का प्रबंध बजटीय सहयोग के जरिये किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर 150 करोड़ रुपये की रकम का प्रबंध तेल उद्योग विकास बोर्ड करेगा।
वैसे भारत में यह ट्रेंड नया है जबकि विदेशों में इस तरह की डिग्रियों का चलन काफी पहले शुरू हो चुका था। विदेशों में अरसे पहले कुछ विशेष विषयों के साथ एमबीए कराने का ट्रेंड चला आ रहा है जहां से सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन (कॉर्पोरेट सोशल रिसपोंसिबिलिटी) से लेकर वाइन मैनेजमेंट और यहां तक की फुटबाल मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री हासिल की जा सकती है।
इसी तरह लिवरपूल यूनिवर्सिटी फुटबाल में एमबीए की डिग्री दे रही है तो सैन डिएगो यूनिवर्सिटी, सैन डिएगो पैडरेस के साथ मिलकर खेल प्रबंधन में एमबीए की डिग्री दे रही है। इन डिग्रियों को लेने के बाद खेल प्रबंधक और टीम परामर्शदाता जैसी नौकरियां मिल जाती हैं। दरअसल इस समय अर्थव्यवस्था जिस रफ्तार से दौड़ रही है उससे कदमताल मिलाने के लिए विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षित लोगों की खास जरुरत है।
इस तरह की विशेषज्ञता का महत्व बताते हुए व्हिसिलिंग वुड्स स्कूल की अध्यक्ष मेघना घई पुरी कहती हैं कि मीडिया और फिल्म का क्षेत्र बहुत ही रोचक है और अब बिड़ला और अंबानी जैसे कॉर्पोरेट घराने भी फिल्म और मीडिया जगत में जमकर निवेश कर रहे हैं, ऐसे में उनको प्रबंधक तो चाहिए ही होंगे। उनका कहना है कि जहां मणिपाल यूनिवर्सिटी छात्रों को प्रबंधन की बारीकियां सिखाती है वहीं व्हिसिलिंग वुड्स स्कूल के जरिये छात्रों को मीडिया और मनोरंजन जगत से रूबरू कराया जाता है।
उनका मानना है आज के समय में एमबीए में विशेषज्ञता हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है। साधारण एमबीए करने की तुलना में विशेषज्ञता हासिल किया हुआ एमबीए की डिग्री धारी व्यक्ति छात्रों के करियर में भी अधिक सहायक सिद्ध हो पाएगा। वैसे इसमें वक्त के साथ नए-नए विषय जुड़ते जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के इंस्टीटयूट ऑफ इस्लामिक बैंकिंग ऐंड फाइनैंस (आईआईबीएफ) को ही लेते हैं।
फिलहाल यह संस्थान इस्लामिक बैंकिंग में ऑनलाइन डिप्लोमा ऑफर कर रहा है। अब इस संस्थान ने इस्लामिक अर्थशास्त्र, बैंकिंग और फाइनैंस में स्नातकोत्तर डिप्लोमा देने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।