आजकल छोटे छोटे शहरों के बच्चे हर क्षेत्र में धमाल कर रहे हैं। खेल हो या पढाई, हर क्षेत्र में ये कमाल कर रहे हैं।
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा के परिणाम घोषित हुए और पटना जैसे शहरों के छात्रों ने तो इसमें अपना परचम ही लहरा दिया। इसी वजह से तो इन शहरों में कोचिंग का कारोबार करने वाले भी मोटी चांदी काट रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक अकेले पटना में कोचिंग इंस्टीटयूटों का धंधा 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है। मजे की बात यह है कि इनका बाजार और भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। वजह है, इन छात्रों की सफलता में कोचिंग संस्थानों की भी बड़ी भूमिका। पटना के कोचिंग संस्थानों की जब भी बात होती है तो सुपर-30 का नाम आना स्वाभाविक सा हो गया है। सुपर-30 की शुरुआत 2003 में हुई थी।
उस साल इसके 30 में से 18 छात्रों ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता पाई थी। इसके बाद के वर्षों में भी इस संस्थान ने अपना जलवा बरकरार रखा। वर्ष 2004 में 22, 2005 में 26, 2006 में 28, 2007 में 28 और इस साल तो इस संस्थान ने शत प्रतिशत रिजल्ट दिया। आनंद कुमार ने बताया कि यह संस्थान पटना के सुदूर इलाके में किराये के मकान में चल रहा है। यहां गरीब छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
इसके अलावा उनके रहने, किताब कॉपी और हर तरह की सुविधाएं संस्थान मुफ्त में मुहैया कराती है। इसके अलावा, पटना में और भी कई संस्थान हैं जहां मेडिकल और इंजीनियरिंग की काफी अच्छी तैयारी कराई जाती है। इस कड़ी में परमार कोचिंग और विजय आईआईटी टेस्ट सीरीज का नाम काफी चर्चा में है। इस बार आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में परमार कोचिंग के 21 छात्रों ने बाजी मारी।
संस्थान के निदेशक अनिल परमार ने बताया कि इस बार से एक ही संस्थान में हर विषयों की शानदार पढाई की व्यवस्था की जाएगी। इस साल की आईआईटी प्रवेश परीक्षा में पटना के छात्र शितिकंठ ने पूरे भारत में प्रथम स्थान हासिल किया। पूरे 11 सालों के बाद बिहार का कोई छात्र इस अति प्रतिष्ठित परीक्षा में सर्वोच्च रैंक ला पाया है। शितिकंठ ने बताया कि, ‘पटना में योग्य और अनुभवी शिक्षकों की कोई कमी नही है।
फिर भी एक छत के नीचे सारे विषयों की समुचित पढाई नहीं हो पाने की वजह से यहां के छात्र कोटा, दिल्ली जैसे शहरों में पढाई के लिए पलायन कर रहे हैं। अगर अच्छे शिक्षक आपस में मिलकर एक संस्थान के तहत सारे विषयों की पढाई की व्यवस्था करें तो बिहार के किसी भी छात्र को बाहर जाने की जरुरत नही पड़ेगी और नतीजे भी बेहतर रहेंगे।’
मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में बिहार के छात्रों ने तो अपना परचम लहराया ही है, साथ ही नए व्यावसायिक पाठयक्रमों के लिए भी छात्रों का रुझान बढ़ता जा रहा है। फैशन टेक्नोलॉजी, एमबीए, लॉ, एयर होस्टेस कोर्स, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, मैरीन इंजीनियरिंग जैसे पाठयक्रमों में भी इन दिनों छात्र-छात्राओं की रुचि बढ़ती जा रही है।
पटना में फैशन डिजाइनिंग इंस्टीटयूटों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी करवाने वाले संस्थान, अल्ट्रा फैशन के निदेशक आशुतोष रमण और कौशलेन्द्र कुमार ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ को बताया कि, ‘आजकल नए पाठयक्रमों के बारे में उत्सुक छात्र-छात्राओं की तादाद काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। माता-पिता से लेकर स्टूडेंट्स तक सभी पुराने कोर्सेज के बजाय व्यावसायिक पाठयक्रमों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।’
रमण के मुताबिक बिहार जैसे राज्य में पिछले कुछ सालों में विकास की प्रक्रिया में तेजी आने से हरेक क्षेत्र में जबरदस्त बदलाव नजर आ रहा है। इसकी झलक शिक्षा के क्षेत्र में तो स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है। पिछले कुछ सालों में इस संस्थान ने फै शन डिजाइनिंग, फैशन टेक्नोलॉजी और फैशन मैनेजमेंट में बेहतरीन रिजल्ट दिए हैं।
पटना विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहीं रश्मि रमण से जब हमने यहां के संस्थानों की गुणवत्ता के बारे में पूछा तो उसने यहां की पाठन शैली की भूरि भूरि प्रशंसा की। मगध विश्वविद्यालय के मशहूर कॉलेज ए. एन. कॉलेज की एक छात्रा ज्योति ने बताया, ‘आजकल तो सरकारी कॉलेज भी नए नए पाठयक्रम शामिल कर रहे हैं। छात्रों की बढ़ रही रुचि की वजह से प्रैक्टिकल आधारित विषयों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।’ लेकिन फिर भी कोचिंग संस्थानों का जादू कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है।