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  लेख  नए वर्ष को आकार देनेवाले संभावित रुझान
लेख

नए वर्ष को आकार देनेवाले संभावित रुझान

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —December 27, 2021 11:12 PM IST0
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चंद रोज में समाप्त होने जा रहा वर्ष 2021 दुनिया के लिए बहुत अच्छा नहीं साबित हुआ। 2022 हमारे लिए कैसा साबित हो सकता है? आमतौर पर एक वर्ष के बाद दूसरा वर्ष आता है, नया वर्ष निरंतरता और बदलाव का मिलाजुला रूप होता है। कई बार बदलाव मौजूदा रुझानों के गायब होने या उनके गहरा होने को परिलक्षित करता है। कई बार कोविड-19 जैसी घटनाएं अचानक सामने आती हैं जैसा कि 2019-20 के दौरान हुआ।
 
महत्त्वपूर्ण रुझान जो हैं बरकरार
सबसे स्पष्ट है कोविड महामारी। अक्टूबर 2021 तक लग रहा था कि हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। टीकाकरण तेज था और नए संक्रमणों की तुलना में पुराने संक्रमण अधिक थे। परंतु एक माह पहले दक्षिण अफ्रीका में अत्यधिक संक्रामक नए स्वरूप ओमीक्रोन का पता चला। यह नया प्रकार अब यूरोप और अमेरिका समेत करीब 100 देशों में फैल चुका है। अगले कुछ महीनों में स्वास्थ्य, जीवन और आजीविका को भारी नुकसान होने की आशंका है।
महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों का डिजिटलीकरण तेज हुआ। तकनीकी रूप से उन्नत देशों में इसने ज्यादा जोर पकड़ा। इसके अलावा तकनीकी कंपनियों का बहुत तेजी से विस्तार हुआ। 2022 में और उसके बाद भी यह जारी रहेगा।
डिजिटल डेटा जुटाने और उस पर नियंत्रण करने का सिलसिला आगे चलकर और जोर पकड़ेगा। यह न केवल कंपनियों बल्कि देशों की तकदीर बदलने वाला साबित हो सकता है। कंपनियों और देशों के बीच साइबर विवाद के मामले बढ़ सकते हैं। सरकारों और नागरिकों के बीच भी ऐसा होना संभव है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा और अधिनायकवादी प्रवृत्तियों ने निजता और उदारता को लेकर पुराने समझौतों को पीछे छोड़ दिया है।
वैश्विक व्यापार 2020 के कठिन समय से उबर रहा है और संभव है कि यह 2022 में गतिशील रहेगा और साथ ही बड़े क्षेत्रीय व्यापार समझौतों की महत्ता बढ़ेगी। ऐसे समझौते प्राय: उत्तरी अमेरिका, यूरोप और पूर्वी / दक्षिण पूर्वी एशिया में देखे जा सकते हैं।
अमेरिका में जनवरी 2021 में जो बाइडन और कमला हैरिस के सरकार में आने के बाद आशाएं बढ़ी थीं लेकिन अब भी राष्ट्रवादी राजनीतिक और आर्थिक नीतियों का रुझान जारी है और कई क्षेत्रों में बहुपक्षीयता के प्रयास धूमिल हुए हैं। कोविड टीकों के वितरण में वैश्विक असमानता ने इसमें इजाफा किया है। गरीब देश और विश्व स्वास्थ्य संगठन की बार-बार गुहार के बावजूद टीकों के वितरण में समानता नहीं आई। गत माह ग्लासगो संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन संबंधी बैठक सीओपी26 में भी कुछ खास प्रगति नहीं हुई तथा विश्व व्यापार संगठन का घटता प्रभाव भी इसकी बानगी है।
मानवजनित कारणों से जलवायु परिवर्तन की गति तेज हुई है और सन 2022 में भी यह धरती के पर्यावरण, पर्यावास और मानव जीवन तथा आजीविका को प्रभावित करता रहेगा। मौसम के उतार-चढ़ाव, गर्म होते महासागर, कृषि लायक भूमि का क्षय और उत्पादकता की हानि जैसी घटनाएं बढ़ेंगी।
पश्चिम एशिया और अफ्रीका में विभिन्न देशों में गृहयुद्ध और अन्य तरह की नाकामी के कारण लाखों लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे और कई हजार लोग ऐसे दुर्भिक्ष के कारण मारे जाएंगे जिसे टाला जा सकता है। विश्व स्तर पर शरणार्थी संकट बढ़ेगा। सीरिया, इराक, यमन, अफगानिस्तान, कॉन्गो, इथियोपिया और सूडान पर विचार कीजिए।

वैश्विक विवाद संभावित क्षेत्र
नए वर्ष में विभिन्न देशों के बीच बहुत कम समय के नोटिस पर विवाद बढ़ सकता है लेकिन इनका अपना एक इतिहास होता है। ऐसी तमाम बातें हैं जो वैश्विक शांति पर असर डाल सकती हैं। वियना में ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते के नए संस्करण पर बातचीत के प्रयास एक महीने तक चले लेकिन इसका कुछ खास लाभ हासिल नहीं हुआ। खतरा यह है कि अगर 2022 में भी गतिरोध यूं ही बरकरार रहा तो ईरान के परमाणु संयंत्रों पर इजरायल के हमलों का खतरा बहुत बढ़ जाएगा। वह ऐसे हमले अमेरिका की सहमति से या उसके बगैर भी कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पश्चिम एशिया में विवाद काफी बढ़ जाएगा।
यूक्रेन भी लंबे समय से संभावित विवादित क्षेत्र बना हुआ है। हाल के दिनों में यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े ने अमेरिका तथा नाटो सहयोगियों की ओर से कई तरह के प्रतिरोधात्मक आर्थिक तथा अन्य कदमों का खतरा उत्पन्न किया है। सन 2022 में यह विवाद कहां जाएगा यह सवाल अनुत्तरित है क्योंकि कोई आश्वस्त करने वाला हल अभी तक नजर नहीं आ रहा है।
राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन की आक्रामकता बढ़ती ही जा रही है और उसने हॉन्गकॉन्ग में वास्तविक लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है। ताइवान शी के नेतृत्व वाले चीन के निशाने पर है और 2022 में ताइवान या उसके छोटे टापू छेमोय अथवा मात्सू के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की आशंका नकारी नहीं जा सकती। अगर अमेरिका ताइवान की मदद के लिए आया तो इस संघर्ष के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
जैसा कि सन 2020 के सशस्त्र संघर्ष ने दिखाया, लद्दाख क्षेत्र में तथा अन्य क्षेत्रों में जहां सीमा निर्धारित नहीं है, भारत-चीन के बीच विवाद की आशंका 2022 में बनी रहेगी। हालांकि किसी बड़ी लड़ाई की आशा नहीं है लेकिन चीन के व्यवहार को देखते हुए किसी तरह की गारंटी नहीं है।

बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अहम घटनाएं
नवंबर में होने वाले अमेरिकी कांग्रेस के चुनाव बाइडन प्रशासन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। रिपब्लिकन नियंत्रित राज्यों में सतत और सफल ढंग से चुनाव पूर्व चालबाजियों के चलते इस बात की काफी संभावना है कि इन चुनावों के बाद सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स दोनों जगह बहुमत में आ जाएंगे। उस स्थिति में बाइडन और डेमोक्रेटिक पार्टी की किसी भी विधायी पहल के समक्ष गतिरोध पैदा किया जा सकेगा। ज्यादा खतरनाक बात यह है कि इससे नवंबर 2024 में एक बार फिर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की बुनियाद रखी जा सकती है।
चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस 2022 की दूसरी छमाही में आयोजित होगी और संभव है कि देश के शीर्ष नेता के रूप में राष्ट्रपति शी चिनफिंग को असाधारण रूप से तीसरा कार्यकाल मिल जाए। जैसा कि इस माह के आरंभ में स्तंभकार श्याम सरन ने इसी अखबार में लिखा था चीन की सालाना सेंट्रल इकनॉमिक वर्क कॉन्फ्रेंस में वृहद आर्थिक स्थिरता की पुष्टि की गई। चीन में परिसंपत्ति बाजार के संकट को देखते हुए यह एक कड़ा नीतिगत चयन था। वहां घरेलू मांग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, आर्थिक वृद्धि में धीमेपन को स्वीकार करने की तैयारी है और तकनीकी उन्नयन के मामले में पहले से शानदार प्रदर्शन पर वह नए सिरे से जोर दे रहा है।
यूरोप के वैश्विक नेतृत्व की भी 2022 में परीक्षा होगी क्योंकि जर्मनी में एंगेला मर्केल 16 वर्ष बाद विदा हो चुकी हैं। 2022 में हिंद प्रशांत क्षेत्र और विश्व स्तर पर भारत की भूमिका इस बात पर निर्भर करेगी कि वह मजबूत, स्थायी और रोजगार तैयार करने वाली आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित कर पाता है या नहीं। उसे पड़ोसी देशों से मजबूत आर्थिक और कारोबारी संबंध भी कायम करने होंगे।
(लेखक इक्रियर में मानद प्राचार्य और भारत सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार हैं। लेख में उनके निजी विचार हैं)

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