जब नरसिंहन श्रीनाथ टाटा इंटरनेट सर्विसेज के मुखिया थे तो कर्मचारियों ने उनको ‘गुलामों की तरह काम लेने वाले’ अधिकारी के विशेषण से नवाजा था।
श्रीनाथ को महीने के 20 दिनों में हवाई सफर करना पड़ता है और जब वह अपने मुंबई ऑफिस में काम करते हैं तो तकरीबन चौबीसों घंटे काम में लगे रहते हैं। बढ़िया ढंग से सजे उनके ऑफिस से बाहर का नजारा बड़ा शानदार नजर आता है लेकिन 46 साल के इस अधिकारी के पास अपने ऑफिस से माहिम और बांद्रा-वर्ली का शानदार नजारा देखने की फुर्सत ही कहां है।
कुछ महीनों में ही टीसीएल का ऑफिस बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लैक्स में शिफ्ट होने वाला है, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि इस खूबसूरत जगह से वह दूर नहीं रहेंगे। एक लाख वर्ग फीट में बनी जिस बिल्डिंग में फिलहाल कंपनी का ऑफिस है, उसमें कंपनी का डाटा सेंटर बनाया जाएगा। डाटा सेंटर टेलीकॉम कंपनी के हृदय स्थल की तरह होता है। अगले कुछ सालों में दुनियाभर में 25 लाख वर्ग फीट जगह में कंपनी के डाटा सेंटर फैल जाएंगे।
टाटा ने तकरीबन 6 साल पहले सरकार से जिस कंपनी को खरीदा था उसकी विस्तार योजनाओं की यह महज बानगी भर है। तब से टीसीएल 90 से अधिक देशों में अपने पंख पसार चुकी है। इस दौरान कंपनी के बाजार पूंजीकरण में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। 5 फरवरी 2002 को इसका बाजार पूंजीकरण 4,795 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया है।
केवल पिछले एक महीने मे टीसीएल पांच बड़ी घोषणाएं कर चुकी है। जिसमें संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी ‘एतिलस्तात’ के साथ गठजोड़, अफ्रीका में कनेक्टिविटी बढ़ाना, चीन में ब्रॉडबैंड ग्लोबल वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विसेज, दक्षिण अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी नियोटेल में कुछ हिस्सेदारी हासिल करना और दुनिया भर में टेलीप्रेजेंस (बेहद तेज टेलीकॉन्फ्रेंसिंग सेवा) की शुरुआत करने जैसी घोषणाएं शामिल हैं।
बढता दायरा: फैलते कदम
एक वक्त लंबी दूरी की टेलीफोन कॉलों वाली सेवा मुहैया कराने में इस कंपनी का ही एकाधिकार था। श्रीनाथ कहते हैं, ‘वैश्विक ग्राहकों ने बहुत चीजें बदल दी हैं। मौजूदा दौर में ग्राहक को अपने साथ जोड़े रखने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है।’ वैश्विक स्तर पर अपनी विस्तार योजनाओं को अंजाम देने के लिए टीसीएल उभरते हुए बाजारों पर खासतौर पर नजर रखे हुए है।
श्रीनाथ बताते हैं कि भारत के अलावा यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी जैसे विकसित बाजार विशेष रूप से कंपनी के एजेंडें में काफी अहम हैं। वह बताते हैं कि विकसित देशों से विकासशील देशों के बीच कनेक्टिविटी की मांग बढ़ने वाली है, इसलिए जाहिर तौर पर इस बाजार में खासी संभावनाएं हैं। इस रणनीति का खाका भी एकदम साफ है।
कंपनी का जोर नेटवर्क फैलाकर अधिक से अधिक वैल्यू एडेड सर्विसेज मुहैया कराने पर है। होलसेल वॉयस टैरिफ (सालाना 20 अरब मिनट) और सबमैरीन केबल कैपेसिटी (20 से अधिक टेराबिट और 2 लाख किलोमीटर का नेटवर्क) के लिहाज से टीसीएल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। लंबी दूरी की कॉल, एंटरप्राइज डाटा और इंटरनेट सेवाओं के लिहाज से भी यह भारत में सबसे बड़ी कंपनी है। देश में 1,500 ग्लोबल करियर्स, 600 मोबाइल ऑपरेटर्स, 5,000 छोटे और मझोले उद्योग और साढ़े चार लाख इंटरनेट उपभोक्ता कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं।
टाइका, टेलीग्लोब और नियोटेल में हिस्सेदारी से कंपनी ने वैश्विक स्तर पर अपनी दमदार उपस्थिति दिखाई है। कंपनी की 2 अरब डॉलर की विस्तार योजना है। इस साल टीसीएल 25 करोड़ डॉलर के निवेश से टीजीएन यूरेशिया केबल सिस्टम प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। इस प्रोजेक्ट में मुंबई को वाया मिस्र, पेरिस, लंदन और मैड्रिड से जोड़ा जा रहा है। जबकि 20 करोड़ डॉलर की टीजीएन इंट्रा एशिया सबमैरीन केबल लिंकिंग में सिंगापुर, हांगकांग और जापान को जोड़ने का काम चल रहा है जिसमें फिलीपींस को भी जोड़ा जाएगा।
कमाई के नये रास्ते
लेकिन नेटवर्क फैलाना तो महज शुरुआती कदम है। इस रणनीति का दूसरा और अहम हिस्सा है अधिक से अधिक वैल्यू एडेड सेवाओं को पेश करना जो कंपनी के लिए मुनाफे का सौदा साबित होगा। अभी तक कंपनी के राजस्व में 60 फीसदी योगदान वॉयस का है लेकिन कंपनी डाटा के जरिये मुनाफे को बढ़ाना चाहती है। श्रीनाथ राजस्व के इस अनुपात को उलटने की योजना पर काम कर रहे हैं। उनकी योजना के मुताबिक कंपनी का 60 फीसदी राजस्व डाटा और रिटेल से तथा 40 फीसदी वॉयस से आए।
जब कोई टेलीकॉम कंपनी मांग के मुताबिक कनेक्टिविटी के साथ बैंडविड्थ का ऑफर देती है और साथ ही बेहतर सेवा देने का आश्वासन देती है तो इसकी जिम्मेदारी तकनीकी गड़बड़ियों के लिए सतर्क कराना भी होता है। इसी वजह से इसको मैनेज्ड नेटवर्क सर्विस कहते हैं । कंपनी के लिए वॉयस से डेटा सर्विस की तरफ बढ़ना काफी फायदेमंद रहा और इसकी मांग भी काफी बढ़ रही है। इसकी वजह भी काफी जायज मानी जा सकती है क्योंकि डेटा और बैंडविड्थ एप्लीकेशन जैसे की इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन या आईपीटीवी जैसी तकनीक बढ़ने लगी।
आजकल 30 से 60 सेकंड के विडियो क्लिप जिसमें ऑडियो भी हो उसके लिए 5 से 10 एमबी स्पेस की जरूरत होती है। आज से 5 साल पहले एक औसत वेब पन्ने के लिए इतने स्पेस में 60 गुना से भी कम डेटा आ सकता था और अगर 10 साल पहले की बात करें तो यह और भी कम था यानी इतने स्पेस में तो 400 गुना से भी कम डेटा आ पाता था। इसके अलावा ऑनलाइन वीडियो देखने की दर में भी सालाना 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुृई मसलन यूटयूब और फॉक्स इंटरैक्टिव्स ऑफ दी वर्ल्ड पर ऐसी सुविधाएं मौजूद होती हैं।
हालांकि इसके जरिए संतुलित आमदनी भी हो ही जाती है। श्रीनाथ का कहना है कि वॉयस बिजनेस का दौर तो खत्म ही होने वाला है हालांकि यह अब भी बिल्कुल नाकाम बिजनेस साबित हो रहा है। रिटेल मार्केट में भी कुछ भ्रामक स्थितियां नजर आती हैं। टीसीएल लगभग 30 शहरों में तकरीबन 50 करोड़ डॉलर वायरलेस सेवा के लिए खर्च कर रही है और इसकी शुरुआत बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली से हो रही है। इसी तरह मोबाइल फोन की कंपनियां भी इंटरनेट वायरलेस से कनेक्शन के लिए टॉवर बना रही हैं जिसकी स्पीड आज की टेलीकॉम तकनीक वाली स्पीड से कहीं ज्यादा होगी। इसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि शहरी क्षेत्रों में ब्राडबैंड सर्विस देने के लिए 25 से 30 फीसदी कॉपर लाइन का इस्तेमाल होता है। टीसीएल ने वाइमैक्स का रास्ता चुना है।
श्रीनाथ को यह उम्मीद है कि अगले 5 सालों में 40 प्रतिशत का मार्केट शेयर तो होगा ही। अगर ऐसा होता है तो ईबीआईटीडीए का मुनाफा भी उम्मीद से बेहतर होगा। ये सारी कवायद ग्राहकों को केंद्रित करके ही बनाई गई हैं। लगभग 6 साल पहले कंपनी के मार्के टिंग डिर्पाटमेंट में महज 30 लोग थे। मौजूदा समय में मार्केटिंग से 5,000 लोग जुड़े हुए हैं। पहले कंपनी के सेक्शन हेड ऑफिस के बाहर बहुत सारे ग्राहकों को अपने कॉन्ट्रैक्ट के नवीकरण के लिए डिमांड ड्राफ्ट के साथ खड़ा रहना पड़ता था। अब तो श्रीनाथ खुद भी ग्राहकों के लिए मौजूद होते हैं।
सेवाओं के क्षेत्र में कई तरह की नई कवायद भी हो रही है और वह भी अपने प्रतियोगियों के साथ भी। मसलन कि मैनेज्ड सिक्यूरिटी सर्विस के लिए कंपनी की प्रतिस्पर्धा आईबीएम के साथ होगी। हालांकि यह भी आईबीएम आईएसएस तकनीक के लिए भी लाइसेंस ले रही है ताकि सूचनाओं के लिए एक जगह बनाई जा सके। ऐसी स्थिति को कोऑपीटीशन है जिसे आप प्रतिस्पर्धा और सहयोग का मिला-जुला रूप मान सकते हैं। श्रीनाथ का कहना है, ‘मुझे अपने ग्राहकों को बदलाव के लिए प्रेरित करने के लिए बैंडविड्थ सेवा प्रदाता से वैल्यू ऐडेड सेवा प्रदाता बनने की जरूरत है।’
जब सरकार ने कंपनी को लिया था तब उसका वादा था कि 5 साल के लिए कंपनी अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल (आईएलडी)चाहे वह भारत से या फिर विदेश से आए, इस मामले में कंपनी का ही एकाधिकार होगा। एक साल के अंदर ही इस वादे को खारिज कर दिया गया। आईएलडी का कारोबार इसके प्रतियोगियों के लिए भी खोल दिया गया। इसके बाद सरकार ने अपने फैसले के बावजूद भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईएसपी) के कारोबार को भी खोल दिया।
दो राज्यों की टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनी एमटीएनएल और बीएसएनएल जो वीएसएनएल की इंटरनेट सेवा भी देती है उन्होंने भी इस तरह की सेवा देना शुरू कर दिया है। वीएसएनएल का रिटेल कारोबार सीधा ग्राहकों से जुड़ा न होने की वजह से थोड़ा चरमरा गया। वॉयस टैरिफ में गिरावट की वजह से भी मुनाफे पर असर पड़ा। एचएसबीसी से जुड़े विश्लेषक राजीव शर्मा और टुकर ग्रिनैन का कहना है कि कंपनी की भारतीय घरेलू टेलीकॉम की सफलता नहीं कायम हो पाई क्योंकि टाटा ग्रुप ने अपना इंटीग्रेटेड ऑपरेटर बनाने में देर कर दी।
उनके मुताबिक दुनिया भर में फाइनैंशियल मार्केट इंटीग्रेटेड ऑपरेटर से ज्यादा जुड़ते हैं। जैसे वायरलेस ऑपरेटर टाटा टेलीसर्विस और टाटास्काई का टीसीएल के साथ मिल जाना। गार्टनर के वरिष्ठ रिसर्च एनालिस्ट नरेश सिंह का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर में आईबीएम, एक्सेंचर, भारती और रिलायंस में काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है लेकिन टीसीएल अपनी कनेक्टिविटी की समस्या की वजह से फिलहाल ऐसी प्रतियोगिता में दमदार उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रही है। हालांकि ब्रॉडबैंड सेवा मुहैया कराए जाने के मामले में टीसीएल ने एक बड़ा मौका खो दिया है।
सिंह का कहना है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल ने बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है और रिलायंस कम्यूनिकेशन आईपीटीवी प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रही है, भारती भी नेटवर्क तैयार कर रही है। टीसीएल इस मामले में देर कर रही है। इससे कंपनी के मुनाफे पर भी दबाव बढ़ेगा। एक विश्लेषक के मुताबिक टीसीएल शायद टाटा कंसल्टेंसी सर्विस की ग्रुप कंपनी के साथ मिल जाए लेकिन इससे मुनाफे में भी हिस्सेदारी करनी होगी और इसके प्रतियोगियों को काफी फायदा मिलेगा।
हालांकि श्रीनाथ का कहना है कि कंपनी निवेश करना चाहती है और इसका फायदा जल्द ही मिलेगा। टाटा कम्यूनिकेशन की टीम की सेल्स टीम कॉरपोरेट बिजनेस के लिए काम करती है और ग्रुप कंपनी जैसे कि टाटा टेलीसर्विसेज और टीसीएस से विशेषज्ञता हासिल करती है। उनके मुताबिक टीसीएल के हिस्से में भी कुछ दमदार बातें हैं और शायद उनके उपभोक्ता भी इस बात से सहमत होंगे।