जून 2023 में समाप्त तिमाही में देश की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के नतीजे मोटे तौर पर अनुमानों के अनुरूप ही रहे हैं। हालांकि अधिकांश मामलों में प्रबंधन की ओर से एक खास किस्म की सतर्कता दिखाई जा रही है और कंपनियां यह स्वीकार कर रही हैं कि वृहद आर्थिक माहौल खराब हो रहा है जो मांग को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर अभी भी ऊंची बनी हुई है और तमाम बड़ी कंपनियों में यह 20 फीसदी से अधिक है। दूसरी तिमाही में सुधार के बावजूद वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में परिचालन मार्जिन के मोटे तौर पर स्थिर रहने की संभावना है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के बावजूद राजस्व को लेकर भावी अनुमान में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। आई टी क्षेत्र की कई कंपनियां राजस्व और परिचालन मार्जिन के अनुमानों को जुलाई-अगस्त में घोषित पहली तिमाही के नतीजों में जताए अनुमानों की तुलना में कम कर रही हैं या मध्यम स्तर पर रख रही हैं।
उजले पहलू की बात करें तो आई टी क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां मानती हैं नौकरी छोड़ने की दर स्थिर है और 2022-23 की दूसरी छमाही में इसमें और सुधार होगा। ऐसा आंशिक तौर पर स्टार्टअप जगत में आई स्थिरता की वजह से हुआ है क्योंकि यह क्षेत्र कोडिंग करने वालों के लिए काफी उच्च वेतनमान वाले वैकल्पिक रोजगार के अवसर तैयार कर रहा था। बहरहाल उप अनुबंध की लागत अभी भी ऊंची है जिससे लगता है श्रम बाजार में हालात सख्त बने हुए हैं।
दूसरी तिमाही की व्यापक व्याख्या में यह भी कहा जा रहा है कि अब तक आईटी उद्योग की मांग में कोई खास कमी नहीं आई है लेकिन मार्जिन का दबाव बढ़ सकता है। बड़ी आईटी कंपनियों की बात करें तो एचसीएल टेक का अधोसंरचना क्षेत्र में काफी काम है और वह इकलौती कंपनी है जो मजबूत राजस्व वृद्धि या बढ़ते मार्जिन की संभावना जता रही है। अन्य बड़ी कंपनियां या तो पुराने अनुमान बरकरार रखने की बात कर रही हैं या फिर कुछ हद तक मार्जिन के दबाव का जिक्र कर रही हैं।
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो भारतीय आईटी सेवा उद्योग को हमेशा उत्तरी अमेरिकी क्षेत्र में एक उच्च वृद्धि वाले क्षेत्र के रूप में देखा गया है। इसके कुल राजस्व का 65 फीसदी हिस्सा वहीं से आता है। इसे कमजोर रुपये के विरुद्ध भी बचाव के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसमें होने वाली आय ज्यादातर मजबूत विदेशी मुद्रा में होता है जबकि लागत ज्यादातर रुपये में आती है। बहरहाल, फिलहाल डॉलर सभी मुद्राओं की तुलना में मजबूत है और रुपया यूरो तथा पाउंड की तुलना में मजबूत है। ऐसे में यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम से आने वाला राजस्व प्रभावित हो सकता है।
चार बड़ी कंपनियों में विप्रो, टीसीएस और इन्फोसिस ने रुपये में 4-6 फीसदी राजस्व वृद्धि की बात कही है जो मुद्रास्फीति को ध्यान में रखने पर एकदम सपाट नजर आती है। एचसीएल टेक का प्रदर्शन बेहतर रहा है। टीसीएस का प्रदर्शन इनकी तुलना में बेहतर रहा है। हालांकि उसने नए ऑर्डर को लेकर सावधानी बरतते हुए कहा है कि उनका आकार छोटा हो सकता है और उनमें समय लग सकता है।
इन्फोसिस का प्रबंधन लगातार मॉर्गेज और छोटे कारोबारों में कमजोरी की बात करता रहा है। अब दूरसंचार और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र भी इसमें शामिल हैं। विप्रो ने कहा है कि उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ग्राहकों की ओर से कारोबार में मंदी है। हालांकि मीडिया, लाइफ-साइंस और बैंकिंग, वित्तीय तथा बीमा क्षेत्र में अभी भी धीमी ही सही लेकिन सकारात्मक वृद्धि नजर आ रही है।
आईटी क्षेत्र में वृद्धि के रुझान के इतिहास पर नजर डालें तो वह वैश्विक जीडीपी वृद्धि से जुड़ा रहा है। हालांकि ऐसे भी अवसर आए हैं जब ढांचागत बदलाव के समय वृद्धि प्रभावित हुई है। वे रुझान अभी भी प्रभावी हैं लेकिन मुद्रास्फीति और मंदी के हालात में कंपनियां विवेकाधीन व्यय पर अंकुश लगा सकती हैं।