Skip to content
  शुक्रवार 27 जनवरी 2023
Trending
January 27, 2023Gold Rate Update: स्पॉट में शुरुआती कमजोरी से उबरा सोना, MCX पर अभी भी दबाव मेंJanuary 27, 2023INR vs USD: रुपया आठ पैसे मजबूत होकर 81.53 प्रति डॉलर पर बंदJanuary 27, 2023औंधे मुंह गिरा शेयर बाजार, सेंसेक्स 874 अंक टूटकर 60 हजार के नीचे आयाJanuary 27, 2023Hitachi टर्मिनल सॉल्यूशंस इंडिया ने ‘कैश रिसाइक्लिंग मशीन’ के विनिर्माण के लिये कारखाना लगायाJanuary 27, 2023आईसीसी ने Women’s T20 World Cup के लिए सभी महिला मैच अधिकारियों के पैनल की घोषणा कीJanuary 27, 2023Covid 19 : साउथ कोरिया ने चीन से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध की अ‍वधि बढ़ाईJanuary 27, 2023Indonesia Masters : लक्ष्य सेन इंडोनेशिया मास्टर्स के क्वार्टर फाइनल में हारेJanuary 27, 2023घरेलू शेयर बाजारों में अब सौदों का निपटान कारोबार के एक दिन के भीतर होगाJanuary 27, 2023पीएम मोदी का छात्रों को ‘शॉटकर्ट’ ना अपनाने का सुझाव, कहा नकल से ‘शॉर्ट टर्म’ में फायदा लेकिन ‘लॉन्ग टर्म’ में नुकसानJanuary 27, 2023‘परफोरमेंस मेंटोर’ के तौर पर वेस्टइंडीज के साथ काम करेंगे Brian Lara
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  पतली होने लगी है मुनाफे की मोटी मलाई
लेख

पतली होने लगी है मुनाफे की मोटी मलाई

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —September 1, 2008 1:04 AM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

दुनिया की दो बड़ी परिसंपत्तियों, यूरो और कच्चे तेल में पिछले कुछ हफ्तों में काफी तेजी देखी गई। 14 जुलाई को एक यूरो की कीमत 1.60 डॉलर के बराबर पहुंच गई थी।


यह 1999 में इसके जन्म के बाद का इसका सबसे ऊंचा स्तर था। पिछले एक साल में यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी तेजी से चढ़ता जा रहा था। लोगों को लग रहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था बस कुछ ही समय में मंदी की गर्त में जाने वाली है।

लेकिन तब से लेकर अब तक काफी कुछ बदल चुका है। मेरे इस आलेख को लिखते वक्त (29 अगस्त) तक यूरो बाजार में 1.47 डॉलर की कीमत में बिक रहा था। मतलब, 45 दिनों के इस वक्त में यूरो की सेहत में नौ फीसदी की गिरावट आ चुकी है। विश्लेषक यूरो की सेहत और कमजोर होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वैसे, ये वही लोग हैं, जो जुलाई में यूरो में और मजबूती की भविष्यवाणी कर रहे थे।

अब वही जमात यह कह रही है कि यूरो अगले कुछ महीनों में 1.40 डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है। इससे आपका पता चल ही सकता है कि मुद्रा बाजार के बारे में भविष्यवाणी करने वाले लोग खुद ही कितने भ्रम में रहते हैं।

तेल की कीमतों में भी इसी तरह का रुख देखा गया है। जुलाई की शुरुआत में न्यूयॉर्क मर्केन्टाइल एक्सचेंज में कच्चे तेल की कीमत 148 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच  गई थी। उस वक्त भी ऐसे लेखों और भविष्यवाणियों की कमी नहीं थी, जिनके मुताबिक साल के आखिर तक यह 200 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को भी पार कर जाएगा। लेकिन आज की तारीख में यह 115 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बिक रहा है।

लगभग सभी विश्लेषकों के अनुसार वह दिन दूर नहीं, जब कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ जाएगा। तो क्या वित्तीय बाजार में आजकल लोगों को बुध्दू बनाने का खेल चल रहा है? या बाजार खुद पर सचमुच अंकुश लगाने में जुटा हुआ है और फिर से बुनियादी बातों पर गौर कर रहा है? बाजार के इस बदले मूड की एक वजह तो यह हो सकती है कि मुनाफे की मोटी मलाई अब पतली होनी शुरू हो गई है।

निवेशक अब सस्ते में कर्ज लेकर उस पैसे को मोटी कमाई देने वाली कमोडिटी या मुद्राओं में नहीं लगा रहे हैं। अब वह ठीक उल्टा कर रहे हैं। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। पहली यह कि अब कर्ज लेना सस्ता नहीं रह गया है। एशियाई देशों के केंद्रीय बैंक पिछले कुछ महीनों से अपनी मौद्रिक नीतियों पर जबरदस्त तरह से लगाम लगा रहे हैं। इस वजह से वहां कर्ज लेना काफी महंगा हो चुका है।

ऊंची महंगाई दर के डर ने ही दूसरे बड़े केंद्रीय बैंकों जैसे यूरोपियन सेंट्रल बैंक और ब्रिटिश सरकार को ब्याज दरों के साथ छेड़खानी करने से रोक रखा है। इस वजह से दुनिया भर में तरलता में कमी आई है। यह तो हुआ कहानी का एक पहलू। माना कि दुनिया भर में तरलता में कमी आई है, लेकिन मुनाफे की मोटी मलाई का पतला होना तो काफी पहले से ही शुरू हो गया था।

लगता तो यही है कि बाजार समझ चुका है कि कर्ज का और महंगा होना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा साबित नहीं होगा। इसी कारण तो महंगी कमोडिटी और मुद्रा की मांग में कमी आई है। कई यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं, खास तौर पर जर्मनी और ब्रिटेन की बदतर विकास दर ने बाजार की इस बदली सोच में बड़ी भूमिका निभाई है। चीन की आर्थिक विकास पर लटकती तलवार ने भी इसमें खासा योगदान दिया है।

जर्मनी की विकास दर तो दूसरी तिमाही में घट कर केवल आधी फीसदी रह गई है। पेइचिंग ओलंपिक के शुरू होने के साथ ही यूरो और कच्चे तेल की सेहत में आई गिरावट को महज संयोग नहीं कहा जा सकता। चीन में ओलंपिक की तैयारी की वजह से मांग में काफी तेजी आ गई थी। अब जब ओलंपिक का खुमार उतर चुका है, तो निवेशकों के मुताबिक चीन की चीजों, खास तौर पर कमोडिटी की भूख में कमी आएगी।

मोटा-मोटी कहें तो कीमतों के तेजी से चढ़ते रहने की वजह से लोगों के मन में यह डर बैठ गया कि अगर कीमतें गिरनी शुरू हुईं तो उन्हें पाताल तक पहुंचने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। महंगी मुद्राओं के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। यूरोपियन सेंट्रल बैंक जैसे केंद्रीय बैंकों द्वारा ऊंची महंगाई दर के बावजूद भी मुद्रा की कीमत कम रखने की वजह से करेंसी के कारोबारी भी उसी राह चल निकले।

इस वजह से इन मुद्राओं से मिलने वाली मुनाफे की मोटी कमाई काफी हद तक कम हो सकती है। क्या होगा अगर यह मुनाफा कम होता रहा? इसे सबसे ज्यादा फायदा डॉलर को ही होगा। कारोबारी और फंड हाउस डॉलर परिसंपत्तियों का ही सहारा लेंगे, खास तौर पर अमेरिकी सरकार के बॉन्ड्स का।

फेड इस बात के संकेत पहले ही दे चुका है कि वह मंदी से बचने के लिए हर रुकावट को तोड़ने के लिए तैयार है, ताकि अमेरिकी परिसंपत्तियों पर लोगों का भरोसा फिर से कायम हो सके। साथ ही, वैश्विक मुसीबत के वक्त अमेरिकी संस्थागत निवेशक अपने ही बाजार में निवेश करना पसंद करते हैं। इस वजह से भी डॉलर की मांग और बढ़ सकती है।

मुद्दे की बात यह है कि इससे दूसरी मुद्राओं पर बोझ बढ़ जाएगा। इसलिए रुपये की कमजोर होती सेहत में अगले कुछ दिनों में सुधार आने की उम्मीद कम ही है। दूसरी बात यह है कि कमोडिटी की कीमतें और कभी पसंदीदा रही मुद्राओं की कीमत में अभी और गिरावट आने की उम्मीद है। शायद यह गिरावट इतनी तेज हो, जिसकी उम्मीद बाजार की बुनियादी बातों पर यकीन करने वाले लोगों को भी न हो।

अगर ओपेक कच्चे तेल के उत्पादन को कम करने के बारे में कोई साफ फैसला नहीं लेता है, तो उसे 100 डॉलर बैरल के स्तर से नीचे देखने पर भी मुझे कोई हैरानी नहीं होगी। हालांकि, कीमत केवल एक ही रास्ते पर नहीं चलती है। समय-समय पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में चिंताएं वापस लोगों के दिल में घर कर सकती हैं। इस वजह से लोग डॉलर को भी तेजी से बेचना शुरू कर सकते हैं।

इस वजह से कमोडिटी और यूरो की कीमतों में इजाफा हो सकता है। हालांकि, उम्मीद यही है कि इस दौर को लोग मुनाफा कमाने के लिए ही इस्तेमाल करेंगे। मुनाफा कम होना इस बात को दिखलाता है कि वैश्विक विकास की दर कम हो रही है। अभी यूरोपीय और एशियाई आर्थिक अखबारों की सुर्खियां जोश दिलाने से पहले लोगों के होश ठिकाने लगाएंगी। अमेरिकी अर्थव्यवस्था रातोंरात मंदी से बाहर नहीं आएगी।

यह एक खास तबके की हरकतों के बारे में बताता है। शेयर बाजार के लिए वैश्विक बाजार की बदतर होती हालत में अच्छा प्रदर्शन करना काफी मुश्किल काम है। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था कितना भी अच्छा प्रदर्शन क्यों न कर ले या फिर कंपनियों की हालत कितनी भी अच्छी क्यों न हो, स्थानीय शेयर बाजार अगले कुछ दिनों में मोटा मुनाफा नहीं दे पाएंगे।

आखिर में वैश्विक विकास दर की पतली हालत की वजह से जब जिंसों की कीमत कम होगी तो उससे महंगाई दर भी होगी। इसके बाद ज्यादातर केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करके विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इससे विकास वापस पटरी पर आएगा। इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है, लेकिन यह जमीन पर कैसे शक्ल लेगा, इस बारे में तो खुद भगवान भी नहीं बता सकते हैं। बाजार है ही इतनी मुश्किल चीज।

Begun to thin the profit is thick cream
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

Related Posts

  • Related posts
  • More from author
आज का अखबार

संतुलित रुख जरूरी

January 25, 2023 10:12 PM IST0
आज का अखबार

केवल अधिकार तय करे संस्थाओं का व्यवहार?

January 25, 2023 10:07 PM IST0
आज का अखबार

आधुनिक सूचना युद्ध में विदेशी राज्य तत्त्व

January 25, 2023 9:59 PM IST0
आज का अखबार

पहल का अवसर

January 23, 2023 10:39 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

ग्लोबल इकॉनमी में इंडिया ब्राइट स्पॉट: UN economist

January 26, 2023 4:25 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Russia-Ukraine War: यूक्रेन में रूस ने मिसाइल और ड्रोन से हमले किए

January 26, 2023 3:10 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Facebook पर दो साल बाद Trump की वापसी, Meta ने बहाल किया खाता

January 26, 2023 9:04 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Pakistan Economic Crisis: सरकारी कर्मचारियों की कट सकती है सैलरी

January 25, 2023 7:20 PM IST0
अन्य समाचार

आज का इतिहास | आज के ही दिन मदर टेरेसा को मिला था ‘भारत रत्न’ सम्मान

January 25, 2023 12:32 PM IST0
अन्य

Delhi Weather Update: राष्ट्रीय राजधानी में छाए बादल, न्यूनतम तापमान बढ़ा

January 25, 2023 11:27 AM IST0

Trending Topics


  • Stocks to Watch Today
  • FIH Hockey World Cup 2023
  • Gold Rate Today
  • Share Market Crash
  • Nepal plane crash
  • Adani Total Gas Limited
  • Air India
  • Pathaan Box Office Collection
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


Gold Rate Update: स्पॉट में शुरुआती कमजोरी से उबरा सोना, MCX पर अभी भी दबाव में

January 27, 2023 6:00 PM IST

INR vs USD: रुपया आठ पैसे मजबूत होकर 81.53 प्रति डॉलर पर बंद

January 27, 2023 5:48 PM IST

औंधे मुंह गिरा शेयर बाजार, सेंसेक्स 874 अंक टूटकर 60 हजार के नीचे आया

January 27, 2023 5:24 PM IST

Hitachi टर्मिनल सॉल्यूशंस इंडिया ने ‘कैश रिसाइक्लिंग मशीन’ के विनिर्माण के लिये कारखाना लगाया

January 27, 2023 5:04 PM IST

आईसीसी ने Women's T20 World Cup के लिए सभी महिला मैच अधिकारियों के पैनल की घोषणा की

January 27, 2023 4:54 PM IST

Latest News


  • Gold Rate Update: स्पॉट में शुरुआती कमजोरी से उबरा सोना, MCX पर अभी भी दबाव में
    by बीएस वेब टीम
    January 27, 2023
  • INR vs USD: रुपया आठ पैसे मजबूत होकर 81.53 प्रति डॉलर पर बंद
    by भाषा
    January 27, 2023
  • औंधे मुंह गिरा शेयर बाजार, सेंसेक्स 874 अंक टूटकर 60 हजार के नीचे आया
    by भाषा
    January 27, 2023
  • Hitachi टर्मिनल सॉल्यूशंस इंडिया ने ‘कैश रिसाइक्लिंग मशीन’ के विनिर्माण के लिये कारखाना लगाया
    by भाषा
    January 27, 2023
  • आईसीसी ने Women’s T20 World Cup के लिए सभी महिला मैच अधिकारियों के पैनल की घोषणा की
    by भाषा
    January 27, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
59330.90 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स59331
-8741.45%
निफ्टी59331
-8740%
सीएनएक्स 50014875
-2971.96%
रुपया-डॉलर81.57
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.556.34
Bajaj Auto3937.705.93
Supreme Inds.2538.155.23
AIA Engineering2602.954.82
Emami438.954.52
Kajaria Ceramics1097.304.51
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.606.34
Bajaj Auto3936.755.90
Supreme Inds.2538.955.18
AIA Engineering2598.754.71
Kajaria Ceramics1097.554.66
Tata Motors-DVR225.154.58
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks to Watch TodayFIH Hockey World Cup 2023Gold Rate TodayShare Market CrashNepal plane crashAdani Total Gas LimitedAir IndiaPathaan Box Office CollectionUnion Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us