सामान्य मनोरंजन चैनल (जीईसी) इन दिनों बड़ी मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं।
निर्माताओं और उनके लिए काम करने वाले लोगों में अपनी-अपनी बात को लेकर खींचतान कुछ ज्यादा ही लंबी हो गई है। अभी तक किसी भी बात पर सहमति नहीं बन पाई है। नतीजतन, सभी धारावाहिकों का निर्माण रुक गया। मजबूरी में इन चैनलों को पुरानी प्रसारित हो चुकी कड़ियों का प्रसारण करके ही काम चलाना पड़ रहा है।
लेकिन ऐसे दौर में भी जीईसी वर्ग में स्टार प्लस का जलवा बरकरार है। हालांकि, इस दौरान उसकी रेटिंग में भी तेजी से गिरावट आई है। जब से (10 नवंबर से) चैनलों पर ‘रिपीट टेलीकास्ट’ का दौर शुरू हुआ है तब भी स्टार प्लस का दबदबा बना हुआ है।
जीईसी श्रेणी के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले 6 चैनलों में स्टार प्लस 1.6 फीसदी रेटिंग के साथ अगुआ बना हुआ है। इसके अलावा दर्शक अभी भी इस चैनल को ही सबसे ज्यादा वक्त दे रहे हैं। आधे घंटे के शो को दर्शक औसतन 12 मिनट का वक्त दे रहे हैं।
इस लिहाज से भी स्टार प्लस सबसे आगे है। इस फेहरिस्त में स्टार प्लस के बाद कलर्स का नाम है। इस दौर में जीईसी में स्टार प्लस और कलर्स के अलावा जी टीवी, सोनी टीवी, 9 एक्स और एनडीटीवी इमेजिन जैसे चैनलों की बुनियाद हिल गई है।
इन चारों चैनलों की दर्शक संख्या में तेजी से गिरावट आई है। रात को 10 बजे से साढ़े दस बजे के बीच प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में 1.5 फीसदी रेटिंग के साथ कलर्स पर प्रसारित होने वाला बिग बॉस -2 ही सबसे ऊपर बना हुआ है।
जबकि 10 नवंबर को स्टार प्लस पर प्रसारित हुए बिदाई के एपीसोड की रेटिंग 2.2 फीसदी रही। 10 नवंबर से ही ‘रिपीट टेलीकास्ट’ का सिलसिला शुरू हुआ है। इस दौर में 1.3 फीसदी रेटिंग के साथ कलर्स दूसरे पायदान पर बना हुआ है।
टेलीविजन पर रेटिंग मापने वाली एजेंसी ऑडिएंस मेजरमेंट एंड एनालिस्ट (एमैप) के मुताबिक दर्शक कलर्स पर प्रसारित होने वाले आधे घंटे के कार्यक्रम को औसतन 10 मिनट तो दे ही रहे हैं। एमैप के अनुसार दोबारा प्रसारण के इस दौर में जीईसी चैनलों की औसतन रेटिंग में 55 फीसदी की गिरावट आई है।
इस माहौल की सबसे ज्यादा मार सोनी टीवी, 9 एक्स और एनडीटीवी इमेजिन पर पड़ी है। प्राइम टाइम (7 से 11 बजे तक) में इन चैनलों की रेटिंग 0.5 फीसदी से भी नीचे चली गई है। जबकि इससे पहले इन चैनलों की रेटिंग 2 से 3 फीसदी तक थी।
रेटिंग की गणना 30 मिनट के टेलीविजन शो की दर्शक संख्या के आधार पर की जाती है। जबकि मीडिया प्लानर्स कुल रेटिंग पॉइंट(जीआरपी) और चैनल की पहुंच को ज्यादा अहमियत देते हैं।
हड़ताल से पहले आम दिनों में प्राइम टाइम में स्टार प्लस की औसत टेलीविजन रेटिंग (टीवीआर) 5 से 7 फीसदी थी जबकि इस सूची में 4 से 5 फीसदी के साथ कलर्स दूसरे और 3 से 5 फीसदी के साथ जी टीवी तीसरे स्थान पर था। वैस इस दौरान इन दौरान इन चैनलों की जीआरपी में भी कमी आई है।
एक जानी मानी मीडिया एजेंसी हवास-इंडिया की सीईओ अनीता नायर कहती हैं कि घटती जीआरपी की वजह से कंपनियां जीईसी चैनलों की बजाय स्पोर्ट्स और मूवी चैनलों को विज्ञापन दे रही हैं। उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक हफ्ते भर में जीईसी वर्ग में 10 चैनलों को 40 से 50 करोड़ रुपये के विज्ञापन मिलते हैं।
नायर कहती हैं, ‘अगर यह दौर लंबा चला और जीईसी की रेटिंग में कमी जारी रही तो हमें विज्ञापनों के लिए स्पोर्ट्स और मूवी चैनलों का रुख करना पड़ेगा क्योंकि ये चैनल लगातार अच्छा कर रहे हैं।’