बराक ओबामा का अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना ऐतिहासिक है, लेकिन दुनिया की तमाम आईटी कंपनियों की निगाहें ओबामा की नीतियों को जानने के लिए बेताब हैं।
ओबामा करिश्माई नेता हैं और वे इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया के उद्योगों के लिए प्रतिस्पद्र्धा कितनी जरूरी है। वैसे भी, ओबामा की जीत में इंटरनेट की भूमिका को तो पूरी दुनिया जानती ही है।
ऐसी स्थिति में आईटी विरोधी नीतियों का तो सवाल ही नहीं उठता है। अब जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, भारत और अमेरिका इस पर काबू करने के लिए सामूहिक नीतियां बनाने पर जोर देंगे।
हमलोगों ने इससे पहले भी एच-1 वीजा योजना के विस्तार का समर्थन किया था, ताकि कंपनियों को अपनी अमेरिकी ऑपरेशन में आसानी हो। इस बात की उम्मीद है कि अमेरिकी सरकार और अमेरिकी व्यापार जगत अच्छे संबंध आगे बढ़ाएंगे।
ओबामा प्रशासन को लेकर भी इस बात की उम्मीद करते हैं कि आईटी उद्योग को लेकर भारत और अमेरिका में जो द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते हुए हैं, वे और ज्यादा मजबूत होंगे। अमेरिका की 111 वीं कांग्रेस में ओबामा के नेतृत्व में भारतीय आईटी का भविष्य अच्छा रहेगा।
बातचीत : कुमार नरोत्तम