वेंचर कैपिटल यानी उपक्रम पूंजी कंपनियों की नजर अब मोबाइल क्षेत्र पर जा टिकी है। ये कंपनियां निवेश अवसरों की तलाश के लिए मोबाइल विज्ञापन क्षेत्र को खंगाल रही हैं।
वेंचर कैपिटल कंपनी क्लियरस्टोन वेंचर्स पार्टनर्स मोबाइल विज्ञापन में निवेश की संभावनाएं तलाश रही है। क्लियरस्टोन ने इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब के परिपक्व हो जाने से पैदा हुए अवसरों में निवेश की संभावना टटोलनी शुरू कर दी है।
कंपनी ने निवेश के लिए 65 करोड़ डॉलर की पूंजी निर्धारित की है। क्लियरस्टोन 2006 से ही भारत में निवेश करती रही है। यह कंपनी दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, गेमिंग, मीडिया एवं मनोरंजन और बिजनेस एवं कंज्यूमर सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है।
क्लियरस्टोन में वेंचर पार्टनर राजन मेहता कहते हैं, ‘हालांकि अभी हमने इस क्षेत्र में निवेश शुरू नहीं किया है, लेकिन हम कई इच्छुक कंपनियों से बातचीत की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। हम निवेश की अपनी स्थिति के अनुरूप निवेश के प्रतिफल (आरओआई) मान कर चल रहे हैं। मिसाल के तौर पर हमारा प्रतिफल उद्देश्य 25 फीसदी से अधिक रहा है।’
दूरसंचार कंपनियों ने पिछले कुछ वर्षों में स्पैम एसएमएस चैनल पर ध्यान केंद्रित किया है जिसमें उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। इससे उपभोक्ताओं के मन में एसएमएस स्पैम के प्रति उदासीनता घर कर गई है।
8 फंडों में 3 अरब डॉलर की पूंजी वाली बैटरी वेंचर्स का मानना है कि मोबाइल, मुख्यत: एसएमएस के जरिये, प्रासंगिक विपणन में अवसर मौजूद हैं। बैटरी वेंचर्स के पार्टनर गौतम पटेल कहते हैं, ‘यदि आप ज्यादा विकसित बाजारों बनाम भारत में प्रत्यक्ष मार्केटिंग डाटा की तुलना करते हैं तो पता चलता है कि भारतीय बाजार प्रत्यक्ष मार्केटिंग में प्रमुखता से जुड़ा हुआ है।
हालांकि संदर्भ आधारित प्रत्यक्ष मार्केटिंग इस अवसर को प्रभावी तरीके से भुनाएगा। हम डायरेक्ट मार्केटिंग यानी प्रत्यक्ष विपणन पर गंभीरता से संभावना तलाश रहे हैं। हम अगले एक साल में इस क्षेत्र में कुछ निवेश करने की योजना बना रहे हैं।’
अमेरिका में कुल मार्केटिंग खर्च में डायरेक्ट मार्केटिंग की भागीदारी 50:50 की है जिसमें कुल मार्केटिंग खर्च में भारत का योगदान सिर्फ 10 फीसदी है। भारतीय विज्ञापन खर्च 4 अरब डॉलर है वहीं प्रिंट और टीवी की भागीदारी 70 फीसदी है।
उनका मानना है कि इंटरनेट और मोबाइल विज्ञापन खर्च अगले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ रही श्रेणियों में दो प्रमुख श्रेणियां होंगी। भारत में मोबाइल विज्ञापन का 40 करोड़ रुपये का बाजार है और 2012 तक इसके बढ़ कर 500 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लेने की संभावना है।
मोबाइल विज्ञापन के विकास की कहानी यहीं समाप्त नहीं हो जाती है। इस क्षेत्र में डिजिटल मार्केटिंग कंपनियां भी इस क्षेत्र में कूदने की तैयारी कर रही हैं। हैदराबाद की ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी वाईब्रेंट डिजिटल 10 करोड़ डॉलर की रकम में अमेरिका में कंटेंट-आधारित मोबाइल विज्ञापन फर्म के अधिग्रहण की कोशिश कर रही है।
कंपनी इस अधिग्रहण के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर के करीब पहुंच गई है और इस वित्तीय वर्ष में कभी भी इस समझौते पर मुहर लग जाने की संभावना है। कंपनी ऋण और इक्विटी के जरिये इस अमेरिकी फर्म के अधिग्रहण के लिए रकम की व्यवस्था करेगी।