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  लेख  कलर्स के रंग फीके कर सकेगा स्टार?
लेख

कलर्स के रंग फीके कर सकेगा स्टार?

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —May 5, 2009 5:56 PM IST
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भारतीय टेलीविजन उद्योग में इसकी लंबे समय तक हुकूमत चली। हम बात कर रहे हैं स्टार प्लस की जो लगातार 9 वर्षों से हिंदी आम मनोरंजन चैनल में पहले पायदान पर काबिज था।
गौरतलब है कि शीर्ष 100 शो की फेहरिस्त में स्टार प्लस के कम से कम 50 चैनल हमेशा शामिल रहे। लेकिन अब वायाकॉम 18 के चैनल कलर्स से स्टार प्लस की नंबर वन की कुर्सी डगमगा रही है। 5 से 11 अप्रैल के सप्ताह के दौरान कलर्स का ग्रॉस रेटिंग पॉइंट (जीआरपी) 292 रहा, जबकि स्टार प्लस 267 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर था।
फिलहाल 100 शीर्ष शो में सिर्फ 35 के साथ स्टार प्लस अपने दर्शकों के बीच अपनी पुरानी साख को कायम रखने की जद्दोजहद कर रहा है। पिछले साल जुलाई में जब कलर्स छोटे परदे की दुनिया में उतरा, तब स्टार प्लस की चैनल हिस्सेदारी कुल टीवी जगत में 10.7 फीसदी थी, जो अब घटकर 8.6 प्रतिशत रह गई है- कलर्स के बराबर।
कलर्स के अधिक जीआरपी की वजह उसके साप्ताहिक कार्यक्रमों की बजाए सप्ताहांत कार्यक्रम रहे, जिनमें बिना विज्ञापन के फिल्मों की स्क्रीनिंग शामिल है। स्टार प्लस का अब भी मानना है कि आगे कड़ी चुनौती है। और स्टार टीवी इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी उदय शंकर टेलीविजन की शतरंज में अपने मोहरों के साथ बिसात बिछाने की तैयारी कर रहे हैं।
उनका कहना है, ‘हमारे कार्यक्रमों के विकास में पहले के मुकाबले थोड़ा अधिक वक्त लग रहा है, नतीजतन कुछ दर्शक धारावाहिकों को देखकर थक गए हैं और उनका लगाव चैनल के साथ कम हो गया है।’ उनका कहना है, ‘अभी इस वक्त काफी प्रतिस्पर्धा है, इसलिए हम सभी के साथ नए प्रयोग करने की मजबूरी है।’
भारतीय परिवार : एक पुराना फॉर्मूला
शंकर का मानना है कि भारतीय समाज में पारिवारिक मूल्य बने रहेंगे। उनका कहना है कि आज, युवा भारतीय कम विरोध करते हैं और पहले के मुकाबले परंपराओं पर उनका विश्वास अधिक है। लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा में उन पर अधिक तनाव इसकी एक वजह हो सकता है। नतीजतन, वे परिवारों और पारंपरिक विश्वासों के प्रति अधिक झुकाव रखते हैं।
स्टार प्लस को आगे क्या करना है, वह तस्वीर साफ है। चैनल परिवारों और पारंपरिक भारतीय मूल्यों का अपना राग बंद नहीं करेगा। शंकर इस बात से सहमत हैं कि चैनल पर आने वाले दैनिक धारावाहिकों का प्रबंधन पारंपरिक है और पुरानी चीजों का ही अनुसरण हो रहा है।
उनका कहना है, ‘हमारे प्रतिद्वंद्वियों ने जिन विषयों को चुना है, उनमें से कुछ सामाजिक तौर पर प्रासंगिक हैं, लेकिन उनका प्रबंधन जितना होना चाहिए, उससे कहीं अधिक हल्का है। हो सकता है आम लोग इसे पसंद करें और ये धारावाहिक कामयाब भी रहें, लेकिन कहा जा सकता है कि ये धारावाहिक उल्टी दिशा में बढ़ रहे हैं।’
साथ ही वह मानते हैं कि स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले कुछ धारावाहिक भी बाद के कुछ वर्षों में काफी नकारात्मक हो चुके हैं और उन्होंने भी पीछे की राह ले ली है। शंकर ने इन धारावाहिकों का नाम नहीं लिया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनका इशारा बालाजी टेलीफिल्म्स के दो धारावाहिकों की तरफ हो सकता है।
शंकर का कहना है, ‘हम नकारात्मक सोच और अविश्वास की कहानियों से पीछा छुड़ा कर ऐसी कहानियों की ओर बढ़ रहे हैं जो संघर्ष के बाद सफलता का चित्रण करती हों।’ स्टार प्लास के मुख्य दर्शकों (गृहणियों) के कारण दैनिक धारावाहिकों का दबदबा बना रहेगा, साथ ही चैनल जबरदस्त आइडिया की तलाश में है।
युवा है जान
इसके अलावा चैनल की रणनीति में जो दूसरे बदलाव सुनने को मिल रहे हैं, उनमें धारावाहिकों की कहानियों में ऐसे अभिनेता या नायकों का पेश होना है जो युवा चेहरे होंगे और हमेशा युवा ही रहें। शंकर का कहना है, ‘आंकड़े बताते हैं कि हमारे दर्शकों में सबसे बड़ा वर्ग युवा दर्शकों का है। युवा दर्शकों के साथ, हमें युवा चेहरों के लिए धारावाहिक बनाने की जरूरत है।’
इसका मतलब है कि कि सास-बहू थीम खत्म हो जाएगी और कहानियां अब युवा महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमेंगी, जिनमें टीवी कलाकार कोई बहू का किरदार नहीं, बल्कि एक युवा महिला या एक पत्नी की भूमिका निभाएगी।
जनवरी से चैनल पर प्रसारित होने वाला धारावाहिक ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ ने माता-पिता की मर्जी से शादी के बाद प्यार और पति-पत्नी के रिश्ते की थीम को भुनाने की कोशिश की है। शंकर का कहना है कि भले ही छोटे शहरों से हों, लेकिन अब ज्यादा चाहती हैं और नए अनुभवों की तलाश में हैं।
हालांकि स्टार प्लस के दर्शकों में बड़ी संख्या गृहणियों की है, इस वजह से उसके पास विकल्प भी बहुत नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपनी ताजा-ताजा सनक और प्रेरणा को दिमाग में बनाए रखना होगा। इस दौरान आर्थिक पिरामिड के निचले स्तर पर के परिवार भी अब केबल और सैटेलाइट की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं और उनकी खरीद की बढ़ती क्षमता को देखते हुए इनकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती।
स्टार प्लस को उनकी सोच-समझ का भी पूरा ध्यान रखना होगा। स्टार टीवी इंडिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष (मार्केटिंग) अनुपम वासुदेव के मुताबिक इस वर्ग के दर्शक रूढ़िवादी हैं और वे ऐसे किराये चाहते हैं जो संपन्न परिवार वाले लोग दे रहे हैं। इसलिए स्टार प्लस को तलवार की धार पर संभल कर चलना होगा।
ज्यादा रियल नहीं…
स्टार प्लस के लिए एक दूसरी समस्या ‘बिग बॉस’ सरीखे रियलिटी शो भी हैं। सच तो यह है कि शंकर का मानना है कि पिछले साल कलर्स पर प्रसारित होने वाले रियलिटी शो को परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर नहीं देख सकते थे।
कलर्स पर प्रसारित हो चुके रियलिटी शोज, ‘खतरों के खिलाड़’ या ‘बिग बॉस’ के बारे में उनका कहना है कि शो के जीआरपी इन्होंने नहीं, बल्कि ‘बालिका वधु’ और पौराणिक कथा पर आधारित ‘जय श्री कृष्ण’ ने बढ़ाया है।
शंकर का कहना है, ‘रियलिटी शोज चैनल के आने की खबर देते हैं और फिर चैनल को मार्केट करने में मदद करते हैं। लेकिन एनडीटीवी इमेजिन के लिए  उसका रामायण धारवाहिक ही बेहद लोकप्रिय हो रहा है।’
उनका कहना है, ‘रियलिटी शो के लिए स्टार प्लस अब भी अपने विश्वसनीय शोज ‘नच बलिये’ या ‘वॉयस ऑफ इंडिया’,जिनमें लोगों की प्रेरणा शक्ति को दिखाया जाता है, न कि उनके बेहूदा बर्ताव को, के साथ ही अपनी किस्मत आजमाएगा। ‘
क्या स्टार प्लस पूर्व पुलिस अधिकारी किरन बेदी वाले ‘आप की कचहरी’ सरीखे शो को चलाएगा? शंकर का कहना है कि यह शो कारगर है क्योंकि, ‘समाज में दृढ़ता फैल रही है और लोग आज अपने विचारों को उजागर करने में हिचकिचाते नहीं हैं।’
हालांकि इस शो में संपन्न परिवारों के लोगों को नहीं दिखाया गया, फिर भी इसे आर्थिक दृष्टि से संपन्न लोगों से भी प्रतिक्रिया हासिल हुई है। शंकर का कहना है, धारावाहिकों की रूपरेखा में धीरे-धीरे और व्यवस्थापूर्वक बदालव किए जाएंगे, ताकि दर्शकों की संख्या में इजाफा हो सके।
विज्ञापन कमाई पर संकट
मनोरंजन उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि दर्शकों को एक बार फिर से आकर्षित करने के लिए स्टार प्लस को और अधिक खर्च करने की जरूरत है।
लिहाजा इसके लिए चैनल को विज्ञापन कमाई पर और अधिक खर्च करने की आवश्यकता है। इनेम सिक्योरिटी में मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र पर नजर रखने वाले चिराग नेगांधी ने बताया, ‘अपनी रेटिंग को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने के लिए चैनल को कुछ अलग और बेहतर करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कलर्स चैनल स्टार प्लस को जबरदस्त चुनौती दे रहा है।
यह चुनौती कमोबेश वैसी ही दिखाई पड़ रही है जैसा कि साल 2006 में स्टार प्लस को जी चैनल कांटे की टक्कर दे रहा था। अब जरूरत इस बात की है कि स्टार प्लस एक बार फिर से ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (एक मशहूर टेलीविजन शो जिसे सबसे पहले अमिताभ बच्चन और बाद में शाहरुख खान ने होस्ट किया था) टाइप का प्रोग्राम शुरू करे, जिससे उसे एक मजबूत प्लेटफार्म मिल सके।
स्टार प्लस के लिए कुछ चमत्कारिक पहल करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हिन्दी के आम मनोरंजन चैनल के पहले और दूसरे पायदान पर खड़े इन दोनों महारथियों के बीच महज 25-30 जीआरपी का ही अंतर है।’
विज्ञापनों की बुकिंग करने वाली देश की एक बड़ी एजेंसी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी ने बताया, ‘इसमें कोई शक नहीं कि पर्याप्त राशि के बल पर कलर्स आगे निकल जाएगा और इस बात की भी पूरी संभावना है कि स्टार प्लस की प्रीमियम में भी गिरावट होगी। यहां जरूरत है स्टार प्लस को कुछ चमत्कारिक कार्य करने की ताकि उसके जीआरपी में रोजाना 3 या 4 की बढ़ोतरी हो और दर्शकों तक उसकी पहुंच में सुधार देखने को मिले।’
विज्ञापनों की बुकिंग करने वाली एक कंपनी मेडिसन की ग्रुप सीईओ पुनीता अरुमुगम भी यह मानती हैं कि हिंदी के आम मनोरंजन चैनलों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है और यही वजह है कि यहां विज्ञापनदाता बेहतर मोल-भाव कर सकते हैं। अरुमुगम बताती हैं, ‘यहां ग्राहकों के पास बहुत सारे विकल्प हैं और वे उन प्रोग्रामों का चयन कर सकते हैं, जिनका टीआरपी बहुत अधिक हो।’
शंकर कहते हैं कि वह कौन बनेगा करोड़पति जैसा कोई बड़े बजट के प्रोग्राम के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन उनकी टीम कोई जबरदस्त आइडिया लेकर आती है तो उस पर वह जरूर विचार-विमर्श करेंगे।
शंकर ने बताया, ‘पिछले साल हमने देखा है कि पांचवीं पास… अच्छा प्रदर्शन कर रही थी लेकिन यह शो हमारी उम्मीदों पर उतना खरा नहीं उतर सका जितना हमने सोचा था। हमें इस बात की कतई जरूरत नहीं है कि केवल कलर्स की वजह से ही खर्च किए जाएं। हमारे पास सुरक्षा के लिए पी ऐंड एल (मुनाफा और घाटा) है और हमें उसे अनुशासित करने की आवश्यकता है।
किसी भी व्यापार चक्र की यह प्रवृति होती है कि कभी उसमें गिरावट तो कभी बढ़ोतरी देखने को मिलती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह किसी व्यापार चक्र का हिस्सा होता है और इसकी वजह से किसी को बहुत ज्यादा निराश होने की आवश्यकता नहीं है।’
शंकर यह भी बताते हैं कि स्टार प्लस कीमतों को लेकर कोई खेल नहीं खेलेगा। उनका मानना है कि कीमतों में छूट दिए जाने की वजह से भी  ब्रांड की छवि को झटका लग सकता है। शंकर ने बताया, ‘केवल बाजार शेयर से ही प्रीमियम की कमाई नहीं की जा सकती है बल्कि आपको बुनियादी जरूरतों तक अपनी पहुंच और वितरण को सुनिश्चित करना होता है।
आमतौर पर कोई भी विज्ञापनदाता किसी भी ब्रांड की शक्ति, दृष्टिकोण, स्थिति और इतिहास देख कर ही उससे हाथ मिलाता है। अगर इन सभी चीजों को देखते हुए कोई विज्ञापनदाता आपसे जुड़ा हुआ है तो शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आने के बावजूद भी प्रीमियम में कोई हलचल नजर नहीं आएगी। हिन्दी के आम मनोरंजन चैनलों में हमारी हिस्सेदारी बहुत अधिक है और हम उसकी रक्षा करेंगे।’
जरूरत नई रणनीति की
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2,200 करोड़ रुपये के हिंदी के आम मनोरंजन चैनलों में स्टार प्लस की हिस्सेदारी करीब 45-50 फीसदी है। मीडिया खरीदारों का कहना है कि यह चैनल 25-30 फीसदी प्रीमियम का नियंत्रण करती है। इन आंकड़ों से एक बात साफ है कि यह चैनल अभी भी अच्छी स्थिति में है।
हालांकि आईडीएफसी एसएसकेआई के प्रबंध निदेशक निखिल वोरा का मानना है कि विज्ञापन दरों पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। वोरा ने बताया, ‘चूंकि मीडिया खरीदारों के पास बहुत सारे विकल्प हैं इसलिए दरों में गिरावट आई है।
हालांकि आज जिस मुकाम पर स्टार प्लस है, उस मुकाम को हासिल करने के लिए चैनल ने बहुत काम किया है लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि स्टार प्लस कुछ अलग तरह के कटेंट की ओर भी ध्यान केंद्रित करे।’
बाजार में यह चर्चा बहुत जोरों पर है कि फिलहाल स्टार प्लस अपने प्रोग्रामिंग बजट में कोई इजाफा नहीं करेगा, साथ ही यह भी सुना जा रहा है कि स्टार प्लस अपने मार्केटिंग खर्चों में भी कटौती नहीं कर रहा है। वासुदेव ने बताया कि इस साल प्रमोशन के लिए किए जाने वाले खर्चों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़ोतरी कम से कम 10 आधार अंकों तक दर्ज की गई है।
उद्योग मानदंडों के मुताबिक शो बजट का करीब 5 फीसदी विज्ञापन और मार्केटिंग में जाता है। वासुदेव ने बताया, ‘परंपरागत रूप से देखें तो हमारी मार्केटिंग हमेशा से ही दर्शकों को केंद्र में रखती आई है लेकिन आज के दौर में उनके दृष्टिकोण में बदलाव लाने की जरूरत है।
ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि हम अपनी पहुंच नए दर्शकों तक भी बना रहे हैं। इस कारण से भी यह काफी फायदेमंद है।’ वासुदेव ने यह भी बताया कि बिना 10 फीसदी हिस्सेदारी के किसी भी शो को ऑन एयर करना बेकार है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इससे चैनल को कोई फायदा नहीं होगा और उल्टे यह काफी खर्चीला साबित होगा।

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