सफलता के कई बाप होते हैं और विफलता अनाथ होती है। यह बात कई बार साबित भी हुई है।
आईपीएल की बंपर सफलता और हाल में ओलंपिक में मिले सोने के तमगे के बाद लोगों का रुझान स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की ओर ज्यादा बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि कुछ समय से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में छात्रों की रुचि तेजी से बढ़ रही है और हालिया सफलताओं से इसमे और इजाफा होने की उम्मीद की जा रही है।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में खेलों की योजना, निरीक्षण करना और अलग-अलग खेलों के टूर्नामेंट आयोजित करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस तरह के कोर्स में दाखिला लेने के लिए बस किसी भी विषय में 40 फीसदी अंकों के साथ स्नातक की डिग्री की जरूरत है। अगर किसी के पास फिजिकल एजुकेशन की डिग्री है तो उसके लिए यह और फायदे की बात है।
भारत में अधिकतर संस्थान स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में एक वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा ऑफर कर रहे हैं। मुंबई का नरसी मोंजी इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एनएमआईएमएस) भारत में इस तरह का पहला संस्थान है जिसने स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की।
नरसी मोंजी के प्रोफेसर के मुताबिक इस प्रीमियर इंस्टीटयूट में मार्केटिंग और फाइनैंस में एक कोर्स की शुरुआत की जिसमें आईपीएल को केस स्टडी के तौर पर शामिल भी किया गया। इस केस स्टडी में आईपीएल का मॉडल, नीलामी प्रक्रिया, ब्रांड से जुड़े मुद्दे, प्रायोजन और विपणन से जुड़े पहलू शामिल किए गए।
दरअसल इस तरह के आयोजनों से कई तरह के कारोबार में तेजी आती है जिसमें गोल्फ क्लब, रिसोर्ट्स, एडवेंचर स्पोर्ट्स और दूसरी तरह की कई चीजें शामिल हैं। साथ ही स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के छात्रों के लिए भी अवसर बनते हैं। इस तरह के कई प्रशिक्षण संस्थान तेजी से खुल रहे हैं जिनके साथ सौरभ गांगुली जैसे क्रिकेटर, मुकेश अंबानी जैसे कारोबारी और शाहरुख खान जैसे अभिनेता इनके साथ जुड़ भी रहे हैं।
स्पोर्ट्स मैनेजर निजी मैनेजर का काम भी कर सकते हैं तो नामी गिरामी खिलाड़ियों के एजेंट भी बन सकते हैं। एसपीजेआईएमआर के एक प्रोफेसर के मुताबिक एक स्पोर्ट्स मैनेजर महीने में 30,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक कमा सकता है और दो साल के बाद उसकी मासिक कमाई 3 लाख रुपये को भी पार कर सकती है।