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  लेख  वृद्धि बनाम मूल्य की छिड़ी बहस
लेख

वृद्धि बनाम मूल्य की छिड़ी बहस

बीएस संवाददाताबीएस संवाददाता—January 27, 2022 11:13 PM IST
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वैश्विक निवेशकों के बीच वृद्धि बनाम मूल्य की बहस इन दिनों जोर पकड़ चुकी है। तकरीबन दशक भर कमजोर प्रदर्शन के बाद तथा कुछ मामलों में अस्तित्व के प्रश्न से जूझ रहे मूल्य निवेशकों (ऐसे निवेशक जो उन शेयरों में निवेश करते हैं जो अपने मूल्य से कम पर कारोबार कर रहे हों) को अब हवा का रुख बदलता दिख रहा है। उन्हें लग रहा है कि भविष्य में मूल्य के मामले में उनका प्रदर्शन जोरदार रहेगा। यह काफी कुछ सन 2000 की तरह होने की आशा है जब टेक बुलबुला फूटा था। भारतीय निवेशकों तथा फंडों के लिए ऐसा वर्गीकरण बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं है लेकिन यह वैश्विक निवेश परिदृश्य को अवश्य स्पष्ट करता है। ज्यादातर फंड वृद्धि अथवा मूल्य के अपने लक्ष्य से इधर-उधर नहीं हो सकते। एक शैली की दूसरे पर श्रेष्ठता का फंड प्रवाह तथा उभरते बाजार के परिसंपत्ति वर्ग तक पर व्यापक असर होता है।
यह सही है कि छोटे और मझोले शेयरों की वृद्धि बीते कुछ महीनों में पूरी तरह छिन्नभिन्न हो गई है। कई लोग इस पर ध्यान नहीं दे पाए क्योंकि व्यापक सूचकांक ऊंचे बने रहे। 10 बड़ी टेक कंपनियों के शेयर 2021 में 40 फीसदी बढ़े। नैसडैक की करीब 35 फीसदी कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर से 50 फीसदी तक नीचे कारोबार कर रहे हैं। रसेल 2000 वृद्धि सूचकांक फरवरी 2021 के अपने  उच्चतम स्तर से 20 फीसदी से अधिक नीचे कारोबार कर रहा है। बायोटेक, फिनटेक और यहां तक कि सॉफ्टवेयर कंपनियों तक में गिरावट है। बाजार की गति प्रभावित हुई है। जब शेयर गिरावट के बाद भी  25 गुना बिक्री पर कारोबार कर रहे थे मूल्यांकन तब भी चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उच्च गति वाले, घाटा दे रहे, मूल्यांकन की दृष्टि से संवेदनशील शेयरों का बुलबुला फूट रहा है। उन्हें दोबारा पांव जमाने के लिए नकदीकरण में एक और तेजी की जरूरत होगी और ऐसा लगता नहीं है कि फेडरल रिजर्व ऐसा करेगा। ऐसा लगता है कि फेडरल रिजर्व नकदी कम करने, मौद्रिक हालात को कड़ा बनाने और इस प्रकार अपनी बैलेंस शीट को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्तीय परिस्थितियों को कड़ा करने के परिदृश्य में मुझे नहीं लगता कि ये शेयर दोबारा गति पकड़ पाएंगे। अंतत: इन सभी का पराभव होगा लेकिन इनमें से कई बुनियादी तौर पर मजबूत होंगे। ऐसे में उपरोक्त गिरावट सही मायनों में गंभीरतापूर्वक शेयर चुनने का अवसर देगी।
बहरहाल ऐसे हालात वृद्धि के प्रदर्शन में बेहतरी के लिए हालात और कठिन कर देंगे। चूंकि ये शेयर कुछ समय तक कमजोर बने रह सकते हैं इसलिए एक श्रेणी के रूप में वृद्धि के अच्छे प्रदर्शन का सारा बोझ भारी भरकम टेक प्लेटफॉर्म के शेयरों पर आ जाएगा। 2021 में उन्होंने वृद्धि के परिदृश्य को उबारा क्योंकि 10 टेक शेयरों का मूल्य 40 फीसदी तक बढ़ा। ऐसा प्रदर्शन हमेशा जारी नहीं रह सकता।
हम इस दौर से पहले भी गुजर चुके हैं। 2021 के आरंभ में भी ऐसी ही स्थिति थी। अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में इजाफा हुआ क्योंकि माना जा रहा था कि टीके आने के बाद कोविड-19 से निपटने में आसानी होगी और वृद्धि जोर पकड़ेगी। मुद्रास्फीति और तेल कीमतों के कारण हालात बिगड़ रहे थे। मूल्य वृद्धि पर भारी पड़ रहा था और बहुप्रतीक्षित बदलाव शुरू होता दिख रहा था। बाजार में मुद्रास्फीति आधारित तेजी का माहौल बन रहा था। परंतु वायरस का डेल्टा रूप आने से हालात बिगड़ गए और वृद्धि अनुमान कम हो गए। इस बीच चीन भी हमें नकारात्मक ढंग से चौंकाता रहा। इस बीच अधिकांश निवेशकों को चीन के आर्थिक प्रदर्शन तथा वैश्विक वृद्धि में उसके योगदान को लेकर अनुमान संशोधित करने पड़े। इन बातों ने निवेशकों को विवश किया कि वे सुरक्षित दायरे में वापस लौट आएं।
आज ऐसा लगता है कि हम दोबारा 2021 के आरंभिक समय के परिदृश्य में लौट चुके हैं। तेल कीमतों और मुद्रास्फीति में तेजी है। फेडरल रिजर्व मार्च में पहली बार दरों में इजाफा कर सकता है और चर्चा है कि बैलेंस शीट सिकुड़ सकती है। कोई भी मुद्रास्फीति के दबाव के अस्थायी होने की बात नहीं कर रहा है।
मुद्रास्फीति की बढ़ती चर्चा के साथ प्रतिफल में भी तेजी आनी शुरू हो गई है। करीब 1.75 फीसदी के साथ 10 वर्ष के बॉन्ड का प्रतिफल कोविड के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर है। वास्तविक प्रतिफल नकारात्मक रहने के साथ बढऩे शुरू हो गए हैं। तेल, मुद्रास्फीति और बॉन्ड प्रतिफल सभी एक नए कारोबारी दायरे में जाने का जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं जबकि इस बीच मूल्य ने एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
कुछ ही पोर्टफोलियो निवेशक ऐसे हैं जो निरंतर उच्च प्रतिफल, तेल कीमतों या मुद्रास्फीति के लिए तैयार हैं। जैसा कि हमने पहले भी कहा वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यानी करीब एक दशक से भी अधिक समय से वृद्धि का प्रदर्शन बेहतर बना हुआ है। उसे संकट के अलावा मुद्रास्फीति की अनुपस्थिति, धीमी वैश्विक वृद्धि और निंरतर गिरती बॉन्ड कीमतों का भी फायदा मिला है। अब अगर वैश्विक निवेशक मूल्य की ओर अधिक झुकते हैं तो हमें अहम पोर्टफोलियो समायोजन पर नजर बनानी होगी।
एक और वैश्विक झटके की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। यूक्रेन संकट, कोविड का कोई नया स्वरूप या अमेरिका और चीन के बीच नया भूराजनीतिक तनाव इसकी वजह बन सकता है। यदि फेडरल रिजर्व कोई गलती करता है तो भी हालात बदल सकते हैं। यदि फेड दरों में आक्रामक तरीके से इजाफा करता है और अर्थव्यवस्था को गंभीर मंदी में ले जाता है तो मूल्य ह्रास होगा और जोखिम से बचने वाले निवेशक एक बार फिर सुरक्षित ठिकानों की तलाश में बड़े तकनीकी मंचों के शेयरों का रुख करेंगे जो वृद्धि मुहैया कराते हैं और जो आर्थिक दृष्टि से कम संवेदनशील हैं। अब यह बहस का विषय नहीं है कि फेड कड़ाई करेगा या नहीं? वह करेगा।
जोखिम यह है कि दोबारा विश्वसनीयता हासिल करने की कोशिश में वह बहुत जल्द, बहुत सारे कदम तो नहीं उठाएगा? ऐसी स्थिति में दो विपरीत नजरिये मिलते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अगर फेडरल रिजर्व ज्यादा हस्तक्षेप करता है तो निवेशक दोबारा सुरक्षित ठिकानों यानी ढांचागत, तकनीकी और वृद्धि दिलाने वाले शेयरों का रुख कर लेंगे। अन्य लोगों का मानना है कि मूल्य वाले शेयरों और क्षेत्रों को फेड की कड़ाई से मदद मिलेगी, सामान्यीकरण की प्रक्रिया तेज होगी तथा मूल्य मजबूत होंगे।
किसी नए झटके के अभाव में कम से कम निकट भविष्य में निवेशकों को वित्तीय, ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्र से और शानदार प्रदर्शन की अपेक्षा करनी चाहिए। वैश्विक जिंस का दायरा भी ऊंचा बना रहने की आशा है। क्या आप बाजार की ऐसी गतिविधियों के लिए तैयार हैं?
(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)

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