बुधवार को लगातार तीसरे दिन देश में 50 लाख से अधिक टीके लगाए गए। शुरुआती प्रदर्शन की तुलना में यह सुधार उल्लेेखनीय है। इससे एक संकेत यह निकलता है कि हमारे पास एक दिन में 86 लाख टीके लगाने की क्षमता मौजूद है। केंद्र की सबके लिए नि:शुल्क टीकाकरण की नीति लागू होने के पहले दिन इतने ही टीके लगाए गए जो रोज लग रहे औसतन 20-30 लाख टीकों की तुलना में बहुत अधिक हैं। यदि देश में टीकाकरण को लेकर बने राष्ट्रीय तकनीकी समूह के आंकड़े सही हैं तो जुलाई-अगस्त तक देश में टीकों की 20 से 22 करोड़ खुराक होंगी। यानी आपूर्ति क्षेत्र में कोई बाधा नहीं रह जाएगी। दिक्कत यह है कि इस वर्ष दिसंबर तक सबके लिए टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रतिदिन 90 लाख टीके लगाने होंगे। इस दौरान सप्ताह में हर दिन टीकाकरण करना होगा। इस संदर्भ में देखें तो मंगलवार को 50 लाख टीके और बुधवार के आंकड़े पहले दिन की तुलना में काफी कम हैं।
जरूरत इस बात की है कि वास्तविक प्रदर्शन पर ध्यान दिया जाए, न कि उत्सवधर्मिता दिखाने के। उदाहरण के लिए सोमवार को रिकॉर्ड टीकाकरण को लेकर जोरशोर से जो दावे किए जा रहे थे उनकी कलई उतरनी शुरू हो चुकी है। मीडिया की खबरों में ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्यों द्वारा सोमवार को जमकर टीकाकरण करने के लिए उसके पहले कुछ दिन तक अत्यंत धीमी गति से टीके लगाए गए। सोमवार को सर्वाधिक 17 लाख टीके लगाने वाला मध्य प्रदेश इसका सटीक उदाहरण है जबकि अन्य राज्यों ने भी कमोबेश ऐसा ही किया। एक दिन पहले यानी रविवार को प्रदेश में केवल 692 टीके लगाए गए जो किसी भी अन्य रविवार की तुलना में अत्यधिक कम है। ऐसा लगता है कि राज्य में पांच दिन पहले से इसकी तैयारी चल रही थी क्योंकि 16 जून को 338,847 टीकों के बाद 19 जून को वहां केवल 22,006 टीके लगाए गए।
कर्नाटक में भी ऐसा ही हुआ और वहां 20 जून को 68,172 टीके लगाए गए। 21 जून को आंकड़ा बढ़कर 11 लाख हुआ और अगले दिन फिर गिरकर 3,92,427 रह गया। उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और असम में भी यही कहानी दोहराई गई। गैर भाजपा शासित राज्यों में टीकाकरण में ऐसा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिला। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में 21 जून को 383,495 टीके लगाए गए जो 19 जून को लगे 381,765 टीकों से कुछ ही ज्यादा थे। जबकि आंध्र प्रदेश में सोमवार को टीकाकरण में गिरावट आई जबकि रविवार को वहां सर्वाधिक टीकाकरण हुआ था। निश्चित तौर पर टीकाकरण में बढ़ोतरी के लिए केंद्र द्वारा नीति में किया गया समझदारी भरा बदलाव भी वजह है। इसके तहत अब राज्य 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए आरक्षित टीकों को 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके चलते कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में टीकाकरण ने गति पकड़ी।
टीकाकरण से संबद्ध सरकारी अधिकारियों को अब उत्सव और आयोजन वाले सोच से परे जाकर सतत काम में लगना चाहिए क्योंकि टीकाकरण की गति तेज करना अहम होता जा रहा है। देश में अब तक आबादी के पांचवें हिस्से को टीका लग चुका है जबकि बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जिन्हें सिर्फ एक खुराक लगी है। इस मामले में हमारा प्रदर्शन ब्राजील से भी खराब है जिसने अपनी आबादी के 40 प्रतिशत हिस्से को टीका लगा दिया है। चीन ने आबादी के 90 फीसदी और अमेरिका ने 95 फीसदी हिस्से का टीकाकरण कर दिया है। कोविड-19 अभी भी देश के लिए चुनौती बना हुआ है। टीकाकरण की गति बरकरार रखनी होगी क्योंकि आने वाले समय में इसे और तेज करने की आवश्यकता पड़ेगी।
