जिस इमारत के साथ मेरा बहुत जुड़ाव रहा है, उसको गिराया जा चुका है। चार अक्षरों के जाने-पहचाने लोगो को बदलकर नया कर दिया गया है।
मेरे जैसे कई लोगों की निजी डायरी का अहम हिस्सा रही इमारत को मजदूरों ने नई शक्ल दे दी है। एक वक्त में जिस कार का यहां स्वागत किया जाता था, अब उसी को गार्ड बाहर रोक देता है। मुझे खयाल आया कि इस कारोबारी परिसर का चक्कर लगाकर किसी पुराने अनुभव के बारे में बताना चाहिए।
दुखी होते हुए मैंने अपने सहयोगी से कार में लौटकर वापस चलने को कहा। मुझे नहीं लगता कि मैं फिएट के कुर्ला वाले प्लांट में फिर कभी दोबारा आ पाऊंगा। विज्ञापन जगत में बिताए अपने उन दिनों की मेरी यादें ताजा हो गईं जब मैं फिएट का काम देखा करता था। जिसके लिए मुझे अक्सर देर शाम तक मीटिंग में रहना पड़ता था। रिमोट केबिन से लेकर मुख्य इमारत तक मेरे खूब चक्कर लगा करते थे।
यहां तक कि मैं इतना अभ्यस्त हो चुका था कि आंखें बंद करके मैं इसकी सीढ़ियां चढ़ सकता था। एक मोटोरिंग पत्रकार के तौर पर मैंने फिएट की फैक्टरी में बहुत वक्त बिताया है। चाहे बात किसी नई कार की टेस्ट ड्राइव की हो या फिर किसी टेस्ट ड्राइव के बाद कार को वापस करने की बात हो, किसी मीटिंग में शामिल होना हो या फिर किसी नए मॉडल की लॉन्चिंग का मौका हो, मेरा अच्छा खासा वक्त इस फैक्टरी में बीता है। क्या किसी ऑटो कंपनी की उत्पादन इकाई किसी मेट्रो शहर के बीचों बीच हो सकती है।
हम आने वाली पीढ़ी को यह जरूर बता सकते हैं कि हां इस तरह की एक फैक्टरी मुंबई शहर के बीचों बीच हुआ करती थीं। मेरा उत्साह ढीला पड़ चुका था और मुझे स्थिति उतनी सही भी नहीं लग रही थी। मैंने पुरानी फैक्टरी से नई फैक्टरी के बीच फिएट-500 को चलाने का फैसला किया। इटली की कार निर्माता इस कंपनी ने वैश्विक स्तर पर अपने अंदर जो परिवर्तन जाए हैं, उन पर नजर डालने का भी यह बढ़िया तरीका था। और जो कार मैं चला रहा था, वह बढ़िया उदाहरण भी पेश कर रही थी।
फिएट-500 कोई साधारण कार नहीं है, यह कम फैशनेबल, पुराने रूप-रंग वाली कार है। सही मायनों में यह शानदार कार है और फिएट की शानदार परंपरा के एकदम मुफीद बैठती है। इस कार निर्माता कंपनी ने इस कार को बनाने के लिए बहुत संसाधन झोंके हैं और उसका कोई भी प्रयास जाया होता नहीं दिख रहा है। एक तरह से इसके जरिये फिएट का पुनर्जन्म ही हुआ है। मैंने गियर बदला और हाइवे की ओर मुखातिब हुआ जहां पर फिएट की नई फैक्टरी लगाई गई है। रंजनगांव नाम की यह जगह पुणे के करीब है।
मुंबई की सड़कों पर जब यह छोटी कार दौड़ रही थी तब लोगों की नजरें इस पर इनायत हो रही थीं तो दूसरी गाड़ियां भी इसके सामने सुस्त पड़ती दिखाई दे रही थीं। इनमें से बहुत सारे लोगों को इसके किवंदती बन चुके 50 साल पुराने मॉडल के बारे में जानकारी भी नहीं होगी, जिसका भी इटली में पुनरुद्धार का काम हो चुका है। भारत में नैनो ठीक इसी तरह की उम्मीद लगाए बैठी है। नई 500 पुराने मॉडल से आकार में बड़ी है। इसका डिजाइन 1957 की न्यूओवा-500 से बहुत अलग और शानदार तरीके से किया गया है। इसको देखना शानदार अनुभव है, और मुझे यह बात कचोटे जा रही है कि कार के अंदर बैठकर मैं यह नहीं देख पा रहा हूं कि सड़क पर यह कैसी नजर आ रही है?
फिएट के सामने नये मॉडल को हर तरह से बेहतर बनाने की चुनौती थी। इसमें डिजाइन, सुरक्षा और उत्सर्जन जैसे बिंदु प्रमुख हैं। इसमें चमत्कारिक बात यह है कि कंपनी इन सभी चुनौतियों से निपटने में कामयाब रही है, पर कैसे? इसका बोनट इस मामले में बेहतरीन नमूना हो सकता है। यह 500 के पुराने मॉडल की याद तो दिलाता है लेकिन इंजन को थोड़ी तंग जगह में फिट किया गया है, और यह फिएट की शानदार ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की समझ को भी दिखाता है।
पुराने मॉडल की खामियों को इस मॉडल में दुरुस्त किया गया है। इस कार में डीजल इंजन का लगना भी कम आश्चर्यजनक नहीं है। इसमें फिएट स्टाइल सेंटर का उतना योगदान नहीं है जितना पहले चरण में ऑयल बर्नर बनाने वाले इंजीनियरों का है। इसमें वही मोटर है जो फिलहाल पालियो, स्विफ्ट और डिजायर में काम कर रही है और जल्द ही टाटा, सुजूकी और फिएट की कारों में नजर आएगी। सही मायनों में अवॉर्ड प्राप्त 1.3 मल्टीजेट मोटर छोटे आकार की इंजीनियरिंग को सही ताकत देता है।
इसका 4 सिलिंडर वाला 16 वाल्व वाला 1248 सीसी का इंजन 4000 आरपीएम पर 75 बीएचपी की पावर देता है जबकि इससे 1500 रेव्स पर 14.8 किलोग्राम को टॉर्क मिलता है। इसके पांच गेयर वाले गियरबॉक्स से अगले पहियों को पावर मिलती है। टेस्ट करने पर 500 के 1.3 मल्टीजेट ने 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में 6.1 सेकंड लगाए जबकि 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ने में इसको 14.8 सेकंड का समय लगा और इसने 162.1 किलोमीटर प्रति घंटा की उच्चतम रफ्तार पकड़ने में कामयाबी हासिल की।
इसकी मध्यम रेंज बहुत बढ़िया है, यह 80 किलोमीटर प्रति घंटा से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की गति पकड़ने में महज 11.9 सेकंड का समय लेती है। इसकी सारी टाइमिंग बराबर क्षमता वाली पालियो डीजल से बेहतर हैं। इसका पुरान मॉडल भी बहुत खास था और यह भी किसी मायने में कम नहीं और एक क्लासिक कार बनने की कई खूबियां इसमें मौजूद हैं। लेकिन यह पहले के फिएट के मुकाबले थोड़ा दूसरी तरह का है। मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर ड्राइविंग करते हुए आपको यह अहसास भी नहीं होगा कि गाड़ी का हिस्सा आगे के हिस्से में है।
इस कार का डीजल इंजन गाड़ी के अंदर इतने बेहतर तरीके से काम करता है कि आप पुराने डीजल इंजन के शोर को हमेशा के लिए भूल जाएंगे। इस कार के इंजन की यही खूबी है कि इससे ज्यादा शोर नहीं होता है। कोई भी इस कार को आसानी से चला सकता है। फिएट 500 कार का दिलचस्प पहलू यह है कि जब आप इसे ड्राइव करेंगे तब आपको यह मालूम होगा कि यह कितना बेहतरीन है। यह कार 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और अपनी यह गति पूरे दिन भी बनाए रख सकती है।
रंजनगांव के चार लेन वाली हाइवे यानी अच्छी सड़क पर इस गाड़ी का प्रदर्शन बेहतरीन होता है। इसके अलावा यह गाड़ी मुश्किल से सड़कों पर भी आसानी से चलती है। यह कार 80 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार में भी खराब सड़कों पर भी आसानी से घूम जाती है। इसके इंजन का टॉर्क बैंड भी चपटा होता है। अगर आप गाड़ी की रफ्तार को 1500 और 3500 आरपीएम पर भी चलाएं तो इसका गियर बहुत आसानी से काम करता है। आप चाहे किसी हाइवे पर काम कर रहे हों या फिर किसी खराब सड़क पर आपको कोई परेशानी नहीं होती। इसके इंजन की यही खास खूबी है।
इस कार का फाइव स्पीड गियर बॉक्स बहुत आसानी से घूमता है और इसी वजह से गाड़ी खराब सड़क पर भी गाड़ी तेज दौड़ती है। रंजनगांव के रास्ते से गुजरते वक्त मैं फिएट क्लासिक कार क्लब ऑफ इंडिया के सदस्यों से मिलने पुणे चला गया। हम यह कह सकते हैं कि इन्हीं लोगों ने इस कार के लिए भारत में उम्मीदें कायम रखीं हैं। ये सभी फिएट के इस कदर दीवाने हैं कि अगर इनकी पत्नी या प्रेमिका इजाजात दे दें तो वे अपने पूरे शरीर पर फिएट ब्रांड का टैटू लगा लें।
एक दिन की सूचना देने पर ही उन लोगों ने अलग-अलग समय की 8 फिएट इस नई फिएट 500 के साथ पेश कर दी। पूरे सप्ताह के दिनों में वे लोग ऑफिस और अपने काम को छोड़ कर भी गाड़ी के बारे में बात करते रहते हैं। क्लब के सदस्य कार पर बेमतलब की बहस करते रहते हैं और मजाक भी करते रहते हैं कि फिएट का एक्सचेंज भी किया जा सकता है। अगर फिएट को चाहने वाले पुराने आशिक इस फिएट 500 को पसंद करते हैं तो मेरे ख्याल से यह कार पुरानी कारों के मुकाबले ज्यादा पसंद की जाएगी।
कार को बेहतरीन लुक देने के साथ-साथ इसकी स्पीड भी अच्छी है जिसकी वजह से पुणे के भीड़भाड़ वाले इलाके जहां ज्यादा ट्रैफिक होता है, वहां भी कार बड़ी आसानी से चलती है। इस नई कार के डैशबोर्ड पर एक काला बटन है जो स्टीयरिंग को थोड़ा कड़ा बनाए रखता है। ड्राइविंग करते वक्त अगर रास्ता बेहतर हो या हाइवे हो तो आप इसके बटन को थोड़ा ढीला छोड़कर ड्राइविंग कर सकते हैं। इसकी यही खूबी भी है और मैं यह उम्मीद करता हूं कि भारत में बीएमडब्ल्यू में भी यही खासियत है।
मैं अपने अनुभव के लिए इसके स्टीयरिंग पर अपनी आजमाइश करना चाहता हूं। इसी वजह से मैंने इसको सिटी मोड पर नहीं रखा जबकि गाड़ी पुणे की सड़कों पर चलने वाली कई तरह की गाड़ियों के बीच से बड़ी आसानी से अपना रास्ता बना ले रही थी। गाड़ी के स्टियरिंग पर अपनी आजमाइश के बाद मुझे यह पता चला कि इसमें वे खूबियां उतनी नहीं है जिसका मैं दीवाना हुआ करता हूं।इस कार के साथ इसके पेडल की जगह को लेकर भी दिक्कतें हैं। इसका पेडल काफी ऊंचा है इसीलिए अगर आपने 100 किलोमीटर तक की ड्राइविंग की है तो आपको अपने पैरों को थोड़ा आराम देने की जरूरत होगी।
शाम के समय में जब मैंने कार की लाइट जलाई तो इसके इंस्ट्रूमेंट पैनल की खूबसूरती ने मुझे मोहित कर दिया। इस कार का डैशबोर्ड पर प्लास्टिक पेंट किया गया है। लेकिन इसका डिजाइन इस तरह किया गया है कि ऐसा लगता है कि पहले वाले कार की तरह ही मेटल पेंट किया गया। इस कार में लगे हुए इंस्ट्रूमेंट से ही इस कार में की गई मेहनत नजर आती है। इसके जरिए आप सारी सूचनाएं भी पा सकते है। बस इसके एक बटन को छूते ही इसमें लगे हुए ट्रिप कंप्यूटर के डिजीटल डिस्प्ले के जरिए आपके सामने इतने आंकड़े आ जाएंगे जिनकी आपको कभी जरूरत ही नहीं पडेग़ी।
हम लोगों ने एक बार फिर रंजनगांव की ओर अपना सफर शुरू किया। यह फिएट की नई कार 500 चार लेन वाली हाइवे की टै्रफिक पर बहुत आसानी से चलती है। मैंने अपने इंजन को चालू रखा और सड़क पर बहुत धीमे चलते हुए ट्रक और दूसरी गाड़ियों के बीच से अपना रास्ता बनाता चला गया। पुरानी फिएट की सवारी करने का अपना ही मजा है। मुझे इस कार के बारे में यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि यही अंदाज इस नई फिएट में भी मौजूद है। इस कार के अगले हिस्से में स्वतंत्र मैकफर्सन सेटअप की वजह से गाड़ी में ड्राइविंग और भी बेहतर तरीके से होती है।
गाड़ी के पिछले हिस्से में टॉरसन एक्सेल लगे होने की वजह से गाड़ी खराब रास्ते पर भी आसानी से चलती है। गाड़ी कई किमी का सफर बेहद आसानी से तय करती है। हम जल्द ही नए फिएट प्लांट के पास पहुंच गए जहां काम बहुत आसानी से चल रहा था। इस प्लांट में लिनियाज और ग्रैंड पूंटोज बनाया जाएगा लेकिन यहां फिएट 500 नहीं बनाई जाएगी बल्कि यह पूरी तरह से आयात की जाएगी। फिएट 500 लगभग 15 लाख रुपये में उपलब्ध है। देश में फिएट की ये नई कार केवल छह डीलरशिप स्टोर्स में ही मिलेगी।