अक्टूबर के औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (आईआईपी) में वही हुआ, जिसका डर कई विश्लेषकों को था।
यह अब उस स्तर से भी नीचे चला आया है, जिस पर वह पिछले साल अक्टूबर में था। अक्टूबर का आईआईपी तो 0.4 फीसदी की सीमा तक सिमट गया है। इसके सबसे अहम हिस्से, विनिर्माण को 1.2 फीसदी की जबरदस्त गिरावट झेलनी पड़ी है।
दूसरी तरफ, खनन और बिजली सेक्टर में 2.8 और 4.4 फीसदी की तरक्की हुई। हालांकि, 1990 के दशक के बाद यह पहला मौका है, जब इस सूचकांक को उन्नति के बजाए अवनति का मुंह देखना पड़ा है।
वैसे हकीकत तो यही है कि संकट के बादल जुलाई, 2007 से ही घिरने लगे थे। इसमें गिरावट का रुख बरकरार रहा। कई संकेतों ने शुरुआत में ही बता दिया था कि अक्टूबर में आईआईपी का हाल बुरा होगा। पिछले साल अक्टूबर में यह सूचकांक 12.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा था।
यह उसके पहले और बाद के महीनों में हुए विकास का नतीजा था। इसलिए इस साल अक्टूबर महीने के आईआईपी के लिए उसकी बराबरी कर पाना काफी मुश्किल था। वस्तुओं के निर्यात में इस साल अक्टूबर में 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी बिक्री का हाल बुरा था। इसमें भी सबसे बुरा हाल तो व्यवासायिक वाहनों का था, जिनकी बिक्री में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस साल अक्टूबर में 36 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। साथ ही, रियल एस्टेट सेक्टर में नकदी के अभाव ने तो कई प्रोजेक्टों का बंटाधार कर दिया है।
ये सारी बातें आईआईपी के नए आंकड़ों में साफ दिखाई देती हैं। कपड़ा और चमड़ा जैसे निर्यात पर काफी हद तक रहने वाले उद्योगों को तो काफी बुरे वक्त से गुजरना पड़ रहा है।
चमड़ा और चमड़ा उत्पादों में इस साल अक्टूबर में 18.1 फीसदी की गिरावट आई। वहीं, सूती कपड़ा और कपड़ा उत्पाद सेगमेंट को 9.6 और 4.4 फीसदी गिरावट का सामना करना पड़ा है।
दिक्कत यह है कि अब और भी बुरा हो सकता है। नवंबर में निर्यात के आंकड़े में 10 फीसदी की गिरावट साफ नजर आ रही है। इसका मतलब यह हुआ कि इन सेक्टरों के लिए अभी बुरा वक्त गुजरा नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। इस बीच परिवहन उपकरण सेक्टर में भी 6.1 फीसदी की गिरावट आई है।
वजह है, व्यावसायिक वाहनों के सेक्टर में छाई सुस्ती। दरअसल व्यावसायिक वाहनों की खरीद, क्षमता में विस्तार की प्रक्रिया को दिखलाती है। इसलिए इस सेक्टर में मंदी की वजह से अगले कुछ महीनों में विकास दर पर भी असर पड़ने की उम्मीद है।
निर्माण सेक्टर में कमजोरी की वजह से गैर धातु खनिज उत्पाद सेक्टर में 3.3 फीसदी की गिरावट आई है। बेसिक मेटल और मेटल प्रोडक्ट सेक्टर में भी थोड़ा-बहुत विकास हुआ है। मशीनरी और उपकरण सेक्टर में भी विकास न के बराबर ही हुआ है।
निवेश की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है। हालांकि, मंदी सिर्फ इन्हीं सेक्टरों तक सिमट कर नहीं रह गई है। 17 में से 10 औद्योगिक सेक्टरों में अक्टूबर 2007 के मुकाबले इस साल गिरावट देखने को मिली है।
वहीं, उपभोग से जुड़े उपभोक्ता टिकाऊ और गैर टिकाऊ वस्तु सेक्टरों में पिछले साल के मुकाबले 3 और 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसका मतलब हुआ कि मंदी का असर उपभोक्ताओं के भरोसे पर भी पड़ा है।