भारत में सफलता के सोपान पर लगातार अग्रसर अधिकांश स्टार्टअप कंपनियों पर चीन की भी छाप दिख रही है। इनमें अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और सिंगापुर के अलावा चीन की कंपनियों से भी निवेश आया है। इन स्टार्टअप के दमदार प्रदर्शन के बाद इनके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आने की चर्चा भी तेज हो गई है। हर तरफ भारतीयों की उद्यमशीलता की तारीफ हो रही है और स्टार्टअप खंड में तो जैसे उत्सव का माहौल है। हालांकि इन इकाइयों की बेजोड़ सफलता में वैश्विक निवेशकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
इस समय खासकर वे स्टार्टअप कंपनियां सुर्खियों में हैं जो पिछले लगभग एक दशक के दौरान अस्तित्व में आई हैं और उन्होंने अपने मजबूत प्रदर्शन से सबको चकित कर दिया है। इन कंपनियों के लगातार उठने की कुछ खास वजह रही हैं। पहली बात तो उन्हें कारोबार बढ़ाने के लिए कभी भी रकम की कमी नहीं हुई। दूसरी बात यह कि जब वे नुकसान में थीं तब भी उन्होंने अपना जज्बा कम होने नहीं दिया। उनका मूल्यांकन लगातार बढ़ता रहा और अब मुनाफा अर्जित करने या कम से कम नफा न नुकसान की स्थिति में आने के बाद वे सूचीबद्ध होने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
देश में इतनी तेजी के साथ ‘यूनिकॉर्न’ (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली स्टार्टअप इकाई) खड़ा करने में विदेशी निवेशकों का बड़ा हाथ रहा है। इन निवेशकों में अमेरिका की टाइगर ग्लोबल से लेकर चीन की अलीबाबा और जापान की सॉफ्टबैंक से लेकर सिंगापुर की टेमासेक तक शामिल हैं। इनमें कई कंपनियां लंबे समय से निवेश करने में आगे रही हैं और कई भारतीय उद्यमियों के कारोबार पर इन्होंने अपना नियंत्रण भी स्थापित कर लिया। अब कुछ जानी-मानी स्टार्टअप इकाइयां आईपीओ लाने जा रही हैं इसलिए अब सभी की नजरें विदेशी निवेशकों पर हैं जो इस प्रक्रिया में अपनी हिस्सेदारी कम कर सकते हैं।
सबसे पहले पेमेंट्स-टू-ऑनलाइन मार्केटप्लेस कंपनी पेटीएम की बात करते हैं। कंपनी इस वर्ष के अंत में एक बड़ा आईपीओ लेकर आएगी। चीन की ऐंट फाइनैंशियल समर्थित यह कंपनी 3 अरब डॉलर का आईपीओ ला रही है, जिससे इसका मूल्यांकन बढ़कर 25 से 30 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। पिछले वर्ष जब कंपनी रकम जुटा रही थी तो इसका मूल्यांकन करीब 20 अरब डॉलर था। इस कंपनी के साथ एक खास बात यह है कि सॉफ्टबैंक, अलीबाबा समूह का ऐंट फाइनैंशियल और एलिवेशन कैपिटल सहित कोई भी अपनी हिस्सेदारी कम नहीं करना चाहती हैं और वे हिस्सेदारी बरकरार रखना चाहेंगी।
अगले साल के शुरू में बेंगलूरु की फ्लिपकार्ट भी अपना बड़ा आईपीओ लाने जा रही है। फ्लिपकार्ट पर अब वॉलमार्ट का नियंत्रण है। जहां पेटीएम भारत में या विदेशी बाजारों दोनों जगहों पर सूचीबद्ध होना चाह रही है, वहीं फ्लिपकार्ट भी अमेरिका और सिंगापुर के बाजार में सूचीबद्ध होने की योजना तैयार करने में जुटी है। फ्लिपकार्ट के आईपीओ का आकार संभवत: पेटीएम से अधिक होगा। मूल्यांकन के लिहाज से इस कंपनी का आकार 35 से 40 अरब डॉलर है। आईपीओ में इसका संभावित मूल्यांकन 45 से 50 अरब डॉलर तक आंका जा सकता है।
ई-कॉमर्स क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी की सफलता में भी दिग्गज विदेशी निवेशकों का अहम योगदान रहा है। फ्लिपकार्ट की स्थापना 2007 में हुई थी। जब वॉलमार्ट 2018 में फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर रही थी उस समय सॉफ्टबैंक इससे बाहर निकल गई थी। इसके मौजूदा निवेशकों में अब टाइगर ग्लोबल, डीएसटी ग्लोबल और आइकोनिक कैपिटल शामिल हैं। चीन की टेनसेंट ने भी पिछले वर्ष फ्लिपकार्ट में निवेश किया था और इसकी कंपनी में अल्पांश हिस्सेदारी है।
ऑनलाइन ऑर्डर लेकर खान-पान पहुंचाने वाली जोमैटो भी आईपीओ लाने की कतार में खड़ी है। इसने बाजार नियामक को जरूरी दस्तावेज भी सौंप दिए हैं। स्टार्टअप कंपनियों में इसका आईपीओ सबसे पहले आ सकता है। जोमैटो 1.1 अरब डॉलर का आईपीओ लाने पर विचार कर रही है। इस समय कंपनी का मूल्यांकन 5.4 अरब डॉलर है और इस लिहाज से आईपीओ में कंपनी का मूल्यांकन 6.4 अरब डॉलर तक आंका जा सकता है। इसके निवेशकों में इन्फो एज, टाइगर ग्लोबल, कोरा, फिडिलिटी, बॉ वेव और डे्रगोनीयर शामिल हैं। जोमैटो ने चीन की कंपनियों ऐंट फाइनैंशियल और शुनवेई से भी रकम जुटाई है।
ऑनलाइन ऑर्डर लेकर किराना सामान पहुंचाने वाली बिग बास्केट भी कई कंपनियों से निवेश आकर्षित करने में कामयाब रही है। हरि मेनन के नेतृत्व में पांच उद्यमियों ने 2011 में बिगबास्केट की स्थापना की थी। इस कंपनी में चीन की अलीबाबा सहित विभिन्न चरणों में कई बड़ी कंपनियों ने निवेश किया है। हाल में टाटा समूह ने इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदी है। इसका मूल्यांकन करीब 1.8 अरब डॉलर रुपये है। मेनन ने पिछले वर्ष कहा था कि बिग बास्केट आने वाले वर्षों में अपना आईपीओ लाएगी।
आतिथ्य क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनी ओयो होटल्स का मूल्यांकन भी पिछले कुछ वर्षों में उछल गया है। हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान कंपनी का कारोबार ठप हो गया है, लेकिन हाल में रकम जुटाने के दौरान इसका मूल्यांकन 9 अरब डॉलर आंका गया था। इसके निवेशकों में सॉफ्टबैंक, सिकोया, एयरबीएनबी और लाइटस्पीड शामिल हैं। चीन की दीदी चुशिंग और चाइना लॉजिंग ग्रुप ने भी कंपनी में रकम लगाई है। कंपनी जल्द ही अपना आईपीओ ला सकती है।
महामारी खत्म होने या इसके कमजोर पडऩे के बाद कई और स्टार्टअप कंपनियां अपना आईपीओ लाने की सुगबुगाहट शुरू कर सकती हैं। बैजूस, डेल्हीवेरी, फ्रेशवक्र्स, नायिका और पॉलिसीबाजार ऐसी ही कुछ कंपनियां होंगी। देशी एवं विदेशी निवेशकों के रकम से लैस किसी स्टार्टअप के लिए क्या वाकई यह मायने रखता है कि वह भारत में सूचीबद्ध हो रही है या विदेश में?
