रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की गुरुवार को आयोजित सालाना आम बैठक ने इस बात की पुष्टि कर दी कि समूह दूरसंचार क्षेत्र, संगठित खुदरा और डिजिटल कारोबार पर अपने मौजूदा दबदबे भर से संतुष्ट नहीं है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले इस कारोबारी समूह का लक्ष्य हरित ऊर्जा के क्षेत्र में धमाकेदार प्रवेश करने का है। उधर जियो नेटवर्क भी अपने नए सस्ते स्मार्टफोन के लॉन्च के साथ 20 करोड़ नए ग्राहक अपने साथ जोडऩे की बाट जोह रहा है। इस बीच सऊदी अरामको के मुखिया यासिर अल रुमय्यान (वह सऊदी सॉवरिन वेल्थ फंड पीआईएफ के चेयरमैन भी हैं) को आरआईएल के बोर्ड में शामिल करना यह बताता है कि दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी के साथ आरआईएल के रिश्ते प्रगाढ़ हैं। आरआईएल ने बीपी, गूगल और फेसबुक के साथ भी साझेदारी की है और यह उसी सिलसिले का हिस्सा है।
आरआईएल के कारोबारी क्षेत्रों में बहुत तालमेल नहीं है लेकिन नए क्षेत्रों मसलन दूरसंचार, खुदरा और नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि हासिल करने की रणनीति तार्किक है। केवल पेट्रोकेमिकल जैसे चक्रीय प्रकृति के कारोबार में बने रहने से यह बेहतर है। कंपनी का पेट्रो संबंधी क्षेत्र से होने वाला परिचालन मुनाफा 2020-21 में 26.9 फीसदी घटा क्योंकि मांग में कमी आई और कच्चे माल की लागत बढ़ी। परंतु खुदरा कारोबार और दूरसंचार कारोबार का परिचालन मुनाफा करीब 40 फीसदी बढ़ा। इसने तेल क्षेत्र की कठिनाइयों की पूर्ति कर दी। सऊदी अरामको के साथ साझेदारी ने कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित की है। फिलहाल केजी डी6 से गैस उत्पादन कर रही बीपी के साथ साझेदारी ने भी यह सुनिश्चित किया है। परंतु तेल कारोबार चक्रीय प्रकृति का है और यदि आरआईएल प्रतिबद्धता के मुताबिक 2035 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करना चाहती है तो उसे नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पांव पसारने होंगे।
ऐसे में नए ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश तार्किक है। अन्य तेल कंपनियां भी ऐसा कर रही हैं। कंपनी सोलर पीवी पैनल, हरित हाइड्रोजन, बैटरी और भंडारण के अन्य उपाय तथा ईंधन सेल विकसित करने के लिए चार ‘गीगा फैक्टरी’ बनाएगी। ये सभी अत्यंत उन्नत तकनीक हैं। सन 2030 तक आरआईएल इन क्षेत्रों में 25 फीसदी बाजार हिस्सेदारी पर काबिज हो सकती है। माना जा रहा है कि अगले तीन वर्ष में नवीन ऊर्जा क्षेत्र में 60,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है। कंपनी को इसमें कोई समस्या नहीं आएगी। अकेले जियो का मूल्य इसका पांच गुना तक है और आरआईएल ने गत वित्त वर्ष में 3.2 लाख करोड़ रुपये की नकदी आरक्षित की है। जियो को आने वाले समय में बड़े निवेश की जरूरत नहीं क्योंकि उसने स्पेक्ट्रम हासिल कर लिया है और जरूरी नेटवर्क भी निर्मित कर लिया है। कंपनी का दावा 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं की सेवा की क्षमता का है और यह संयोग नहीं कि गूगल (जो जियो प्लेटफॉर्म में निवेशक भी है) के साथ मिलकर बनाए गए कंपनी के सस्ते स्मार्टफोन की मदद से उन 20 करोड़ ग्राहकों को अपने साथ जोडऩा चाहती है जो 2जी नेटवर्क पर हैं। यदि जियो कम राजस्व वाले इन ग्राहकों को जोड़ लेती है तो दूरसंचार क्षेत्र में उसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी हो जाएगी।
यदि दूरसंचार में यह रणनीति कारगर होती है तो डिजिटलीकरण में होने वाला इजाफा संगठित खुदरा क्षेत्र पर भी असर डालेगा। रिलायंस रिटेल का एक विशिष्ट ऑफलाइन-ऑनलाइन मॉडल है। व्हाट्सऐप-फेसबुक और गूगल के साथ साझेदारी रिलायंस रिटेल को डिजिटल क्षेत्र में मदद पहुंचाएगी। छोटे किराना स्टोरों के साथ साझेदारी पहुंच बढ़ाएगी। आरआईएल बहुत बड़े पैमाने पर काम कर रही है। कंपनी निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी परिशोधन और विपणन कंपनी है। वह सबसे बड़े दूरसंचार नेटवर्क वाली कंपनी और संगठित खुदरा की रसूखदार कंपनी है। यदि नई ऊर्जा नीति भी योजना के मुताबिक रही तो वह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी सबसे आगे होगी। देखना यह होगा कि अंबानी कॉर्पोरेट ढांचे का प्रबंधन कैसे करेंगे।
