गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड में 7,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
इस एजेंसी की स्थापना 2003 में की गई और उस समय से लेकर अभी तक इस कार्यालय के पास 750 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन आश्चर्य है कि यहां किसी एक भी मामले पर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।
गौरतलब है कि एसएफआईओ में दायर किए गए सभी मामले प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में है और जिसकी सुनवाई देश के विभिन्न न्यायालयों में हो रही है।
आज से करीब पांच साल पहले हुए शेयर बाजार घोटाले की गंभीरता से जांच-पड़ताल के लिए एसएफआईओ की स्थापना की गई थी।
एजेंसी के पास दिसंबर 2007 तक करीब 48 मामले सौंपे गए थे। हालांकि उन सभी मामलों में से एसएफआईओ 30 मामलों की जांच रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। बहरहाल, अब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस जांच एजेंसी को देश के सबसे बड़े घोटाले की जांच-पड़ताल का जिम्मा सौंपा है।
एसएफआईओ को जांच का आदेश कंपनी अधिनियम की धारा 235 के तहत दिया गया है। एजेंसी को अगले तीन महीने में सत्यम घोटाले की जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि तीन महीने बाद जब इस मामले में विभिन्न एजेंसियों द्वारा रिपोटर् पेश की जाएंगी, तो उस वक्त भ्रम की स्थिति पैदा होगी।
हालांकि विशेषज्ञ इस बात पर भी शक जाहिर कर रहे हैं कि इस एजेंसी में कम कर्मचारियों के होने की वजह से जांच रिपोर्ट आने में देरी हो सकती है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव विनोद ढल ने बताया, ‘एसएफआईओ का गठन जटिल जांच प्रक्रिया के लिए ही किया गया है जिसे कई मामलों में कानूनी शक्तियां दी गई हैं।’ आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एजेंसी में कर्मचारियों की जबरदस्त कमी है।
उन्होंने यह भी बताया कि ये कर्मचारी छुट्टी वाले दिन भी काम करते हैं और जरूरत पड़ने पर ओवरटाइम भी करते हैं। इस वक्त एसएफआईओ में निदेशक और नौ संयुक्त निदेशकों को मिलाकर सिर्फ 50 कर्मचारी ही है।