पिछले हफ्ते स्विस बिजनेस स्कूल आईएमडी ने अपनी वर्ल्ड कंपीटिटिवनेस इयरबुक जारी की।
इसमें 55 देशों में भारत को बिजनेस करने के लिहाज से 29वां बेहतरीन देश माना गया। मतलब, पिछले साल की तुलना में इस सूची में भारत दो पायदान नीचे आ गया है। वैसे, इस साल भी पहले तीन स्थानों पर अमेरिका, सिंगापुर और हांगकांग का ही कब्जा है।
वहीं, सबसे निचले पायदान पर है दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और वेनुजुएला। इस रिपोर्ट ने कारोबार करने के लिहाज से थाईलैंड और चेक रिपब्लिक को हमारे मुल्क से ज्यादा अच्छी जगह माना है। इसलिए तो उन्हें हमसे ठीक ऊपर जगह दी गई है। वैसे, इस सूची में स्लोवाक रिपब्लिक और कोरिया को हम से नीचे का दर्जा दिया गया है।
ऐसे वक्त में जब लाख आर्थिक दिक्कतों के बावजूद दुनिया भर के निवेशकों के दिमाग में भारत की विकास गाथा पूरे शबाब पर है, इसे और इस तरह की दूसरी रिपोर्टों को खारिज कर देना बेहद आसान है। 15-20 साल पहले तक भारत का विश्व के निवेश परिदृश्य में जिक्र तक नहीं होता था।
इस दौरान हमारे वतन का न केवल आर्थिक स्तर बदल गया है, बल्कि आज तो हमारी गिनती दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के तौर पर होती है। फिर भी ऐसी रिपोर्टों में हमारी हालत ज्यादा नहीं बदली है। इससे एक सवाल तो जेहन में उठना लाजिमी ही है कि आखिर ऐसी रिपोर्ट या रैकिंग बताना क्या चाहते हैं?
हालांकि, इस तरह की तुलना और ऐसी रिपोर्टों को अनदेखा करना भी ठीक नहीं है। अगर हम ऐसा करते हैं, तो हम अपनी अर्थव्यवस्था की कमजोरियों और ताकतों के बारे में जानने के मौके खो देंगे। इन रिपोर्टों में कुछ समस्याएं तो ऐसी हैं, जो पूरी तरह उभर कर सामने नहीं आई हैं। इनकी वजह से मुल्क को विकास की अपनी तेज रफ्तार को बरकरार रखने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसी ही एक समस्या है बुनियादी ढांचे में निवेश की भारी कमी की, जिसकी वजह से एक दिन विकास रथ का बंटाधार हो सकता है। देश में शिक्षा का स्तर भी काफी चिंता का कारण है। एक बात साफ तौर पर दिखती है कि यहां मिलने वाली शिक्षा का स्तर आगे चलकर विकास रथ की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन जाएगा।
इन्ही वजहों से कोई भी निवेशक, चाहे वह देसी हो या परदेसी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर फैली हुई नकारात्मक सोच को अच्छी तरह से महसूस कर सकता है। इस रिपोर्ट में कुछ अनोखी बातें भी सामने आई हैं। आज जब हम सार्वजनिक सेवाओं को लेकर काफी रोना रोते हैं, रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में सरकारी सेवाओं का स्तर काफी अच्छा है।
हमें अक्सर ऐसी अर्थव्यवस्था के तौर पर देखा जाता है, जिसके बारे में कुछ भी कहना काफी मुश्किल काम है। लेकिन हमें अपनी इस खूबी को अपनी कमजोरियों से सीखने की राह में रोड़ा नहीं बनने देना चाहिए। आखिरकार असली प्रतिस्पध्र्दा तो उसी को कहते हैं, जहां आप अपनी कमजोरियों को भी अपनी ताकत में बदल सकते हैं।