अनिमेष करिया की उम्र 12 साल है। मुंबई शहर में रहने वाला करिया 90 मिनट की एनिमेशन फिल्म रोडसाइड रोमियो को देखने के लिए अपने जेब खर्च को भी खर्चने के लिए तैयार है।
उसकी मम्मी फिल्म देखने के उसके जोश के बारे में बताती हैं, ‘इस समय छुट्टियां चल रही हैं और वह फिल्म देखने के लिए हमें (मम्मी और पापा)भी अपने साथ ले जाने के लिए बहुत उत्सुक है। ‘ दरसअल करिया जैसे अनगिनत बच्चों को फिल्म जगत ने कई सालों तक उपेक्षित रखा है और उन जैसे बच्चों के लिए विशेष रूप से फिल्में नहीं बनाई गईं।
इसके लिए भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसने इन जैसे बच्चों के लिए खास एनिमेशन फिल्में बनाने के लिए तकनीक ईजाद की। अब आपको ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि आने वाले वक्त में एनिमेशन फिल्मों की अपनी एक अलग धारा बन जाएगी। इस दौर में फिल्मकार बच्चों के लिए एनिमेशन फिल्में और डिजिटल कंटेंट बनाने पर जोर दे रहे हैं। बॉलीवुड पर नजर रखने वाले ट्रेड विश्लेषकों का भी कहना है कि बॉलीवुड के अग्रणी बैनर भी अब एनिमेशन फिल्मों में हाथ आजमा रहे हैं। और बजट को लेकर भी ये बैनर कंजूसी नहीं बरत रहे हैं।
एक एनिमेशनन फिल्म पर 20 करोड़ रुपये तक खर्च किए जा रहे हैं। शुरुआत करते हैं दुनिया की सबसे बड़ी मीडिया कंपनी टाइम वार्नर की फिल्म इकाई वार्नर ब्रदर्स से। वार्नर ब्रदर्स(इंडिया) एक एनिमेशन फिल्म बनाने जा रही है और इस फिल्म को निर्देशित करेंगे ज्योतिन गोयल। गोयल कहते हैं, ‘इस फिल्म की कहानी किसी रियासत के इर्द गिर्द नहीं बुनी गई है बल्कि इस फिल्म में चिड़ियों की संगीतमय दुनिया को दर्शकों को दिखाया जाएगा। हम एक अलग तरह से उनकी जिंदगी से दर्शकों को रूबरू कराने जा रहे हैं।’
सबको भाया एनिमेशन
ये ट्रेंड केवल मुंबइया बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि दक्षिण में भी इसको आजमाया जा रहा है। दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत जल्द ही एक थ्रीडी फिल्म में नजर आएंगे जिसको खुद उनकी बेटी बना रही हैं। फिल्मकारों की नई पीढ़ी के यश चोपड़ा कहे जाने वाले करण जौहर भी एनिमेशन के बुखार से नहीं बच पाए हैं।
करण अपनी पहली फिल्म कुछ कुछ होता है, का एनिमेशन संस्करण कुची कुची होता है, नाम से बना रहे हैं। जाने-माने एनिमेटर सिमी नल्लासेठ भी यूटीवी मोशन पिक्चर्स के लिए एक तिब्बती परीकथा पर आधारित फिल्म द ड्रीम ब्लैंकेट बना रहे हैं। कला फिल्मों से नाम कमाने वाले गोविंद निहलानी भी कमलू नाम से एक एनिमेशन फिल्म बना रहे हैं। राजस्थान में एक छोटे ऊंट की कहानी पर बनी इस फिल्म को गोविंद निर्देशित तो कर ही रहे हैं, साथ ही वही इस फिल्म के निर्माता भी हैं।
इनमें से अधिकतर फिल्में या तो इसी साल के आखिर तक रिलीज होने वाली हैं या फिर अगले साल की शुरुआत तक रिलीज हो जाएंगी। कुल मिलाकर काम पूरे जोर पर है। कनाडा के टोरंटो शहर की एक स्वतंत्र एनिमेशन कंपनी कहानी वर्ल्ड, वर्जिन कॉमिक्स के साथ मिलकर सीक्रेट्स ऑफ सेवन साउंड्स नाम से फिल्म बना रही है।
रामायण से प्रेरित इस फिल्म को सात साल की उम्र से अधिक वाले बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि भारत में अचानक से एनिमेशन फिल्मों का चलन क्यों तेज हो गया है? इस सवाल का बड़ा आसान जवाब है कि फिल्म निर्माताओं के लिए यह बहुत किफायती साबित हो रहा है।
यहां पर एनिमेशन फिल्म बनाने पर अपेक्षाकृत कम खर्च आता है। भारत में एक एनिमेशन फिल्म बनाने में तकरीबन 1.5 से 2.5 करोड़ डॉलर का खर्च आता है जबकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में यही आंकड़ा बढ़कर 10 से 12.5 करोड़ डॉलर तक बैठता है। फिल्म कारोबार के जानकारों का मानना है कि भारत में एनिमेशन उद्योग जापान की तरह बहुत तेजी से फैलने वाला है।
अहमियत एनिमेशन की
भारत में भी फिल्म कारोबार से जुड़े कई कारोबारियों ने एनिमेशन के बाजार के महत्त्व को समझ लिया है। उन्हीं में से एक हैं एलायंस मीडिया एेंड एंटरटेनमेंट के सीईओ सुनील दोषी, जिन्होंने मिक्स्ड डबल्स और भेजा फ्राई जैसी सफल फिल्में बनाई हैं।
दोषी कहते हैं, ’14 साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी तकरबीन 35 करोड़ है। यह बहुत बड़ा दर्शक वर्ग है। मिकी, मिनी, पांडा और श्रेक जैसे चरित्रों को मिली बड़ी सफलता इस बात को पुष्ट भी करती है कि इन फिल्मों में बहुत संभावनाएं हैं। अब देश में भी इन फिल्मों के महत्त्व को समझा जा रहा है।’
एलायंस मीडिया इसके साथ ही इन फिल्मों की वीसीडी और डीवीडी भी पेश करने की योजना बना रहा है। ये फिल्में अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगू जैसी भाषाओं में तो रिलीज हो रही हैं लेकिन दोषी और ज्यादा स्थानीय भाषाओं में इन फिल्मों को डब कराना चाहते हैं ताकि इन फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा दर्शक मिल सकें।
एलायंस मीडिया केवल जापानी फिल्मों के भरोसे ही नहीं है बल्कि स्कैंडेनेवियाई और अमेरिकी फिल्मों को प्रदर्शित करना भी इसके एजेंडे में शामिल है। दूसरी ओर बच्चों की फिल्मों की बात करें तो मकड़ी और हनुमान जैसी फिल्मों की सफलता के बाद भी फिल्म निर्माता ऐसी फिल्में बनाने पर जोर दे रहे हैं जो बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी लुभा सकें।
इनमें कोई मिल गया और क्रिश का नाम लिया जा सकता है। कोई मिल गया ने जहां 18 करोड़ रुपये की कमाई की थी वहीं क्रिश ने 41 करोड़ रुपये निर्माता की झोली में डाले। वहीं इन फिल्मों को बनाने वाले लोग इनकी सफलताओं को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। यशराज के साथ मिलकर रोडसाइड रोमियो का निर्माण करने वाली वाल्ट डिज्नी इंडिया के प्रबंध निदेशक महेश सामंत कहते हैं, ‘इस फिल्म की सफलता को लेकर कोई संदेह नहीं है और आने वाले वक्त में भारत में एनिमेशन फिल्मों का बहुत बढ़िया भविष्य है। ‘
बड़े खिलाड़ी, बड़ी बिसात
णडिज्नी और वार्नर ब्रदर्स जैसे बड़े बैनरों की नजरें आखिरकार 2.1 अरब डॉलर के भारतीय फिल्म बाजार पर इनायत हो ही गईं। भविष्य की योजनाओं के बाबत सामत कहते हैं, ‘इस समय चार लाइव एक्शन फिल्में बनाने की योजना चल रही जिनको हम अकेले ही बनाएंगे। एक फिल्म तो जोकोमोन होगी जिसमें दर्शीले सफारी नजर आएंगे तो नाइन्टीन्थ स्टैप फिल्म में कमल हासन होंगे। इसके अलावा हम एक और एनिमेशन फिल्म बनाने के लिए यशराज से बात कर रहे हैं ।’
माया एंटरटेनमेंट के जय नटराजन पहले ही कह चुके हैं, ‘यशराज, यूटीवी, परसेप्ट और ऐडलैब्स जैसे बैनर बड़े बजट की एनिमेशन फिल्में बना रहे हैं। इससे देश में एनिमेशन फिल्मों के स्तर में जबरदस्त सुधार आएगा और एनिमेशन फिल्मों के बाजार में तेजी आएगी।’
नटराजन रजनीकांत की सुल्तान-द वॉरियर को बनाने को समझदारी भरा कदम बताते हैं। अब इन कंपनियों में डबिंग के लिए बड़े स्टारों को इकट्ठा करने की कवायद शुरू हो गई है। वॉल्ट डिज्नी जहां बॉलीवुड की सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक सैफ अली खान और करीना कपूर से डबिंग करा रही है तो दूसरी कंपनियां भी दूसरे स्टारों को खींचने का काम कर रही हैं।
परसेप्ट के शैलेंद्र सिंह जंबो नाम के हाथी को आवाज देने के लिए अक्षय कुमार को राजी करने में कामयाब रहे हैं। इसके अलावा परसेप्ट की दिसंबर 2008 में रिलीज होने वाली फिल्म के लिए परेश रावल और लारा दत्ता भी अपनी आवाज दे चुके हैं।
इंडियन फिल्म कंपनी ने तीन हॉरर एनिमेशन फिल्में बनाने के लिए रिचर्ड ब्रॉनसन और शेखर कपूर की वर्जिन कॉमिक्स के साथ हाथ मिलाया है। प्रीतीश नंदी कम्युनिकेशंस भी डी क्यू एंटरटेनमेंट के साथ मिलकर अगले तीन चार साल में 45 से 50 मिलियन डॉलर के बजट से 6 फिल्में बनाएंगी।