जी न्यूज जल्द ही उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में न्यूज चैनल शुरू करने जा रहा है। जी न्यूज, न्यूज चैनल के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के सामान्य मनोरंजन चैनल भी चला रहा है।
जी न्यूज के सीईओ वरुण दास कहते हैं, ‘यूपी न्यूज चैनल की शुरुआत करना बेहद खास है। चैनल पर अगले विधान सभा चुनावों की बड़े स्तर पर कवरेज की जाएगी। इसमें उत्तराखंड को भी शामिल करने से यह बाजार के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। कुल मिलाकर राज्य में विज्ञापन के लिहाज से भी खासी संभावनाएं हैं।’
यूपी न्यूज चैनल से पहले तेलुगू भाषा में 24 घंटे का न्यूज चैनल शुरू किया जाएगा। फिलहाल जी न्यूज, बांग्ला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तेलुगू और कन्नड़ भाषाओं में मनोरंजन चैनल भी चला रहा है। हाल ही में इसने तमिल भाषा में भी सामान्य मनोरंजन चैनल शुरू किया है।
क्षेत्रीय भाषाओं में जी न्यूज 24 तास (मराठी), जी तेलुगू और 24 घंटा (बांग्ला) नाम से तीन चैनल चला रहा है। मीडिया कंपनियों पर अपनी ताजा रिपोर्ट में इन्वेस्टमेंट फर्म एडलवाइस का जी न्यूज के बारे में यह कहना है, ‘क्षेत्रीय भाषाओं के मामले में जी न्यूज की पैठ काफी गहरी है और महाराष्ट्र, बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में जहां काफी विज्ञापन मिलते हैं, जी न्यूज ही सबसे आगे है।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश मे भी इसने तेजी से अपना बाजार बढ़ाया है जबकि तमिल भाषा में इसने हाल ही में जी तमिल नाम से सफलतापूर्वक चैनल लॉन्च किया है।’ इस बात को लेकर आश्चर्य नहीं होना चहिए कि दास अपना सारा जोर न्यूज चैनल का पोर्टफोलियो बढ़ाने में लगे हैं।
उनको लगता है कि क्षेत्रीय भाषाओं में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। वह कहते हैं, ‘न्यूज में कंटेंट बहुत मायने रखता है क्षेत्रीय भाषाओं में 70 फीसदी कंटेंट स्थानीय स्तर का ही होता है। इस लिहाज से हर प्रदेश के लिए एक न्यूज चैनल की गुंजाइश बनती है। किसी प्रदेश में इस लिहाज से मौजूद कारोबारी संभावनाएं अहम भूमिका अदा कर सकती हैं।’
न्यूज चैनल कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए जी न्यूज अलग-अलग तरह के कारोबारी मॉडलों को अपना रहा है। कुछ चैनल तो यह अकेले अपने दम पर ही लॉन्च कर रहा है तो कुछ चैनल साझे में शुरू कर रहा है। उदाहरण के तौर पर कंपनी ने छत्तीसगढ़ में जी 24 घंटे नाम से जो चैनल लॉन्च किया है उसके लिए इसने एक स्थानीय कारोबारी से हाथ मिलाया है।
दास कहते हैं, ‘फ्रेंचाइजी मॉडल उन्हीं जगहों पर आजमाया जा रहा है जहां रिटर्न के लिहाज से इक्विटी भागीदारी सही विकल्प नजर नहीं आ रहा है।’ जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ की ही बात करें तो चैनल को एक स्थानीय कारोबारी ने लॉन्च किया है और जी न्यूज ने अपने ब्रांड नाम का इस्तेमाल करने के लिए बाकायदा एक तय राशि ली है।
इसके अलावा चैनल को स्थापित करने के बदले में भी कंसल्टेंसी फी ली है। दास कहते हैं, ‘हम अपने ब्रांड को भुना रहे हैं। कम होते मुनाफे के चलते हमारे लिए यह बढ़िया कदम है। जी न्यूज पर राष्ट्रीय स्तर पर लिए जाने वाले विज्ञापनों में भी कमीशन होता है।’
कंपनी ने ऐसे ही अपना ब्रांड नाम इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी है बल्कि संपादकीय नियंत्रण और समाचार चयन के लिए अपना संपादक नियुक्त किया है। एक निजी न्यूज ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट संजय सलिल का मानना है, ‘अगर जी जैसी कंजर्वेटिव कंपनी फ्रेंचाइजी मॉडल अपना रही है तो इसकी अहमियत समझी जा सकती है।
इसी तरह से क्षेत्रीय समाचार चैनलों का बाजार बढ़ेगा। सलिल का मानना है कि फ्रेंचाइजी मॉडल जी न्यूज ब्रांड के लिए फायदेमंद रहेगा और चैनल बिना किसी निवेश के एक नया चैनल भी खोल लेगा। अब सवाल यह उठता है कि जी न्यूज आखिर क्यों क्षेत्रीय भाषाओं के बाजार पर इतना जोर दे रहा है। दरअसल, पिछले कुछ वक्त में इस बाजार में बहुत तेजी आई है।
टेलीविजन दर्शकों में 44 फीसदी क्षेत्रीय भाषाओं के हैं और टीवी विज्ञापनों के बाजार में 37 फीसदी हिस्सेदारी भी इनकी ही है। यह क्षेत्र सबसे तेजी से उभर रहा है, ऐसे में जी क्या कोई भी इसको नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है। हाल ही में जी न्यूज ने स्काई बी (बांग्ला) प्राइवेट लिमिटेड में भी 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है।
यह कंपनी बांग्ला भाषा में सामान्य मनोरंजन चैनल आकाश बांग्ला का संचालन करती है। इसकी भी वजह है। देश भर में जितने भी टेलीविजन दर्शक हैं उसके 19 फीसदी पूर्वी भारत में हैं जिसमें बंगाल ही सबसे अहम बाजार है।
दास कहते हैं, ‘बांग्ला भाषा में न्यूज और मनोरंजन दोनों तरह के चैनलों का तेजी से विस्तार हो रहा है। अब लोग अपनी भाषा में ही टीवी देखना चाहते हैं। आकाश बांग्ला में हिस्सेदारी के साथ ही बांग्ला बाजार में आने वाले दिनों में तकरीबन 70 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हम सबसे आगे होंगे।’ अधिग्रहण के लिहाज से वह इस मंदी के माहौल को अपने माकूल मान रहे हैं।
