जब इंडियन प्रीमियर लीग शुरू हुआ तो कुणाल दासगुप्ता ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि दर्शकों की रेटिंग में खुशनुमा बदलाव आएगा।
शुरुआत में रेटिंग काफी ज्यादा रहेगी और बाद में कम होते-होते अंत में इसकी रेटिंग बहुत कम हो जाएगी। दासगुप्ता की भविष्यवाणी अब सही साबित हो रही है और उनके संतोष को विज्ञापनदाताओं और प्रायोजकों का भी समर्थन मिल रहा है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने यह क्रिकेट उस समय शुरू किया जब उसके प्रतिस्पर्धी के रूप में सुभाष चंद्रा का विद्रोही गुट तैयार था, जो क्रि केट के लिए नई रणनीति बना रहा था। इस मैच की ओर सबसे पहले वे दर्शक आकर्षित हुए, जो खेल की ओर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते और रिलीज हुई नई फिल्म की तरह इसे टेलीविजन धारावाहिकों और गेम शो की तरह लेते हैं। इसे एक खेल की सफलता के रूप में भी देखा जा सकता है।
इन मैचों में दो एकतरफा सेमीफाइनल खेले गए और कुछ लीग मैचों में उच्च गुणवत्ता का खेल खेला गया, जिसमें अंतिम ओवरों तक रोमांच बना रहा। इसमें सबसे आश्चर्यजनक यह रहा कि राजस्थान रॉयल्स ने फाइनल मैच जीता, जिसकी बोली सबसे कम लगी थी और जिसमें नामचीन खिलाड़ी भी कम थे।
जब मैच शुरू हुआ तो फाइनल में बेहतरीन खिलाड़ी (यूसुफ पठान), टूर्नामेंट के बेहतरीन खिलाड़ी (शेन वाटसन), बेहतरीन बल्लेबाज (शान मार्श) और बेहतरीन गेंदबाज (सोहेल तनवीर) की खिताब पाने वाले खिलाड़ियों की कोई खास पहचान नहीं थी। नियमों और खेल में परिवर्तन के बावजूद सफलता के कुछ नए कीर्तिमान भी बने। पैसे के प्रति प्रतिबध्दता में परिवर्तन हुआ और टीम के प्रति प्रतिबध्दता बलवती हुई।
जब सचिन तेंदुलकर ने राजस्थान के खिलाफ खेलते हुए वाटसन का कैच पकड़ा था, तो वह बेहतरीन कैचों में से एक था। जिन लोगों ने फाइनल मैच देखा- आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी और युवा पाकिस्तानी एक साथ मिलकर अंतिम गेंद के साथ जीत का लुत्फ उठा रहे थे। दिल्ली में हुए अंतिम मैच में जब तेंदुलकर आउट हुए तो समूचा फिरोजशाह कोटला मैदान भभक पड़ा। जैसा कि सभी लोग सोच रहे थे कि यह मैच बल्लेबाजों का स्वर्ग होगा, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
लीग मैचों के अंतिम चरण में बल्लेबाज एक-एक रन के लिए जूझते नजर आए। अगले साल प्रस्तावित आईपीएल के मैचों के पहले बड़े और महत्त्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। अन्य देश भी हो सकता है कि अपने ट्वेंटी-20 लीग मैच शुरू करें, इंगलैंड तो पहले से ही योजना बना रहा है।
देखने वाली बात होगी कि इन मैचों शुरुआत करने वाला बीसीसीआई आगे क्या कदम उठाता है- या इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल इन मैचों को भी अपने कार्यक्रम में शामिल करती है, जिससे सभी देशों के खिलाड़ी इसमें शामिल हो सकें (इस साल इंगलैंड के खिलाड़ी मैच में शामिल नहीं हो सके, जबकि तमाम खिलाड़ियों को बीच में ही वापस जाना पड़ा)। यह देखना होगा कि 50-50 मैचों के भाग्य में क्या है (शायद इसी तरह का नाम दिए जाने की जरूरत है)।