दुनिया के वित्त बाजारों में आई मंदी का असर अब दुनिया से सबसे ज्यादा जुड़े हुए उद्योग, यानी आईटी सेक्टर पर दिखाई देने लगा है।
देसी आईटी सेक्टर की तीन सबसे बड़ी कंपनियों, टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो के दूसरी तिमाही के नतीजे दिखाते हैं कि रुपये के कमजोर होने के बावजूद लगातार तीसरी तिमाही में उनके मुनाफे में गिरावट आई है। साथ ही, इन्फोसिस और सत्यम के अपनी डॉलर में होने वाली कमाई को कम करने का कदम आईटी सेक्टर के लिए बुरे दौर की शुरुआत की तरफ इशारा करता है।
जाहिर सी बात है कि इसकी सबसे बड़ी वजह वित्तीय जगत में छाया संकट है, जो भारतीय आईटी कंपनियों का सबसे बड़ा खरीदार हुआ करता था। ऊपर से डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में मची उठा-पटक की वजह ने भी कोढ़ में खाज का काम किया। पिछले साल पूरे वक्त रुपया, डॉलर के मुकाबले ज्यादा ताकतवर दिखा। लेकिन इसके बाद इसमें तेज गिरावट आने लगी।
अमेरिका, हिंदुस्तानी आईटी कंपनियों का सबसे बड़ा बाजार है। इसलिए रुपये में आई तेजी की वजह से देसी आईटी सेक्टर में हड़कंप मच गया क्योंकि उन्होंने इसके लिए कोई तैयारी नहीं कर रखी थी। इसलिए इस साल की गिरावट ने उन लोगों को अपनी चपेट में ले लिया, जिन्होंने तैयारी कर रखी थी। इन तीनों कंपनियों ने वायदा कारोबार का सहारा लेकर खुद को रुपये की तेजी से बचाने की कोशिश की थी। उन्हें उम्मीद थी कि रुपया मजबूत होता रहेगा। इसीलिए तो उन्हें रुपये में आई गिरावट का भी फायदा नहीं मिल सका।
इस सेक्टर में विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने बड़ी अच्छी बात कही। उनका कहना था कि, ‘दुनिया में आई मंदी ने कभी काफी तेजी में रहने वाले सेक्टर को अब फूंक-फूंक कर आगे कदम रखने के लिए मजबूर कर दिया है।’ हालांकि, उन्होंने इस सेक्टर को काफी मजबूत भी बताया। इस बारे में उनका कहना था कि यह सेक्टर अपने जबरदस्त कारोबारी मॉडल की वजह से मुश्किलों से भरे इस दौर से भी आगे निकल जाएगा।
मुश्किल भरे दौर में उम्मीद की किरण यही है कि इस मंदी की वजह से वेतन में तेज इजाफा और लोगों की नौकरियों को बदलने की आदत पर लगाम लग पाएगी। पिछली तिमाही में कंपनियों ने अपने कामगारों का पूरा इस्तेमाल किया। नौकरियां छोड़ने वाले कर्मचारियों की तादाद में भी काफी कमी आई। साथ ही, अब यह उद्योग कम से कम कीमत में ज्यादा से ज्यादा से मुहैया करवा रहा है, ताकि उनकी कमाई आती रहे।
इस बुरे वक्त में सिर्फ एक बड़ी कंपनी, कॉग्निजेंट ने अपनी डॉलर में होने वाली संभावित कमाई के आंकडे क़ो कम नहीं किया है। देसी सेक्टर की तीन दिग्गज कंपनियों में से टीसीएस और विप्रो के सॉफ्टवेयर कारोबार पर इस मंदी का दबाव सबसे ज्यादा दिख रहा है।
हालांकि, इन्फोसिस की हालत इन दोनों से बेहतर नजर आ रही है। यह अब भी लोगों को भर्ती कर रही है और इसके कर्मचारियों की तादाद एक लाख से ज्यादा हो चुकी है। इन्फोसिस की सोच में आए इस बदलाव की मिसाल तब मिली, जब इसने एक्सॉन पर कब्जे की खातिर एचसीएल के साथ मुकाबला करने से इनकार कर दिया।