हाल ही में मुंबई में आयोजित फिक्की फ्रेम्स 2009 के दौरान करण जौहर ने यह स्वीकार किया कि ‘मैं उन तमाम लोगों में से एक हूं जो फिल्म कलाकारों और तकनीशियन की ‘मांग’ को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।’
इसके अलावा उन्होंने यह भी प्रतिक्रिया दी कि किस तरह बॉलीवुड में बनने वाली फिल्में कमाई का एक जबरदस्त जरिया बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि भारत में बनने वाली फिल्में न केवल विदेशों में अच्छी कमाई कर रही हैं बल्कि होम वीडियो सेगमेंट से भी अच्छा फायदा हुआ है।
जौहर ने बताया, ‘केबल और सैटेलाइट-ये दोनों कमाई के ऐसे साधन हैं जिनकी वजह से हमारी इंडस्ट्री में राजस्व की उगाही लगातार बनी रहेगी।’ इस कार्यक्रम में मासूम, मिस्टर इंडिया, बैंडिट क्वीन और एलिजाबेथ जैसी फिल्में बनाने वाले फिल्म निर्माता शेखर कपूर भी मौजूद थे। शेखर कपूर ने बताया, ‘यह साल बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं के लिए घाटे का साल हो सकता है।’
इस आयोजन में सबसे खास बात यह देखने को मिली कि यहां आई अधिकांश हस्तियां सच कहने की कोशिश करते नजर आईं। स्वीकारोक्ति का दौर बहुत ही दिलचस्प था। कपूर ने बताया, ‘हम लोग ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकते हैं कि केवल 10 फीसदी कुलीन सिनेमा पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें और बाकी को सिरे से खारिज कर दें।’
कपूर ने बताया कि बॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों का कारोबार सामान्य रूप से नहीं चल रहा है। बीते कुछ सालों में उत्पादन, अधिग्रहण और कलाकारों को दी जाने वाली रकम में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है। लेकिन वितरकों को मिलने वाले रिटर्न की बात करें तो उन्हें उस अनुपात में फायदा नहीं मिला है जितना ही फिल्म कलाकारों को मिला है।
मनोरंजन उद्योग के बारे में चर्चा करते हुए केपीएम एडवाइजरी के मीडिया और मनोरंजन प्रमुख राजेश जैन ने बताया, ‘मौजूदा साल और आने वाले साल यानी 2010 में मनोरंजन उद्योग में कमाई स्थिर ही देखने को मिलेगी।’
कार्यक्रम के दौरान हुई बातचीत पर गौर करें तो पाएंगे कि मंदी की मार ने अब बॉलीवुड को पिघलाना शुरू कर दिया है। यूटीवी समूह के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोनी स्कू्रवाला भी आशंका जता रहे हैं कि उद्योग में होने वाली कमाई की वृध्दि दर स्थिर ही रहने वाली है।
स्कू्रवाला ने बताया, ‘करीब 40 फीसदी फिल्में, साल 2009 में रिलीज हो सकती हैं।’ उन्होंने बताया कि फिल्म को रिलीज करने के लिए बाजार में बहुत पैसे लगाने होंगे लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी कोई भी फाइनैंसर नहीं है जो पैसा निवेश कर सके।
यह स्पष्ट है कि बॉलीवुड के ‘बिग ब्रदरों’ को अब मंदी का भूत सताने लगा है। अब यह संभावना भी जताई जा रही है कि निर्माता फिल्म बनाने से पहले खर्च के आकलन पर विचार-विमर्श करेंगे।
संडे बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में करण जौहर ने बताया, ‘हमारा प्रॉडक्शन हॉउस अब सामान्य बजट की फिल्में ही बनाएगा।’ जौहर ने बताया, ‘चूंकि अभी मंदी का दौर है इसलिए इंडस्ट्री में करेक्शन का दौर चल रहा है। संभव है कि इस मंदी के दौर में फ्रैश स्क्रिप्ट को बड़े परदे पर मौका मिले।’
स्क्रूवाला ने बताया, ‘साल 2009 में कुछ भी रोमांचक नहीं होने वाला है। प्रॉडक्शन हॉउस को खुद में सुधार लाना होगा और स्थिति के साथ नियंत्रण में लड़ना होगा।’ 2008 में रिलीज हुई फिल्मों के बॉक्स-ऑफिस प्रदर्शन के बारे में निर्माता एवं निदेशक महेश भट्ट की टिप्पणी से सबको भौंचक्का कर दिया था।
भट्ट ने बताया, ‘2008 में 127 फिल्में रिलीज हुई थीं लेकिन उनमें से केवल 6 फिल्में ही हिट हुई थीं। लिहाजा फिल्म इंडस्ट्री को करीब 10 करोड़ डॉलर के घाटे का सामना करना पड़ा है।’