देश के शेयर बाजार जनवरी के महीने में जिन ऊंचाइयों पर थे, उनके मुकाबले ये अब करीब 50 प्रतिशत नीचे आ गए हैं।
इसके बावजूद निवेशकों के लिए यह वक्त भी बहुत अच्छा है क्योंकि इस समय ब्लूचिप कंपनियों के शेयर कम दाम में मिल सकते हैं। आखिर भारतीय अर्थव्यवस्था की गाथा अभी समाप्त नहीं हुई है। हालांकि पिछले 2 सालों से भारत आर्थिक विकास दर 9 प्रतिशत न होकर 7 प्रतिशत ही रही है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता है।
भारतीय शेयरों की मजबूती तो हमेशा की तरह बरकरार ही रहेगी। भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था है। दरअसल हमारे देश का घरेलू बाजार भी बहुत मजबूत है, जिसमें बेहद कुशल और दक्ष लोग हैं और उनके पास कारोबार करने की क्षमता भी होती है। यहां के बाजार में बहुत मोल-तोल होता है।
शेयर का मूल्यांकन आमतौर पर कीमत आय के गुणक से किया जाता है।अगर इतिहास के पन्ने को टटोलें तो आप पाएंगे कि तीन या चार सालों में या उससे भी लंबी अवधि में शेयरों ने काफी अच्छा मुनाफा दिया है।
लेकिन ऐसा मुकाम हासिल करने के लिए थोड़े धैर्य की जरूरत होती है। यह बेहद महत्त्वपूर्ण बात है कि आप ज्यादा लालची न बनें। अगर आपको अच्छे पैसे मिल रहे हैं तो फिर ज्यादा पैसों के बारे में सोचना ठीक नहीं है।
दरअसल कई निवेशकों की समस्या यह है कि जब शेयरों की कीमतें बढ़ रही होती हैं तो वे शेयरों को बेचने में हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें और ज्यादा पाने का लालच होता है। आपको अपने लगाए हुए पैसे का 60 से 70 फीसदी पाने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
अगर आपको 40 फीसदी भी ज्यादा मिल रहा है तो आप अपने पैसे शेयर बाजार से निकाल लें। इसकी वजह यह समझें कि कोई भी संपत्ति आपको इस तरह का फायदा नहीं दे सकती और वह भी बिल्कुल टैक्स फ्री। लेकिन यह सब कुछ तभी संभव है जब आप अपने शेयर को एक साल से ज्यादा तक बनाए रखें।
बेहतर विकल्प निवेश के
जो लोग स्टॉक पर अपनी नजर नहीं रख पाते उनके लिए यह बेहतर होगा कि वे म्युचुअल फंड में निवेश करें वह भी ‘सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए। दरअसल यह एक ऐसा निवेश होगा जिसके लिए आपको हर महीने बस थोड़ी सी रकम का निवेश करना होगा।
हर महीने थोड़ी सी रकम की बचत करके उसका निवेश करने से किसी को कोई ज्यादा परेशानी भी नहीं होती और लोग अपने निवेश के लिए बेहतर मुनाफा भी पा सकते हैं।यहां सभी तरह के म्युचुअल फंड होते हैं।
मसलन इंडेक्स फंड में सूचकांक को ध्यान में रखकर निवेश किया जाता है। लार्ज कैप फंड के तहत बड़ी कंपनियों में निवेश किया जाता है। मिड कैप फंड के जरिए छोटी कंपनियों पर दांव लगाया जाता है।
इसके अलावा सेक्टर फंड होते हैं जो किसी विशेष क्षेत्र मसलन बुनियादी ढांचे से संबंधित क्षेत्र या दवाओं से संबंधित उद्योगों में भी अपने विकल्प तलाशते हैं। एक बैलेंस फंड भी होता है इस स्कीम के तहत पैसे को निश्चित आय वाली योजनाओं में और कुछ पैसे को शेयर में लगाया जाता है।
आप इसमें से किसी को भी चुन सकते हैं लेकिन अगर आप पहली बार कोई निवेश करना चाहते हैं तो आपको लार्ज-कैप डाइवर्सिफाइड फंड में ही निवेश करना चाहिए। यह आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप अपने पैसे के लिए किसी बेहतर फंड की योजना को ढूंढे।
मसलन आपको यह जरूर समझ लेना चाहिए कि आप जहां अपने पैसे लगा रहे हैं उस फंड का पहले प्रदर्शन कैसा रहा है। इसके जरिए आप यह जायजा लगा सकते हैं कि सबसे बेहतर प्रदर्शन वाले फंड हाउस कौन से हैं। स्टॉक मार्केट के शेयर को खरीदने का एक और विकल्प हम आपको बताने जा रहे हैं। आपके निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प है यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)।
इस निवेश के साथ आपके पास बीमा की सुविधा भी मिलेगी। यूलिप भी म्युचुअल फंड की तरह बेहतर निवेश का एक जरिया है। हालांकि बीमा की सुविधा वाली यूलिप स्कीम आपको बहुत महंगी लग सकती है क्योंकि इस योजना के लिए आपको ज्यादा पैसे लगाने पड़ते हैं और आपको इसके लिए कुछ निर्धारित फीस भी चुकानी पड़ेगी।
इसके अलावा ऐसे फंड में डेट और इक्विटी के हिस्से भी होते हैं। याद रखें कि इक्विटी में थोड़ा जोखिम होता है और आपको हर समय पैसे गंवाने के लिए तैयार रहना चाहिए। मैं तो यही कहूंगी कि अगर आप युवा हैं और आपकी उम्र 35 साल से कम है या 40 साल से भी कम है तो आपके लिए यह बाजार में निवेश करने का सबसे बेहतर मौका हो सकता है।
आपने अपने पास अगर कुछ रकम बचा रखी है तो आप उसका 30 फीसदी इक्विटी में लगा सकते हैं।
बैंकों पर करें भरोसा
शेयर में पैसे लगाने के बाद भी कुछ पैसे हैं तो आप अपने पैसे को बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर जमा करा सकते हैं या फिर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया बॉन्ड में लगा सकते हैं। इस तरह से आपके पैसे सुरक्षित रहेंगे और आपको कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ेगा।
आप अपने पैसे किसी काम के वक्त पर निकाल भी पाएंगे यानी आप अपने फिक्सड डिपॉजिट को तोड़ भी सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको पेनाल्टी के तौर पर कुछ पैसे चुकाने ही पडेंग़े। हालांकि ब्याज दरों में अब कुछ बढ़ोतरी दिख रही है ऐसे में आपके पास यह बेहतर मौका है कि आप अपने पैसे को थोड़े लंबे समय के लिए, कम से कम तीन सालों के लिए 10.5-11 फीसदी की दर पर बैंक में रखें।
इससे आपको कर वगैरह चुकाने के बाद भी 7 फीसदी का मुनाफा तो मिल ही जाएगा। अगर आपको लगता है कि लंबे समय मसलन चार साल तक पैसों की खास जरूरत नहीं है तो आप दीर्घ अवधि जमा का विकल्प चुन सकते हैं। पिछले दिनों में फिक्सड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी)के जरिए लोगों को काफी फायदा मिला है।
मुझे लगता है कि यहां बहुत सारे जिम्मेदार फंड मैनेजर हैं जो सब-स्टैंडर्ड पेपर में पैसे का निवेश करने या रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में निवेश नहीं करेंगे। शायद कुछ लोग बाजार में तरलता की स्थिति के सुधरने का इंतजार भी कर सकते हैं और उसके बाद ही वे एफएमपी की खरीदारी कर सकते हैं।
इसमें पैसे लगाने से आपको फिक्स्ड डिपॉजिट से भी बेहतर मुनाफा होगा। खासतौर पर जब किसी पेपर की मैच्योरिटी का समय एक साल से ज्यादा है तो आपको इसमें कर के रूप में मुनाफा भी मिलेगा। एक बार फिर मैं यह कहना चाहूंगी कि आप बहुत अच्छी और जानी-मानी कंपनियों और फंड हाउस के लिए ही निवेश करें और थोड़ा धैर्य से इंतजार करें।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि धनतेरस के मौके पर अगर आप सोने की खरीदारी करें तो बेहतर होगा। सोने में निवेश करना आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। अगर इसके बाद भी आपके पास पैसे बचें हैं तो आप पार्टी करके मौज मस्ती करें।
बनाएं संतुलित पोर्टफोलियो
इस मुश्किल दौर में आप कहां पर पैसा लगाएं, इसका जवाब ढूंढ पाना खासा मुश्किल होता जा रहा है। शेयर बाजार में पिछले दस महीनों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। इस गिरावट की वजह से इक्विटी बाजारों से निवेशकों का भरोसा टूटता जा रहा है।
फिलहाल अच्छी खबर बैंकों से ही आ रही है। बैंक एक से दो साल के सावधि जमा पर 10 से 10.5 फीसदी ब्याज दे रहे हैं। इसके अलावा सोना भी बढ़िया विकल्प के रूप में सामने है। पिछले एक साल में ईटीएफ ने 25 फीसदी का मुनाफा दिया है।
बैंकों की सावधि जमा और सोने के आकर्षक होने की वजह से अगर मैं अपना सारा पैसा इसमें लगा देता हूं तो इक्विटी बाजार में मेरी कुछ भी मौजूदगी नहीं रहेगी। हो सकता है, बाजार में अनिश्चितता के चलते मैं ऐसा कदम उठा भी लूं। लेकिन जब स्थितियां बदलेंगी तब डेट के जरिये मेरा रिटर्न कम होता जाएगा।
और ऐसा भी हो सकता है कि मैं हर साल अपना डेट का पैसा इक्विटी में लगाता जाऊं। अगर शेयर बाजार तेजी पर होगा तो मैं उसमें पैसा लगाने से हिचकूंगा क्योंकि तब मुझे रिटर्न अपेक्षाकृत कम मिलेगा। इस स्थिति से निपटने का एक ही कारगर तरीका है और वह है चीजों को जितना हो सके उतना सरल बनाना।
अगर मैं धारा 80 के तहत मिलने वाली कर छूट का फायदा उठाऊं तो मुझे कुछ चुनिंदा योजनाएं देखनी होंगी। इनमें इक्विटी से जुड़ी बचत योजनाएं, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, कर्मचारी भविष्य निधि, राष्ट्रीय बचत पत्र, होम लोन पर चुकाया गया मूलधन जैसी योजनाएं तो शामिल होंगी ही साथ ही धारा 80 डी के तहत मैं अपनी बीमा जरुरतों का भी ध्यान रखूंगा। इसके बाद मैं अपना पोर्टफोलियो बनाउंगा।
कैसे करें निवेश
मैं अपने निवेश को इस तरह समायोजित करना चाहूंगा। मैं चाहूंगा कि 30 फीसदी डेट में, 10 फीसदी गोल्ड ईटीएफ में और बाकी बचा 60 फीसदी इक्विटी में निवेश किया जाए। इसको इस तरह समझते हैं।
मान लीजिए, मेरी महीने की आमदनी 50,000 रुपये है और मेरे बचत खाते में 3 लाख रुपये की रकम है। मैं तुरंत इस रकम में से 1.8 लाख रुपये डेट, गोल्ड ईटीएफ और इंडेक्स फंडों में लगाउंगा।
मैं 2,500 रुपये प्रति माह के चार मासिक सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) से अपना इक्विटी पोर्टफोलियो तैयार करुंगा। इसका फायदा यह होगा कि किसी भी आपात स्थिति के लिए मेरे बचत खाते में 1.1 लाख रुपये की रकम रहेगी।
इसमें अभी और भी गुंजाइश है। डेट में में भी कई विकल्प हैं। लंबी और छोटी अवधि के म्युचुअल फंड, सावधि जमा, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) के अलावा और भी विकल्प मौजूद हैं। वहीं अगर इक्विटी की बात करें तो इसमें शेयर, इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड और सेक्टर फंड जैसे विकल्प हैं।
मैं 30 फीसदी रकम डेट में निवेश करना चाहूंगा, 20 फीसदी (60,000 रुपये) राशि मैं बैंकों की सावधि जमा योजनाओं में लगाऊंगा, 10 फीसदी (30,000 रुपये)रकम फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में और और 10 फीसदी राशि ही मैं गोल्ड ईटीएफ में लगाना चाहूंगा। एक साल से ज्यादा की सावधि जमा योजना को लेने के बाद मैं अपने डेट पोर्टफोलियो को सिथरता देना चाहूंगा जो मुझे 10 से 10.5 फीसदी रिटर्न दे सके।
लेकिन ब्याज के जरिये कमाई से मुझे आयकर भी अधिक देना होगा। दूसरी ओर एफएमपी (13 से 14 महीनों के लिए) में किए गए 10 फीसदी रकम के निवेश में मुझे डबल इंडेक्सेशन बैनेफिट मिलेगा। यह कैसे होगा मैं आपको समझाता हूं। मान लीजिए मैंने 20 फीसदी निवेश मार्च 2008 को एफएमपी में किया है और यह 10 मई 2009 को मैच्योर हो रहा है।
इस तरह मेरे रिटर्न पर 10 फीसदी (इंडेक्सेशन के बिना) और 20 फीसदी (2007-08 के और 2009-10 के इनफ्लेशन इंडेक्सेशन बैनेफिट के बाद) टैक्स ही लगेगा। यह बात काफी हद तक ठीक है कि एफएमपी में जोखिम थोड़ा ज्यादा रहता है लेकिन रिटर्न भी तो 11 से 11.5 फीसदी तक मिलता है।
दस फीसदी रकम यानी 30,000 रुपये सोने में निवेश का एकदम साफ मतलब है कि सोने में तेजी का मुझे फायदा मिलने वाला है। जहां तक इक्विटी की बात है, तो 60,000 रुपये के निवेश में से 20 फीसदी तो मामूली प्रवेश प्रभार और दूसरे खर्चों की वजह से इंडेक्स फंड में चला जाएगा।
जहां सेंसेक्स दस हजार से भी नीचे जाकर चार अंकों में आ गया है, इसका साफ अर्थ है कि अब सेंसेक्स जब भी ऊपर जाएगा मुझे मुनाफा होना तय है, भले ही इसमें अभी कुछ वक्त लग जाए। दो अन्य इक्विटी निवेशों में सुरक्षा और तेजी दोनों रहेंगी। मैं चार एसआईपी (प्रत्येक 2,500 रुपये कीा) लेना चाहूंगा जिनमें तीन लार्ज कैप इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड और एक सेक्टर फंड होगा।
मैं टॉप 10 फंडों का प्रदर्शन और रिसर्च डाटा देखकर उनमें कम से कम 3 साल के लिए निवेश करना चाहूंगा। अगर सेक्टर फंड की बात करें तो मैं इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर दांव लगाउंगा क्योंकि मुझे लगता है कि जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी यह क्षेत्र भी उतनी तेजी से ही बढ़ेगा। और मैं पांच साल की अवधि के लिए निवेश करुंगा।