पहले के छात्र क्लासरूम में पढ़ाई करते थे लेकिन अब नए जमाने के मुताबिक क्लासरूम का रूप भी बदल गया है।
जी हां! अब छात्रों के लिए कई चैनलों के जरिए पढ़ाई करने का विकल्प मुहैया कराया जा रहा है। आजकल दूर दराज के इलाके के छात्र भी बड़े संस्थानों के प्रोफेसर से पढ़ने की हसरत को पूरी कर सकते हैं।
अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए शिक्षा को सब तक सुलभ बनाने के लिए कुछ कंपनियां काम कर रही हैं ताकि इसे भी एक मुनाफा देने वाले कारोबार का रूप दिया जाए। ऐसी पहल करने में टाटा कम्युनिकेशन शिक्षकों को ऑनलाइन टयूशन की सुविधा मुहैया करा रही है।
टाटा कम्युनिकेशन के प्रमुख (कंटेट बिजनेस) मुकुल सूद का कहना है, ‘फिलहाल हम कॉरपोरेट सेक्टर के ग्राहकों और टाटा ग्रुप के इंस्टीटयूट के लिए ट्रेनिंग मुहैया करा रहे हैं। हमारी कोशिश यह है कि हम ऑनलाइन टयूशन के लिए शिक्षकों को अपनी इस योजना में शामिल करें।
हम खासतौर पर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए ऑनलाइन कोचिंग की व्यवस्था कराना चाहते हैं क्योंकि भारत में इसका बड़ा बाजार है।’ कंपनी का इरादा इस तरह की कोचिंग के लिए आईटी प्लेटफॉर्म मुहैया कराना है जहां हर दो घंटे की क्लास लेने के लिए शिक्षकों को 1,500 रुपये देने होंगे।
सूद का कहना है, ‘जो शिक्षक ऐसी ऑनलाइन टयूशन के लिए काम करेंगे उन्हें टाटा कम्युनिकेशन के ब्रॉडबैंड कनेक्शन का इस्तेमाल करके ही ऑनलाइन के जरिए छात्रों को पढ़ाना होगा।’ टाटा कम्युनिकेशन शिक्षकों का सहयोग करने के लिए छात्रों से फीस वसूलेगी।
सीएलएसए एशिया पैसिफिक मार्केट रिपोर्ट के मुताबिक ई लर्निंग मार्केट देश में फिलहाल 145 करोड़ रुपये का है और साल 2012 तक 1,100 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। ऑनलाइन कोर्स की फीस आमतौर पर कॉलेज या कोचिंग की पढ़ाई पर लगने वाली फीस क ा दसवां हिस्सा होती है। दुनियाभर के बाजार में ऑनलाइन टयूशन का मार्केट लगभग 46,800 करोड़ रुपये है।
भारत में हर साल 60 करोड रुपये ऑनलाइन टयूशन से कमाई होती है। सीएलएसए रिपोर्ट के मुताबिक भारत को दुनिया के ऑनलाइन टयूशन के मार्केट का 10 फीसदी हिस्सा मिलता है। चेन्नई की एक बड़ी शिक्षण और प्रशिक्षण कंपनी एवरॉन सिस्टम्स इंडिया ने भारतीय प्रबंधन संस्थान-इंदौर के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वीसैट तकनीक के जरिए मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई कराई जाएगी।
एनआईआईटी इंपेरिया भी प्रबंधन संस्थानों के शिक्षकों के साथ वर्चुअल क्लासरूम की व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है। यह कंपनी भी सितबंर 2008 से देश के बड़े संस्थान मसलन आईआईएम कोलकाता, आईआईएम लखनऊ और आईआईएम इंदौर के साथ मिलकर ऑनलाइन प्रबंधन पाठयक्रमों को मुहैया कराने की कोशिश में जुटी है।
पिछले 18 महीनों में एनआईआईटी इंपेरिया में 2,500 पेशेवरों ने पढ़ाई की है। ग्रेसेल 18, नेटवर्क 18 और एजुकॉम्प का एक संयुक्त उद्यम है। इसने पिछले महीने टॉपर टीवी लॉन्च किया है जो एक इंटरएक्टिव एजुकेशन सर्विस है। टॉपर टीवी सालाना 1,000 रुपये के शुल्क के साथ डीटीएच टेलीविजन सेवा पर उपलब्ध है।
अब तक लगभग 40,000 छात्रों ने इसके वेबसाइट के लिए पंजीकरण कराया है। ऐप्टेक के पास भी कंप्यूटर ट्रेनिंग और वेब आधारित ट्रेनिंग के लिए कंटेट तैयार करने का लंबा अनुभव रहा है। ऐप्टेक भी कई तरह के फॉर्मेट में इंटरनेट और कंप्यूटर के जरिए कॉरपोरेट ट्रेनिंग ऑफर कर रही है।
अगर कोई कंपनी एक कोर्स को 2 लाख रुपये में खरीदती है तो वह इसका इस्तेमाल 300 लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए कर सकती है। एमिटी यूनिवर्सिटी भी जल्द ही दिल्ली में यूथ टीवी लॉन्च करने वाला है।