अब उनके चेहरे पर विजयी मुस्कान देखी जा सकती है। हो भी क्यों न? आखिर उनका चैनल पहले से मौजूद बड़े खिलाड़ियों को तगड़ी पटखनी देते हुए दर्शकों का दुलारा जो बन गया है।
बहुत पहले की बात नहीं है, जब लॉन्च से पहले मई में उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती थीं। लेकिन तब से अब तक काफी फर्क आ चुका है। वायकॉम-18 के हिंदी मनोरंजन चैनल कलर्स के मुखिया राजेश कामत के चेहरे पर अब सफलता की खुशी साफ देखी जा सकती है।
वैसे, चिंता अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई क्योंकि उसने जो गद्दी हथियाई है, उस पर बने भी तो रहना है। लेकिन फिलहाल जश्न मनाने की पूरी वजह उनके पास है।
मनोरंजन के खिलाड़ी
दरअसल अपने लॉन्च के महज 10 हफ्तों के भीतर ही इस नये चैनल ने सफलता की नई इबारत लिख डाली। टेलीविजन चैनलो की रेटिंग तय करने वाली एजेंसी टैम की ग्रॉस रेटिंग पॉइंट (जीआरपी) के मुताबिक कलर्स मनोरंजन चैनलों की फेहरिस्त में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है।
बात चाहे दर्शकों के किसी चैनल पर सबसे ज्यादा समय देने की हो या फिर पहुंच की हो, कलर्स हर मामले में पुराने खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए इस दौड़ में आगे निकलता जा रहा है। पिछले दो हफ्तों में कलर्स ने जीटीवी को भी पीछे छोड़ दिया है और अब इससे आगे केवल इस श्रेणी का अगुआ चैनल स्टार प्लस ही रह गया है। वैसे, कामत इतने से ही संतुष्ट नहीं हैं।
कामत खुद कहते हैं, ‘अभी शैंपेन खोलने का वक्त नहीं आया है।’ हालांकि वह अपनी खुशी भी नहीं छिपा पाते। उनके लिए अब यह सफलता बरकरार रखना चुनौती बन गया है। कामत कहते हैं, ‘लॉन्च से पहले अलग तरह का दबाव था। पता नहीं डिस्ट्रीब्यूशन कारगर साबित हो पाएग या फिर कार्यक्रम सफल हो पाएंगे, वगैरह-वगैरह।
इसके अलावा पहले से जमे-जमाए खिलाड़ियों से भी मुकाबला करना होता है।’ हिंदी मनोरंजन चैनलों में पहले से चल रहे कड़े मुकाबले में कलर्स के आने से और तेजी आ गई है। कलर्स ने पुराने चैनलों का रंग फीका कर दिया है। पांच अक्टूबर से 11 अक्टूबर वाले सप्ताह में दशकों के बीच कलर्स की हिस्सेदारी 19 फीसदी तक पहुंच गई है।
कलर्स ने 16 फीसदी वाले जीटीवी को तो पीछे छोड़ ही दिया है, 23 फीसदी वाला स्टार प्लस भी अब कलर्स की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है। हालांकि, इस सप्ताह कलर्स की जीआरपी कुछ घटकर 233 रह गई लेकिन फिर भी इसकी दूसरे पायदान की कुर्सी के लिए कोई खतरा पैदा नहीं हुआ।
दिलचस्प बात यह है कि चैनल ने अपने लिए शुरुआती तीन महीनों में केवल 100 जीआरपी का लक्ष्य रखा था। कामत कहते हैं, ‘इन आंकड़ों ने तो खुद हमें चौंका दिया।’ गौरतलब है कि कलर्स मनोरंजन चैनलों की श्रेणी में 11 वां चैनल था और इससे पहले शुरू हुए 9 एक्स और एनडीटीवी इमेजिन को भी दर्शकों का उतना प्यार नहीं मिल पाया था।
कलर्स में नेटवर्क 18 और वायकॉम की बराबर हिस्सेदारी है। इसके अलावा स्टूडियो 18, एमटीवी, निक और वीएचवन जैसे चैनल भी वायकॉम 18 के बैनर तले ही संचालित किए जा रहे हैं।
कहानी कामयाबी की
अब इसके प्रतिद्वंद्वी चैनल भी इसकी सफलता की बात पर अपनी मुहर लगा रहे हैं। एनडीटीवी इमेजिन के सीईओ समीर नायर कहते हैं, ‘कलर्स ने वही हासिल किया जो उसे हासिल करना था। इसके आने से अब चोटी के चैनलों का गणित बिगड़ रहा है।’
वैसे स्टार प्लस, जी, एनडीटीवी इमेजिन और 9 एक्स जैसे चैनल इस नवेले चैनल की वजह से चिंतित है लेकिन वे अपनी चिंता जाहिर नहीं करना चाहते। जी समूह के मुख्य राजस्व अधिकारी जॉय चक्रवर्ती कहते हैं कि कलर्स ने बड़ा प्रभाव डाला है और इसके चलते सामान्य मनोरंजन चैनलों का बाजार बढ़ा है।
टैम के आंकड़ों के मुताबिक कलर्स के लॉन्च होने के बाद (20 जुलाई से 11 अक्टूबर) से हिंदी मनोरंजन चैनलों के दर्शकों की संख्या में 36.8 फीसदी का इजाफा हुआ है। इससे पहले 27 अप्रैल से 19 जुलाई तक यह वृद्धि 33.1 फीसदी ही हुई थी।
कुल मिलाकर वायकॉम 18 का हर दांव सही पड़ा। चैनल के कार्यक्रमों में नयापन और ताजगी है। इस चैनल ने वह मुकाम हासिल किया, जो 9 एक्स और एनडीटीवी इमेजिन नहीं कर पाए। कुछ बातें इसकी सफलता को बयां भी करती हैं। मसलन, वायकॉम 18 ने कंटेंट, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर 9 एक्स और एनडीटीवी इमेजिन की तुलना में अधिक आक्रामक नीति अपनाई।
कामत कहते हैं, ‘हमने खतरों के खिलाड़ी के जरिये पहले दिन से ही आक्रामक नीति अपनाई।’ डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर भी कंपनी की रणनीति पूरी तरह चाकचौबंद थी। एक निजी केबल डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपर्ट अनिल गुप्ता कहते हैं, ‘कलर्स की सफलता में 99 फीसदी योगदान इसकी डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रैटेजी का है।’
कंपनी, चैनल को बढ़िया बैंड पर दिखाने के लिए एक साल तक कैरिज फीस के तौर पर 100 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यह बजट एनडीटीवी इमेजिन (40 से 60 करोड़) और 9 एक्स के डिस्ट्रीब्यूशन बजट से कहीं ज्यादा है।
कामत खुद स्वीकार करते हैं कि मौजूदा दौर में वितरण के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि कंपनी ने पैसा उन्हीं शहरों में लगाया है जहां टैम के मीटर लगे हैं। एक प्रतिद्वंद्वी चैनल के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘बाजार में पैसा लगाना और बढ़िया रेटिंग पाना शॉर्ट टर्म स्ट्रैटजी है।’
इसकी बढ़िया पहुंच में राघव बहल और समीर मनचंदा के नेटवर्क 18 की केबल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी डेन (डिजिटल एंटरटेनमेंट नेटवर्क) का भी अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात में चैनल को डेन की वजह से बहुत फायदा पहुंचा है।
कैसे हैं कार्यक्रम
पहले दिन से ही कार्यक्रमों में खासी वैरायटी रही। उदाहरण के तौर पर शुरुआत से ही रिएलिटी शो (खतरों के खिलाड़ी), ड्रामा (बालिका वधू) और पौराणिक धारावाहिक (जय श्री कृष्णा) का मिश्रण दर्शकों को देखने को मिला।
पहले जी के लिए लिए काम कर चुके कलर्स के कंटेंट हेड अश्विनी यार्डी कहते हैं कि चैनल ने खतरों के खिलाड़ी जैसे कार्यक्रम के जरिये बड़ा जोखिम उठाया और उसका फायदा भी चैनल को मिला। अमूमन इस तरह के रिएलिटी शो वीकएंड में ही छोटे पर्दे पर नजर आते हैं लेकिन खतरों के खिलाड़ी ने इस ट्रेंड को बदला। यह शो सोमवार से गुरुवार के बीच ही प्रसारित होता था।
इस शो ने एक और रुझान भी बदला, वह यह कि 10 से 11 के बीच के समय को सास-बहू के धारावाहिकों वाला माना जाता था लेकिन खतरों के खिलाड़ी ने इस धारणा को भी तोड़ा है। वास्तव में मीडिया उद्योग में चर्चा हो रही है कि कलर्स पहले ही साल में 500 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी में जुटा है। प्रोग्रामिंग पर भी अच्छी खासी रकम खर्च की जा रही है।
कहा जा रहा है कि ‘बिग बॉस’ और ‘खतरों के खिलाड़ी’ पर क्र मश: 70 करोड़ रुपये और 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। स्टार टीवी के एक अधिकारी का कहना है, ‘ऐसा नहीं है कि उन्होंने कुछ अनोखा किया हो जिस पर वे बहुत ज्यादा खुश हों।’ दूसरी ओर कलर्स से जुड़े लोगों का भी कहना है कि उनके चैनल ने दूसरों के मुकाबले कुछ ज्यादा खर्च नहीं किया है।
उनके दो सबसे मशहूर रियलिटी शो 100 करोड़ रुपये में बने हैं। कई आलोचक यह तर्क देते हैं कि इस चैनल का जो कंटेट है, उसके जरिए मार्केट शेयर को सुधारना लगभग असंभव ही है। क्या कोई 24 घंटे का मनोरंजन चैनल अपने चार शो के जरिए ही चैनल को चला पाएगा? कई आलोचकों चैनल के बढ़िया प्रदर्शन पर ऐतराज जताते हुए कहते हैं कि भला कामत यह दावा कैसे कर सकते हैं कि किसी एक ही कार्यक्रम के बार-बार प्रसारण से उनकी टीआरपी रेटिंग बेहतर होगी।
स्टार प्लस फिलहाल एक हफ्ते में 38 घंटे तक अपना खुद का बनाया कार्यक्रम प्रसारित करता है। वहीं जी एक हफ्ते में 35 घंटे के और कलर्स केवल 27 घंटे के कार्यक्रम पेश करती है। कामत कहते हैं, ‘हमलोगों ने टीआरपी रेटिंग और अपने कार्यक्रमों के प्रसारण के घंटों के लिहाज से जी को पीछे छोड़ दिया है।’ हालांकि वह स्वीकार करते हैं कि उनका चैनल अब दोपहर के कार्यक्रमों के प्रसारण पर ध्यान दे रहा है क्योंकि इसके जरिए उसके मुनाफे में इजाफा हो सकता है। कलर्स फिलहाल दो और नए रियलिटी शो और एक धारावाहिक पर काम कर रहा है।
जबरदस्त प्रचार का सहारा
आपको बता दें कि वायकॉम 18 मीडिया ने कलर्स के प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। शुरुआत में ही इसने नेटवर्क 18 के न्यूज चैनल का इस्तेमाल कलर्स के प्रचार-प्रसार के लिए किया। इस प्रचार के तहत अक्षय कुमार के शो को भी बहुत चालाकी से चर्चा का विषय बना दिया गया।
वास्तव में अक्षय कुमार को दर्शकों द्वारा इस चैनल का ब्रांड एंबैसडर ही मान लिया गया जबकि चैनल ने उनको ऐसी कोई भूमिका में नहीं रखा था। लेकिन यह तो मानना ही पड़ेगा कि छोटी भूमिका में भी कोई बड़ा स्टार इस चैनल से जुड़ा तो उसे अपनी पहचान बनाने में काफी मदद मिल ही गई।
हालांकि मार्केटिंग के बजाय बड़े स्तर पर बेहतर जनसंपर्क के जरिए कलर्स को सभी मनोरंजन चैनलों के बीच पहचान बनाने का मौका मिल गया। कामत कहते हैं, ‘बिग बॉस के जरिए हमने ऐसे लोगों को चुना जिनकी वजह से कलर्स के इस कार्यक्रम की कवरेज केवल मनोरंजन पन्ने से आगे बढ़कर पहले पन्ने पर भी हो।’ इसी वजह से बिग बॉस के सितारे बने जेड गुडी और मोनिका बेदी।
इस वक्त चैनल के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इस सफलता को विज्ञापनों के जरिए कैसे भुनाया जाए। चैनल का दावा है कि इसके पास 100 से ज्यादा विज्ञापनदाता हैं। अब तक हिन्दुस्तान यूनीलिवर ने कलर्स को विज्ञापन देने से परहेज किया था लेकिन अब वह भी सामने आ रही है। अगर विज्ञापनों के समय के लिहाज से देखें तो यह स्टार और जी से थोड़ा पीछे ही है। मीडिया प्लानर्स का कहना है कि कलर्स के टॉप शो के दौरान विज्ञापनों की दर स्टार और जी के लगभग बराबर ही है।
पूरी दुनिया में फैले आर्थिक संकट का असर मीडिया पर किस तरह से पड़ सकता है इस पर एनडीटीवी इमेजिन के समीर नायर कहते हैं, ‘इस आर्थिक संकट का असर मीडिया के विज्ञापनों और मार्केटिंग पर पड़ेगा।’ कामत अपने चैनल को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है, ‘अभी बहुत बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार होना है और एक बड़ी जंग बाकी है।’ कलर्स की सफलता के आंकड़े कुछ भी कहते हों लेकिन छोटे पर्दे पर इसे एक नए बादशाह का दर्जा देना कुछ जल्दबाजी होगी।