Skip to content
  बुधवार 22 मार्च 2023
Trending
March 22, 2023सेबी ने बरती सख्ती, नियामक के पास AIF आवेदन की भरमारMarch 22, 2023कोरोमंडल इंटरनैशनल करेगी 1,000 करोड़ रुपये का निवेशMarch 22, 2023बंधुता, समृद्धि और ध्रुवीकरणMarch 22, 2023मजबूत वित्तीय सेवा कंपनी बनने पर रहेगा जोर, REL चेयरमैन ने बताया क्या है विकास की योजनाMarch 22, 2023IFC करेगा Mahindra की नई कंपनी में 600 करोड़ रुपये निवेशMarch 22, 2023भारतीय विमानन कंपनियों को प्रतिस्पर्धा से डरने की जरूरत नहीं : सीईओ, नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्टMarch 22, 2023Flipkart exchange programme : पुरानी AC लाएं, नई AC ले जाएं ! ऐसे करा सकेंगे एक्सचेंजMarch 22, 2023क्रेडिट सुइस संकट से भारतीय एटी-1 निवेशकों पर ज्यादा प्रभाव पड़ने के आसार नहींMarch 22, 2023एसवीबी के पतन में भारत के लिए सबकMarch 22, 2023यात्री और वाणिज्यिक वाहनों की वित्त वर्ष 23 में हुई शानदार बिक्री
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  रिजर्व बैंक निगरानी व्यवस्था करे मजबूत
लेख

रिजर्व बैंक निगरानी व्यवस्था करे मजबूत

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —October 23, 2020 12:12 AM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

एम राजेश्वर राव ने गत सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चौथे डिप्टी गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला तो केंद्रीय बैंक ने अपने डिप्टी गवर्नरों के कामकाज में भी बदलाव कर दिया। राव अब नियमन एवं जोखिम प्रबंधन का काम देखेंगे जबकि एम के जैन के पास निगरानी का दायित्व बना रहेगा। एम डी पात्रा के पास पहले की तरह मौद्रिक नीति विभाग का प्रभार रहेगा और सबसे वरिष्ठ डिप्टी गवर्नर बी पी कानूनगो के पास मुद्रा, विदेशी मुद्रा विनिमय एवं ऋण प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी और भुगतान एवं समाधान का काम होगा।
इस बीच हमने एक विशेषीकृत निगरानी एवं नियामकीय कैडर बनाने के बारे में केंद्रीय बैंक की योजना के बारे में कुछ भी नया सुनने को नहीं मिला है। नियमन एवं निगरानी कार्यों के पुनर्गठन का फैसला आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल ने मार्च 2019 में किया था। ऐसा लगता है कि फिलहाल आरबीआई इस दिशा में आगे बढ़ता हुआ नहीं दिख रहा है।
नियमन एवं निरीक्षण को सशक्त करने पर जोर देना भारतीय बैंकिंग उद्योग में धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं का नतीजा था। वर्ष 2015 में 19,455 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 4,639 मामलों का पता चला था। वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 8,707 मामले और 1.85 लाख करोड़ रुपये हो गया। असल में, ये आंकड़े किसी वित्त वर्ष में सामने आए धोखाधड़ी के मामलों के हैं, न कि उस साल वास्तव में घटित धोखाधड़ी के हैं। धोखाधड़ी किए जाने और उसके सामने आने के बीच एक अंतराल है।
चुनिंदा क्षेत्रों में पूर्ण विकसित केंद्रीय बैंकरों बनाम विशेषज्ञों के बीच बहस उतनी ही पुरानी है जितनी कि खुद आरबीआई। शुरुआती दौर में जोर विशेषज्ञता पर था। वर्ष 1935 में गठन के बाद के पहले दशक में आरबीआई के तीन विभाग थे: बैंकिंग, मुद्दा एवं कृषि ऋण। अगस्त 1945 में कृषि ऋण विभाग को तीन प्रकोष्ठों में बांट दिया गया। विभागों के पुनर्गठन एवं नए समूह बनाने की कवायद वर्ष 1965 तक जारी रही। एक दशक बाद 1978 में आरबीआई ने वरिष्ठता की समूहवार व्यवस्था खत्म कर दी और पश्चवर्ती प्रभावों के साथ खास वर्गों के लिए एक सम्मिलित वरिष्ठता का विकल्प चुना। कर्मचारियों के एक तबके ने सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी लेकिन याचिका को निरस्त कर दिया गया। पिछले चार दशकों से आरबीआई सामान्यीकरण पर जोर देता रहा है। अब फिर से विशेषज्ञता की तरफ लौटने की हालिया कोशिश को इसके कर्मचारियों से तगड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
ऐसी स्थिति में विशेषज्ञता और सामान्यीकरण के बीच संतुलन साधने की जरूरत है क्योंकि एक समग्र नजरिया बनाने एवं विशेषज्ञता के बीच एक दुविधा होती है। इसका कारण यह है कि विशेषज्ञता की तलाश पेड़ों के लिए जंगल को खोने जैसी होती है। आरबीआई के साथ करियर बिताने वाले अफसर अमूमन सभी तरह के काम करते हैं लेकिन उनकी महारत कुछ ही क्षेत्रों में होती है। आरबीआई के कुछ कर्मचारियों को लगता है कि केंद्रीय बैंक की एक पूर्ण सेवा शुरू होने पर उन्हें अलग-अलग काम करने का मौका नहीं मिल पाएगा जबकि कुछ कर्मचारी आरबीआई से अलग कर बनाए गए नए विभाग के जोखिमों का आकलन करने में लगे हुए हैं।
वित्तीय क्षेत्र में हुई कई बड़ी एवं हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी के मामलों में आरबीआई को लगी लताड़ ने इस कदम के लिए प्रेरित किया है। पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले से यह सिलसिला शुरू हुआ और कुछ महीने बाद पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) का मामला भी सामने आ गया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी अभियोजन शिकायत में कहा कि पीएमसी बैंक से 2005-13 के दौरान कर्ज के रूप में 6,700 करोड़ रुपये लेने वाली एचडीआईएल ने 2,500 करोड़ रुपये की लॉन्डरिंग कर दी थी। हम सबको पता है कि आईएलऐंडएफएस, दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन और येस बैंक में किस तरह की वित्तीय गड़बडिय़ां हुई हैं।
ऐतिहासिक तौर पर आरबीआई धोखेबाजों को दूर रखे के लिए लगभग रोज ही कोई-न-कोई सर्कुलर जारी करता रहा है। ऐसे में उसे जरूरत मौके पर अधिक निगरानी की है। तकनीक की मदद से केवल उच्च-आवृत्ति वाले आंकड़ों का परीक्षण करना ही काफी नहीं है।
पहले आरबीआई की निगरानी का मुख्य आधार मौके पर निगरानी ही होता था। लेकिन समय के साथ इसमें कमी आती गई है और इसकी जगह ऑफसाइट निगरानी ने ले ली है। ऑफसाइट निगरानी के तहत दैनिक, साप्ताहिक, पखवाड़े और मासिक आधार पर वित्तीय आंकड़ों पर नजर रखी जाती है।
ऑनसाइट निगरानी देश भर में की जानी चाहिए, न कि बैंकों के मुख्यालयों तक ही सीमित रहे। सभी बैंकों में सभी चीजों के पूरी तरह केंद्रीकृत होने की धारणा हमेशा सही नहीं हो सकती है। क्षेत्रीय कार्यालयों एवं चुनिंदा शाखाओं को भी इस निगरानी की जद में रखा जाना चाहिए। पहले ऑनसाइट निगरानी तमाम बैंकों में एक विषयवस्तु पर आधारित होती थी जिसमें ट्रेजरी एवं वरीय क्षेत्रों को ऋण आवंटन जैसे पहलू शामिल होते थे। उस सिलसिले को बहाल किया जाए और उसमें बैंकिंग गतिविधियों की शहर-विशेष एवं स्थान-विशेष समीक्षा की जाए।
आरबीआई लेनदेन का परीक्षण करता रहता था लेकिन जोखिम एवं पूंजी के आकलन की नई निगरानी व्यवस्था बनाने के बाद ऐसा होना बंद हो गया। वाणिज्यिक बैंकों के निरीक्षण के लिए गठित एक उच्च-स्तरीय संचालन समिति के सुझावों पर नई निगरानी ढांचा बना था। इसके बाद आरबीआई जोखिम-आधारित निगरानी (आरबीएस) कही जाने व्यवस्था पर चलने लगा जो अधिक जटिल मॉडल है।
आरबीएस मॉडल को अपनाने के पहले चरण में 2013 के बाद से 29 बैंकों को इसके दायरे में लाया गया।
संशोधित ढांचे में वर्तमान एवं भावी जोखिमों के बारे में एक समग्र मूल्यांकन, आरंभिक मुद्दों की पहचान, मूल्यांकन पर आधारित निरीक्षणात्मक रुख तय करने और समयबद्ध हस्तक्षेप एवं सुधारात्मक कदम उठाने के प्रावधान किए गए हैं। यह अनुपालन पर आधारित और लेनदेन के परीक्षण पर केंद्रित पुरानी निगरानी व्यवस्था ‘कैमेल्स’ से काफी अलग है।
कैमेल्स प्रणाली के तहत बैंकों को पांच श्रेणियों में बांटा गया था जिसका आधार उनके कारोबारी मॉडल होते थे। इसमें एसबीआई, दूसरे सार्वजनिक बैंक, पुराने निजी बैंक, नए निजी बैंक एवं विदेशी बैंक भी शामिल थे। वहीं नई निगरानी व्यवस्था में बैंकों को समरूपता के आधार पर नए सिरे से समूहों में बांटा गया। मसलन, सिटीबैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और एचएसबीसी को पहले विदेशी बैंकों के तौर पर वगीकृत किया गया लेकिन आरबीएस व्यवस्था के तहत उन्हें मझोले आकार के बैंकों के तौर पर वर्गीकृत किया गया।
ऐतिहासिक रूप से आरबीआई एक ऑनसाइट निरीक्षण पर जोर देने वाला एवं ऑफसाइट निगरानी को कम अहमियत देने वाला नियामक रहा है। लेकिन आरबीएस के आने के साथ ही यह धारणा बदल गई है। इसके साथ ही अब ऑनसाइट निरीक्षण के बजाय ऑफसाइट निगरानी को तवज्जो दी जाने लगी है जबकि लेनदेन परीक्षण के नमूनों में कमी आई है। निरीक्षण मुख्य रूप से बैंकों के मुख्यालय पर केंद्रित हो गए हैं और ऑनसाइट निगरानी की जद में रहने वाली सभी निर्दिष्ट विदेशी मुद्रा विनिमय एवं ट्रेजरी शाखाएं, प्रशासनिक कार्यालय एवं संवेदनशील शाखाएं अब इससे बाहर हो गई हैं।
ऑफसाइट निगरानी व्यवस्था में आया बदलाव एक स्वागत-योग्य कदम है लेकिन यह ऑनसाइट निगरानी की मुश्किल कम करने की कवायद के साथ नहीं होनी चाहिए। चुनौती यह है कि ऑफसाइट निगरानी एवं ऑनसाइट निरीक्षण के बीच क्षमता निर्माण निरंतरता एवं सम्मिलन के साथ कैसे अंजाम दिया जाए? डेटा विश्लेषण एवं लेनदेन परीक्षण आसन्न खतरों के बारे में महज आगाह ही कर सकता है। समूची वित्तीय प्रणाली में फंड के प्रवाह पर नजर रखने के लिए पूंजी बाजार नियामक के साथ करीबी समन्वय से भी मदद मिलेगी।
(लेखक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक, लेखक एवं जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ परामर्शदाता हैं)

आरबीआईऑनसाइट परीक्षणनिगरानी व्यवस्थापीएनबी धोखाधड़ीबैंकरमौद्रिक नीति
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आज का अखबार

बंधुता, समृद्धि और ध्रुवीकरण

March 22, 2023 9:09 PM IST
आज का अखबार

एसवीबी के पतन में भारत के लिए सबक

March 22, 2023 8:02 PM IST
आज का अखबार

व्यापक साझेदारी

March 21, 2023 10:31 PM IST
आज का अखबार

चारे की समस्या का समाधान तो श्वेत क्रांति में नहीं आएगा व्यवधान

March 21, 2023 10:26 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में अहम भूमिका निभाता है हैदराबाद: US

March 22, 2023 9:57 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान में आए भूकंप में 9 लोगों की मौत, कई घायल

March 22, 2023 9:47 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

वैश्विक दूरसंचार निकाय में 6G पर चर्चा के लिए भारत की पहल

March 21, 2023 11:30 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

अप्रैल-जनवरी के दौरान विदेश गया ज्यादा धन, टूटे रिकॉर्ड

March 21, 2023 11:20 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

IPEF के नतीजों से भारत के घरेलू नीति विकल्प प्रभावित नहीं होने चाहिए: व्यापार विशेषज्ञ

March 21, 2023 3:44 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

US: भारतवंशी निशा देसाई बन सकती हैं IDFC की डिप्टी सीईओ

March 21, 2023 10:17 AM IST

Trending Topics


  • Stocks To Watch
  • Share Market Today
  • Tata Motors
  • Iindia-US Strategic Partnership
  • Rupee vs Dollar
  • Covid-19 Updates
  • World Water Day 2023
  • Narendra Modi

सबकी नजर


सेबी ने बरती सख्ती, नियामक के पास AIF आवेदन की भरमार

March 22, 2023 9:46 PM IST

कोरोमंडल इंटरनैशनल करेगी 1,000 करोड़ रुपये का निवेश

March 22, 2023 9:43 PM IST

बंधुता, समृद्धि और ध्रुवीकरण

March 22, 2023 9:09 PM IST

मजबूत वित्तीय सेवा कंपनी बनने पर रहेगा जोर, REL चेयरमैन ने बताया क्या है विकास की योजना

March 22, 2023 9:02 PM IST

IFC करेगा Mahindra की नई कंपनी में 600 करोड़ रुपये निवेश

March 22, 2023 8:45 PM IST

Latest News


  • सेबी ने बरती सख्ती, नियामक के पास AIF आवेदन की भरमार
    by खुशबू तिवारी
    March 22, 2023
  • कोरोमंडल इंटरनैशनल करेगी 1,000 करोड़ रुपये का निवेश
    by बीएस संवाददाता
    March 22, 2023
  • बंधुता, समृद्धि और ध्रुवीकरण
    by रथिन रॉय
    March 22, 2023
  • मजबूत वित्तीय सेवा कंपनी बनने पर रहेगा जोर, REL चेयरमैन ने बताया क्या है विकास की योजना
    by मनोजित साहा
    March 22, 2023
  • IFC करेगा Mahindra की नई कंपनी में 600 करोड़ रुपये निवेश
    by सोहिनी दास
    March 22, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
58214.59 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स58215
1400.24%
निफ्टी58215
1400%
सीएनएक्स 50014460
490.34%
रुपया-डॉलर82.55
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Fine Organic4418.708.58
One 97624.556.87
Brightcom Group20.266.18
360 ONE426.656.15
Uflex368.155.96
Emami365.955.89
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Fine Organic4406.308.26
One 97624.056.88
360 ONE428.706.79
Brightcom Group20.256.30
Emami366.306.17
Uflex367.305.80
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks To WatchShare Market TodayTata MotorsIindia-US Strategic PartnershipRupee vs DollarCovid-19 UpdatesWorld Water Day 2023Narendra Modi
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us