Skip to content
  शनिवार 4 फ़रवरी 2023
Trending
February 3, 2023विदेशी शेयरों में घटेगा निवेश!February 3, 2023पॉलिसी पर कर से राजस्व पर असरFebruary 3, 2023स्पेक्ट्रम नीलामी से गैर कर राजस्व का लक्ष्यFebruary 3, 2023अन्वेषण लाइसेंस प्रक्रिया की सुगमता से बढ़ेगा राजस्वFebruary 3, 2023FPI को बजट में नहीं मिली कर से राहतFebruary 3, 2023Budget 2023 : एनर्जी सेक्टर को बजट राशि के स्पष्ट ब्योरे का इंतजारFebruary 3, 2023भारतीय बाजार रेगुलेटेड बने हुए हैं : वित्त मंत्री सीतारमणFebruary 3, 2023बजट पर बात करने मुंबई पहुंचीं निर्मलाFebruary 3, 2023Adani के खिलाफ हो निष्पक्ष जांच: विपक्षFebruary 3, 2023Adani Row : अदाणी समूह की कंपनियों के डॉलर बॉन्डों में तेजी
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  खुदरा खरीदारी बढ़ी मगर हिस्सेदारी घटी
लेख

खुदरा खरीदारी बढ़ी मगर हिस्सेदारी घटी

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —March 17, 2021 11:19 PM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

पिछले साल ज्यादातर अन्य देशों की तरह भारत के शेयर बाजारों में भी खुदरा भागीदारी बढ़ी। कारोबार में खुदरा हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी से बढ़कर लगभग 70 फीसदी पर पहुंच गई। इसके अस्थायी होने के आसार जताए जा रहे थे। यह कहा जा रहा था कि भागीदारी उन लोगों की बदौलत बढ़ी है, जिनके पास कम बैंक जमा दरों के माहौल में लॉकडाउन की वजह से निवेश करने के लिए न केवल ज्यादा पैसा बचा था, बल्कि उनके पास कारोबार करने के लिए समय था और उन्हें दूसरी छमाही में बाजारों में तेज सुधार आने का भी फायदा मिला था।
हालांकि खुदरा कारोबार में बढ़ोतरी की यह व्याख्या कम से कम पहले मोर्चे पर गलत थी क्योंकि लगभग पूरी अर्थव्यवस्था खुलने के बाद भी कारोबारी गतिविधियां ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं और असल में उनमें बढ़ोतरी हुई है। इस समय डिमैटेरियलाइज्ड खातों की संख्या पिछले साल जनवरी के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है, जबकि महामारी से पहले सामान्य वृद्धि का दायरा 10 से 15 फीसदी था। अब इस बात की संभावना है कि शेयरों में खुदरा भागीदारी कुछ समय ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी।
इसका बाजारों के लिए क्या मतलब है? दिसंबर 2020 के आखिर में खुदरा निवेशकों की सामूहिक रूप से बीएसई 500 में करीब 14 फीसदी हिस्सेदारी थी, जिसमें मार्च के अंत से कोई बदलाव नहीं हुआ। यह दो दशक में सबसे कम हिस्सेदारी है, जो वर्ष 2005 में 21 फीसदी हिस्सेदारी के मुकाबले कम है। इस अवधि में शुद्ध खरीद के बावजूद यह गिरावट बनी हुई है। इस अवधि में बिक्री के मुकाबले ज्यादा शेयरों की खरीदारी के बावजूद होल्डिंग की खुदरा हिस्सेदारी कैसे घट सकती है? इसकी वजह कमजोर प्रदर्शन है यानी खुदरा निवेशकों का सामूहिक शेयर पोर्टफोलियो इस अवधि के दौरान बीएसई 500 की तुलना में कम चढ़ा। तुलनात्मक प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव भी रहा है। वर्ष 2005 से 2011 के बीच प्रदर्शन काफी कमजोर रहा, वर्ष 2011 से 2018 के बीच सुधार आया, लेकिन फिर प्रदर्शन कमजोर पड़ा है।
यह कमजोर प्रदर्शन क्यों रहा? इस बात पर गौर करें कि यह लेनदेन लागत से पहले की हिस्सेदारी है। बहुत से शोधार्थी आरोप लगाते हैं कि लेनदेन लागत से खुदरा प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। व्यक्तिगत निवेशक न केवल ऊंची लेनदेन फीस (इसमें थोड़े बदलाव की संभावना है) लागत चुकाते हैं बल्कि जल्दी-जल्दी लेनदेन भी करते हैं। उनकी बीएसई500 के फ्री-फ्लोट में 26 फीसदी हिस्सेदारी है, लेकिन कारोबार में 70 फीसदी हिस्सा है। इसकी दो व्यापक वजह हो सकती हैं। या तो बाजार में प्रवेश करने का खराब समय (सूचकांक स्तर पर मापा गया) या कमजोर शेयर चयन। लगभग हर कोई यह बात जानता है कि अगर कोई बाजार के ऊंचाई पर होने के समय खरीदारी करता है और बाजार के नीचे होने के समय घबराहट में बेचता है तो वह 1950 के दशक की फिल्मों में ‘सट्टा बाजार’ में अपना सब-कुछ गंवाने वाले पात्रों की तरह है। हालांकि ऐसा कुछ लोगों के लिए सही हो सकता है, लेकिन समग्र आंकड़ों में नजर नहीं आता है। कम से कम वर्ष 2005 से तो बाजार में गिरावट के समय जैसे 2009, 2011 की शुरुआत और 2017 में खुदरा खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है।
इससे एकमात्र कारण शेयरों का कमजोर चयन ही बच जाता है और असल में पहले की अवधि के आंकड़े इस नजरिये की पुष्टि भी करते हैं।   
न केवल उनका बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों का स्वामित्व औसत से कम है बल्कि हमने जिन सभी अवधियों का अध्ययन किया, उनमें खुदरा निवेशकों की बीएसई 500 के बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों मेंं शुद्ध खरीदारी बहुत कम थी। उन्होंने या तो अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों की शुद्ध बिकवाली की या कमजोर प्रदर्शन करने वाले शेयर खरीदे। पांच अरब डॉलर से अधिक बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों की सूची, जहां स्वामित्व की खुदरा हिस्सेदारी रिकॉर्ड निचले स्तर पर है, वह एकदम सही है। ये ब्लूचिप शेयर हैं, जिन्होंने इस अवधि में लगातार मजबूत प्रतिफल दिया है। पिछले कई दशकों में शोधार्धियों ने ऐसे बहुत से अलाभ पाए हैं, जिनका सामना व्यक्तिगत निवेशकों को बाजार में करना पड़ता है। इनसे उनका प्रदर्शन कमजोर रहता है। इनमें सूचनाओं के अभाव से लेकर डिस्पोजिशन इफेक्ट (अच्छे शेयरों को बेचना और खराब को बनाए रखना) जैसे पूर्वग्रह शामिल हैं। ये निस्संदेह पोर्टफोलियो प्रबंधकोंं को भी प्रभावित करते हैं, लेकिन संभवतया कम। हम कुछ उच्च स्तरीय कारकों पर ध्यान देते हैं।
अधिक या कम स्वामित्व का एक स्पष्ट आधार बाजार पूंजीकरण है:
खुदरा निवेशक स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में ज्यादा निवेश करते हैं, इसलिए वे उनके तुलनात्मक प्रदर्शन से ज्यादा प्रभावित होते हैं। खुदरा निवेशकों के पास एक अरब डॉलर से कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के आउटस्टैंडिंग शेयरों में से 24 फीसदी हैं, लेकिन उनकी हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों में केवल 13 फीसदी है। एक अरब डॉलर से कम बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों का संयुक्त खुदरा पोर्टफोलियो मेंं करीब 10 फीसदी हिस्सा है, लेकिन अहम ज्यादा स्वामित्व को देखते हुए उनके तुलनात्मक प्रदर्शन का पोर्टफोलियो प्रतिफल पर असर पड़ता है। संस्थागत कोष प्रबंधक, विशेष रूप से विदेशी कोष प्रबंधक ऐसे शेयरों को प्राथमिकता देते हैं, जिन्हें वे आसानी से खरीद एवं बेच सकें और उन्होंने बीते वर्षों में लार्ज मार्केट कैप शेयरों की खरीदारी बढ़ाई है।
खुदरा निवेशकों की स्मॉल और मिड कैप के फ्री-फ्लोट में 54 फीसदी हिस्सा है, इसलिए खुदरा निवेश की आवक बरकरार रहने से मिड और स्मॉल कैप को पिछले छह महीनों के बेहतर प्रदर्शन को कम से कम लघु अवधि में बनाए रखने में मदद मिलेगी।
इससे यह याद करने में मदद मिलती है कि शेयरों के कारोबार को मार्केट-कैप सीमा के हिसाब से नहीं बांटा गया है। उदाहरण के लिए अगर लार्ज-कैप शेयरों को लेकर झुकाव की वजह से उनमें विदेशी धन की आवक बढ़ती है तो वे लघु अवधि में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि उनके और स्मॉल एवं मिड-कैप के बीच मूल्यांकन में बढ़ते अंतर से आर्बिट्राज का रास्ता खुलेगा। इससे कुछ खुदरा निवेशक लार्ज-कैप को बेचकर स्मॉल एवं मिड कैप शेयरों की खरीदारी कर सकते हैं। अगर अधिक खुदरा प्रवाह बना रहता है और लार्ज और स्मॉल कैप के बीच मूल्यांकन में अंतर काफी कम हो जाता है तो इसका विपरीत भी हो सकता है।
स्मॉल और मिड कैप के बेहतर प्रदर्शन के लंबे समय तक चलने के लिए उनकी आमदनी में सुधार आना जरूरी है। लार्ज-कैप के लाभ का वैश्विक बाजार से मजबूत जुड़ाव होता है, लेकिन मिड और स्मॉल कैप काफी हद तक घरेलू बाजार पर निर्भर होते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में मध्यम अवधि में वृद्धि की संभावनाएं सुधर रही हैं, इसलिए इन कंपनियों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल मिलेगा। इससे खुदरा पोर्टफोलियो को भी मदद मिलनी चाहिए।
एक अन्य आधार क्षेत्र है: खुदरा निवेशकों के पोर्टफोलियो में क्षेत्रों का भार संस्थागत निवेशकों से बिल्कुल अलग होता है। (उन्हें ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि सभी तरह के शेयरधारक एकसमान क्षेत्रों में ज्यादा या कम निवेश नहीं रख सकते हैं, किसी को तो दूसरी तरफ होना चाहिए)। संस्थागत निवेशकों की तुलना में प्रमुख क्षेत्रों में खुदरा हिस्सेदारी निजी बैंकों, एनबीएफसी, आईटी सेवाओं और ऊर्जा में कम है। वहीं खाद्य वस्तुओं, औद्योगिक और उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्रों में अधिक है। यह आयाम आसान निष्कर्ष नहीं दर्शाता है और पोर्टफोलियो बनाने की चुनौतियों यानी सही क्षेत्र लेकिन क्षेत्र में गलत शेयर चुनने की तरफ संकेत करता है। बेहतर या कमजोर प्रदर्शन की अवधारणा परिभाषा के हिसाब से कुल जोड़ शून्य खेल के समान है। सूचीबद्ध कंपनियों के तीन तरह के निवेशकों- प्रवर्तक (सरकार या निजी क्षेत्र), संस्थागत धन प्रबंधन (घरेलू या विदेशी) और खुदरा में से एक निवेशक वर्ग बेहतर प्रदर्शन करेगा तो दूसरे का कमजोर प्रदर्शन रहेगा। प्रवर्तकों का परिभाषा के हिसाब से महज एक कंपनी में निवेश होता है, इसलिए कई तरह से यह खेल संस्थागत और खुदरा निवेशकों के बीच होता है। अगर खुदरा बेंचमार्क को मात दे देता है तो संस्थागत निवेशकों का कमजोर प्रदर्शन रहेगा। अब तक इसका विपरीत नियम रहा है, जिसे देखते हुए संस्थागत निवेशकों को लाभ हो सकता है। निस्संदेह संस्थागत धन के लिए चुनौती अपने अन्य प्रतिस्पर्धी- ईटीएफ को मात देकर बेहतर प्रदर्शन हासिल करना है।
(लेखक एपीएसी स्ट्रैटजी के सह-प्रमुख और क्रेडिट सुइस के भारत में रणनीतिकार हैं)

खुदरा खरीदारीगतिविधियांबीएसई-500लॉकडाउनशेयर बाजारहिस्सेदारी
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आज का अखबार

काफी कुछ दांव पर

February 3, 2023 10:57 PM IST0
आज का अखबार

राजधानियों के प्रश्न में उलझा आंध्र प्रदेश

February 3, 2023 10:48 PM IST0
आज का अखबार

बजट में वृहद राजकोषीय चुनौतियों के प्रबंधन पर जोर

February 3, 2023 10:25 PM IST0
आज का अखबार

बैंकिंग क्षेत्र को बजट का करना चाहिए स्वागत

February 3, 2023 10:20 AM IST0
आज का अखबार

Budget 2023: कर संग्रह में बदलाव, रकम की योजना पर टीसीएस बढ़ा

February 1, 2023 11:25 PM IST0
आज का अखबार

Budget 2023: नई कर व्यवस्था से मध्यवर्ग को लाभ

February 1, 2023 10:56 PM IST0
अन्य समाचार

Budget 2023: 5-G एप्लीकेशन के लिए इंजीनियरिंग कालेजों में 100 लेबोरेटरी स्थापित की जाएंगी

February 1, 2023 5:06 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

ICET meeting: डोभाल की अमेरिकी यात्रा ने भारत-अमेरिका सहयोग को गति देने का आधार तैयार किया

February 1, 2023 11:45 AM IST0
अन्य समाचार

Budget 2023: कोरोना महामारी के समय कोई भूखा नहीं रहा, 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दिया- सीतारमण

February 1, 2023 11:41 AM IST0
अन्य समाचार

Budget 2023: बजट से पहले शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स ने लगाई छलांग, निफ्टी भी चढ़ा

February 1, 2023 10:47 AM IST0

Trending Topics


  • Gold Prices Today
  • Stock Market Update
  • Adani Enterprises Share Price
  • Rupee vs Dollar
  • Stocks To Watch
  • Adani FPO
  • New Income Tax Regime
  • Online Gaming | Budget 2023
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


विदेशी शेयरों में घटेगा निवेश!

February 3, 2023 11:58 PM IST

पॉलिसी पर कर से राजस्व पर असर

February 3, 2023 11:54 PM IST

स्पेक्ट्रम नीलामी से गैर कर राजस्व का लक्ष्य

February 3, 2023 11:50 PM IST

अन्वेषण लाइसेंस प्रक्रिया की सुगमता से बढ़ेगा राजस्व

February 3, 2023 11:47 PM IST

FPI को बजट में नहीं मिली कर से राहत

February 3, 2023 11:44 PM IST

Latest News


  • विदेशी शेयरों में घटेगा निवेश!
    by अभिषेक कुमार
    February 3, 2023
  • पॉलिसी पर कर से राजस्व पर असर
    by सुब्रत पांडा
    February 3, 2023
  • स्पेक्ट्रम नीलामी से गैर कर राजस्व का लक्ष्य
    by शुभायन चक्रवर्ती
    February 3, 2023
  • अन्वेषण लाइसेंस प्रक्रिया की सुगमता से बढ़ेगा राजस्व
    by शुभायन चक्रवर्ती
    February 3, 2023
  • FPI को बजट में नहीं मिली कर से राहत
    by खुशबू तिवारी
    February 3, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
60841.88 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स60842
9101.52%
निफ्टी60842
9100%
सीएनएक्स 50014962
1230.83%
रुपया-डॉलर81.80
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Mahindra Life.379.208.31
Adani Ports498.857.98
AAVAS Financiers1996.757.33
Titan Company2463.206.87
Bank of Baroda163.656.20
Rajesh Exports946.906.15
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Mahindra Life.380.058.80
Adani Ports498.857.87
AAVAS Financiers1998.657.37
Titan Company2463.106.72
Bank of Baroda163.606.20
Ambuja Cements373.605.97
आगे पढ़े  

# TRENDING

Gold Prices TodayStock Market UpdateAdani Enterprises Share PriceRupee vs DollarStocks To WatchAdani FPONew Income Tax RegimeOnline Gaming | Budget 2023Union Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us