अक्सर कोई भारतीय अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में बड़ा बेबस और दूसरों पर आश्रित नजर आता है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में रहने वाले 70 वर्षीय गोपाल की जिंदगी भी इससे कुछ खास अलग नहीं है। गोपाल जंगलों से जड़ी बूटी चुनकर लाते थे और उन्हें बेचकर अपने और अपने परिवार का गुजर बसर करते थे। किसी तरह उन्होंने अपनी तीन बेटियों की शादी की। पर आज कल उनका ज्यादातर समय चारपाई पर लेटे लेटे ही बीतता है।
जीवन के इस आखिरी पड़ाव की पीड़ा वह अपनी खाट पर लेटकर महसूस कर रहे हैं। राजस्थान में आप बड़ी आसानी से देख सकते हैं कि किस तरह 70 वर्ष की आयु के वृध्द भी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत हर दिन महज 80 रुपये कमाने के लिए चट्टानें काट रहे हैं।
देश में करीब 28.4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें बुढ़ापे में भी जिंदगी गुजारने के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं दी गई है। करीब 1 करोड़ वृद्ध ही इतने भाग्यशाली हैं जिन्हें भविष्य निधि योजना में शामिल किया गया है और 2 करोड़ प्रौढ़ ऐसे हैं जो सरकार की पेंशन योजना के दायरे में आते हैं।
पिछले साल इनवेस्ट इंडिया माइक्रो पेंशन्स सर्विसेज (आईआईएमपी) नाम की एक कंपनी ने उन लाखों लोगों तक पहुंचने का फैसला किया जो पेंशन के दायरे में नहीं आते हैं। कंपनी का लक्ष्य कम आय वाले उन 15 करोड़ लोगों तक पहुंचने का था जो पेंशन के दायरे के बाहर थे।
आईआईएमपी ने अहमदाबाद में माइक्रो-पेंशन परियोजना की शुरुआत करने के लिए सेवा और यूटीआई बैंक की पेंशन योजना के साथ गठजोड़ किया। और वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस योजना को लॉन्च किया। इस योजना के तहत फंडों को यूटीआई के सेवानिवृत्ति पेंशन फंड में निवेश किया जाता है और इस पर निगरानी का जिम्मा भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को सौंपा गया है।
आज आईआईएमपी और यूटीआई दूसरे राज्यों में भी पैर पसार रहे हैं। आंध्र्रप्रदेश में हजारों एमएफआई (सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों) का लाभ उठाने वालों को पेंशन निवेशकों में तब्दील करने के लिए आईआईएमपी और यूटीआई ने एमएफआई शारदा के साथ समझौता गठजोड़ किया है।
दिल्ली में भी एक अन्य एमएफआई ने आईआईएमपी के साथ तालमेल बिठाने का फैसला किया है। आईआईएमपी जल्द ही तमिलनाडु और केरल में परिचालन शुरू करेगी। कंपनी के पास फिलहाल करीब 1 लाख उपभोक्ता हैं और अगले 3 से 4 सालों में कंपनी की योजना 30 लाख उपभोक्ताओं को अपने साथ जोड़ने की है।
माइक्रो पेंशन एक अनोखा प्रयास है जिसके तहत पेंशन सेक्टर विकास क्षेत्र और निजी क्षेत्र के साथ हाथ मिलाता है। इनका काम यह सुनिश्चित करना है कि कम आय वाले मजदूर भी पेंशन योजनाओं का लाभ उठा सकें।
इस पेंशन योजना के बारे में आईआईएमपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आशीष अग्रवाल कहते हैं कि इन योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों का पैसा सुरक्षित है क्योंकि वे लंबे समय के लिए निवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को हर महीने निश्चित तौर पर बचत करने की आदत पड़ती है और वे बीच में इसे निकाल नहीं सकते तो उन्हें एकमुश्त पैसा मिलता है।
आईआईएमपी के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के लिए देश में हर साल वेतन और मुद्रास्फीति-सूचकांक पेंशन के रूप में 25 अरब डॉलर खर्च किए जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय वृद्ध पेंशन योजना के तहत प्रति वृद्ध 10 डॉलर के हिसाब से पेंशन पर महज 35 करोड़ डॉलर ही खर्च किए जाते हैं।
आईआईएमपी की बाजार से जुड़ी इस निवेश योजना में कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है। अकेले अहमदाबाद में 45,000 लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और हर महीने अपनी सामर्थ्य के हिसाब से बचत कर रहे हैं।
इस योजना का लाभ उठाने वालों में दुग्ध विक्रेता, वेंडर्स और यहां तक कि सेवा से जुड़ी गृहणियां भी शामिल हैं। दिल्ली में भी अहमदाबाद की कहानी दोहराने के लिए आईआईएमपी ने दो स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ गठजोड़ किया है। देश में एक दूसरी तरह की पेंशन योजना भी चल रही है जिसमें सरकार की भागीदारी भी है।
राजस्थान में पिछले साल राज्य सरकार ने आगे बढ़ते हुए विश्वकर्मा पेंशन योजना की शुरुआत की थी जो गरीबों के लिए है। इस योजना के तहत एक मजदूर हर महीने 80 रुपये जमा कराता है और सरकार भी उतनी ही रकम अपनी ओर से जमा कराती है।
अगर वह 25 सालों तक इस योजना में निवेश करता रहता है तो इस अवधि के बाद उसकी रकम दोगुनी हो जाएगी और उसे 2.5 लाख रुपये मिलेंगे। यानी उसे 10 सालों के लिए हर महीने 2,000 रुपये दिये जाएंगे। इस योजना से अगर 5 लाख लोग भी जुड़ते हैं तो सरकार को हर महीने अपनी ओर से महज 50 करोड़ रुपये ही खर्चने पड़ेंगे।
इस योजना के पीछे इनवेस्ट इंडिया माइक्रो पेंशन्स लिमिटेड की भी भागीदारी है और कंपनी अब इस योजना को दूसरे राज्यों में शुरू करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश पहले ही कुशाभाउ ठाकरे पेंशन योजना की घोषणा कर चुका है जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और उड़ीसा ने भी ऐसी योजनाओं में दिलचस्पी दिखलाई है।
वित्त मंत्रालय ने एक पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण का गठन किया है जो जल्द ही असंगठित क्षेत्र के लिए एक राष्ट्रीय पेंशन योजना की शुरुआत करेगा। इस योजना का लाभ कोई भी उठा सकता है पर इसकी शुरुआत में अभी समय लगेगा।
इधर, आंध्र प्रदेश में शारदा, दिल्ली में एक एमएफआई और गुजरात में सेवा ने साबित कर दिया है कि लघु वित्त क्षेत्र अब केवल ऋण बांटने के काम से ही जुड़ा रहना नहीं चाहता, बल्कि वह लंबी अवधि की सेवाएं देने को भी तैयार है। और निश्चित तौर पर यह एक अच्छी खबर है।