आपको यह जानकर काफी हैरत होगी कि सुरक्षा एजेंसियों की नजर आपके कंप्यूटर पर भी है। आपके कंप्यूटर के जरिए अगर कोई हैकर ईमेल भेजता है तो भी इसकी जिम्मेदारी आपकी ही बनती है।
आपके कंप्यूटर से भेजे गए किसी संदिग्ध ईमेल के लिए सुरक्षा एजेंसियां साइबर आतंकवाद के जुर्म में आप पर मुकदमा दायर कर सकती हैं। जी हां! ऐसा बिल्कुल मुमकिन है, बावजूद इसके कि ईमेल आईडी फर्जी हो लेकिन अगर आप किसी कंप्यूटर पर सर्फिंग करते हैं तो उसकी पहचान आसानी से हो सकती है।
दरअसल कंप्यूटर की पहचान के लिए बनाए गए आईपी एड्रेस के जरिए आसानी से किसी कंप्यूटर से भेजे गए ईमेल की पहचान की जा सकती है। सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में अहमदाबाद बम विस्फोट के बारे में चेतावनी के लिए भेजे गए ईमेल भेजने वाले के बारे में इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) के जरिए पता लगा लिया। दरअसल यह ईमेल नवी मुंबई के एक फ्लैट के किसी कंप्यूटर से भेजा गया था। यह फ्लैट एक विदेशी नागरिक को किराए पर दिया गया था जो अब इस मामले में फंस गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर आतंकवादी कंप्यूटर को हैक कर लेते हैं और ट्रोजन के जरिए ईमेल भेजते हैं। ट्रोजन पुराने तरीके से धोखा देने वाला एक तरीका है जिसके जरिए एक प्रोग्राम को लोड किया जाता है और इसके जरिए हैकर आपके कंप्यूटर तक बड़ी आसानी से पहुंच बना सकते हैं। हैकर आपके कंप्यूटर पर आए हुए मेल और आपके द्वारा भेजे गए सभी मेल पर अपनी नजर रख सकता है। इसके अलावा आप किस वेबसाइट को देखते हैं और आप जो भी लेन-देन करने हैं इसके बारे में भी हैकर को जानकारी मिल जाती है और आपको पता भी नहीं चलता।
महिन्द्रा स्पेशल सर्विस के सीईओ कैप्टन रघु रामन का कहना है कि ज्यादातर हैकर बड़ी कुशलता से बिना कोई सूत्र छोड़े आईपी एड्रेस को पूरी तरह से खत्म कर देते हैं। हालांकि आईटी एक्ट, 2000 में इस मुद्दे पर कोई प्रावधान नहीं है और यह कानून भी काफी अस्पष्ट है। कंप्यूटर विशेषज्ञ सही अपराधी को पकड़ने में एजेंसियों की मदद कर सकते हैं। जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक उस विदेशी नागरिक को खुद ही एजेंसियों को आश्वस्त करना होगा कि वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून के विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है, ‘ऐसा लगता है कि विदेशी नागरिक को एजेंसियों के गुस्से का सामना करना होगा। हालांकि कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वालों को इस तरह के दावे के लिए जवाब देने का मौका मिलना चाहिए, नहीं तो वास्तविक उपयोगकर्ताओं के मन में डर बन सकता है।’ भारत को छोड़कर आर्थिक रूप से संपन्न सभी देशों के पास डाटा प्रोटेक्शन लॉ है। सुरक्षा और साइबर कानून विशेषज्ञों का कहना है, ‘अहमदाबाद में हुए हादसे के बाद से अब कंप्यूटर और इंटरनेट पर काम करने वालों के लिए सचेत होने और सबक लेने का समय है।’
बेंगलुरु के साइबर कानून विशेषज्ञ विजयशंकर का कहना है, ‘यह डरने की बात तो है ही लेकिन बहुत जरूरी बात भी है। घर पर काम करने वाले इंटरनेट यूजर को अपने कंप्यूटर की सुरक्षा का ख्याल करना चाहिए और एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और पर्सनल फायरवॉल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि साइबर आंतकवादियों की चपेट में आपका कंप्यूटर न आने पाए।’ आईपी एड्रेस को कुछ खास सॉफ्टवेयर के जरिए छुपाया जा सकता है। इसके लिए एजेंसियों को भी आईपी लेने के लिए डॉटकॉम का सहारा लेना पड़ सकता है।
जब कंप्यूटर को सुरक्षा देने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने लगेगा तब बेहद गंभीर साइबर आतंकवादी शायद ही इस तरह कोशिश दुबारा करेंगे। कंप्यूटर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है, ‘इलाज के बजाए रोकथाम का उपाय ही बेहतर है। हमलोगों को साइबर अपराध को रोकने के लिए और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का संतुलन करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए जिसके जरिए इंटरनेट का उपयोग करने वालों को ऐसे अवांछित तत्वों से दूर रखा जा सके।’