सितंबर 2021 में समाप्त हुई तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों ने रिकॉर्ड लाभ कमाया। उनका शुद्ध लाभ 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वेतन और मजदूरी भी 2.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। लेकिन एक ओर वेतन राशि समय के साथ-साथ लगातार बढ़ती रहती है, वहीं दूसरी ओर लाभ की वक्र रेखा अस्थिर रहती है। मजदूरी स्थिर गति से चलती है। सितंबर में समाप्त तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों की रिकॉर्ड वेतन राशि जून में समाप्त तिमाही की तुलना में चार प्रतिशत अधिक थी। पिछली दो तिमाहियों में तिमाही आधार पर वृद्धि लगभग दो प्रतिशत थी, जबकि इससे पहले की तिमाही में यह लगभग पांच प्रतिशत थी। परिणामस्वरूप सितंबर 2020 की एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले वेतन में वृद्धि लगभग 13 प्रतिशत है। मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत थी, इस बात के मद्देनजर यह एक प्रभावशाली विकास दर है। इस बात की संभावना है कि सितंबर 2021 में समाप्त वर्ष में वेतन राशि में लगभग 8.4 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि सूचीबद्ध कंपनियों के बीच वास्तविक वेतन और रोजगार दोनों में ही वृद्धि का परिणाम थी। हालांकि अलग-अलग आंकड़े उपलब्ध नहीं है।
गैर-वित्तीय कंपनियों की वेतन राशि सालाना आधार पर 13.6 प्रतिशत की दर के साथ तेजी से बढ़ी, जबकि वेतन राशि में कुल वृद्धि 12.8 प्रतिशत रही। सालाना आधार पर वित्तीय और गैर-वित्तीय कंपनियों की संबंधित दर वर्ष 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में पलट चुकी है। महामारी की अधिकांश तिमाहियों के दौरान मार्च 2020 से मार्च 2021 तक वित्तीय कंपनियों का वेतन बढ़ गया, जबकि गैर-वित्तीय कंपनियों के वेतन वास्तविक और समग्र हिसाब से भी कम हो गए। वर्ष 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में वित्तीय कंपनियों की वेतन राशि दो अंकों में अच्छे-खासे ढंग से बढ़ी है। गैर-वित्तीय कंपनियों की वेतन राशि हाल की दो तिमाहियों में ज्यादा तेज है, क्योंकि यह उस संकुचन से उबर रही है, जो इसने वर्ष 2020-21 की पहली दो तिमाहियों में झेला था। गैर-वित्तीय कंपनियों के भीतर दो प्रमुख खंड विनिर्माण और गैर-वित्तीय सेवा कंपनियां होते हैं। गैर-वित्तीय कंपनियों में कुल रोजगार के 90 प्रतिशत से अधिक में इनका एकसाथ योगदान रहता है। विनिर्माण कंपनियों की वेतन राशि में जून 2020 की तिमाही के दौरान बहुत तेज संकुचन देखा गया था। यह गंभीर लॉकडाउन वाली तिमाही थी। पिछली तिमाही की तुलना में वेतन 8.4 प्रतिशत तक और एक साल पहले की तिमाही की तुलना में 9.2 प्रतिशत तक सिकुड़ गया था। वास्तविक या मुद्रास्फीति-समायोजित संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र में मजदूरी में सालाना आधार पर 14.8 प्रतिशत की भारी गिरावट थी। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में मजदूरी में वर्ष 2018-19 के मध्य से वृद्धि कमजोर पडऩे लगी थी। वर्ष 2019-20 के मध्य तक, महामारी और उससे जुड़े लॉकडाउन के कारोबार पर असर पडऩे से ठीक पहले विनिर्माण क्षेत्र में मजदूरी में वास्तविक वृद्धि फिसलकर ऋणात्मक क्षेत्र में चली गई थी। सितंबर 2019 की तिमाही में सालाना आधार पर रियल वेजिज 2.8 प्रतिशत तक घट गया फिर दिसंबर 2019 की तिमाही में 3.6 प्रतिशत और मार्च 2020 की तिमाही में 5.3 प्रतिशत घट गया।
महामारी ने विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार की भयानक स्थिति को और भी बदतर बना दिया। सूचीबद्ध विनिर्माण कंपनियों की वास्तविक वेतन लागत वर्ष 2019-20 में 2.7 प्रतिशत तक घट गई। इसके बाद वर्ष 2020-21 के महामारी वाले वर्ष में यह 3.9 प्रतिशत तक और सिकुड़ गई। वर्ष 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में वेतन इन गिरावटों से उबर रहा है। वर्ष 2021-22 की पहली दो तिमाहियों में वास्तविक वेतन में क्रमश: 10.4 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।
विनिर्माण कंपनियों की कुल वेतन राशि सितंबर 2018 में समाप्त तिमाही से लेकर सितंबर 2020 की तिमाही तक दो साल से लगभग 530 अरब रुपये पर स्थिर रही, जो जून 2020 की तिमाही के बीच गिरकर 485 अरब रुपये रह गई। जाहिर है कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में महामारी से पहले और उसके दौरान दोनों ही बार अवश्य ही गिरावट आई थी। दिसंबर 2020 की तिमाही में वेतन राशि बढ़कर 570 अरब रुपये हो गई और सितंबर 2021 की तिमाही में यह 600 अरब रुपये तक पहुंच गई। सूचीबद्ध विनिर्माण कंपनियों की वेतन राशि में इस हालिया परिवर्तन के बावजूद वर्ष 2019 के बाद से वृद्धि प्रति वर्ष लगभग छह प्रतिशत की दर पर सर्वाधिक हल्की रही है। वर्ष 2018 के बाद से यह वृद्धि दर प्रति वर्ष केवल चार प्रतिशत ही बैठती है। दोनों में से किसी भी तरह से सूचीबद्ध निर्माण कंपनियों की वेतन राशि में यह वृद्धि हालिया सुधार के बावजूद वास्तविक या मुद्रास्फीति-समायोजित संदर्भ में ऋणात्मक है।
विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में गैर-वित्तीय सेवा क्षेत्र में वेतन तेजी से बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप गैर-वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों द्वारा दिया जाने वाला वेतन अब विनिर्माण कंपनियों से अधिक हो गया है। वर्ष 2015 तक विनिर्माण क्षेत्र में वेतन गैर-वित्तीय सेवा कंपनियों के मुकाबले ज्यादा था। वर्ष 2016 और 2017 के बीच दोनों समान थे। वर्ष 2018 के बाद से गैर-वित्तीय कंपनियों की वेतन राशि क्रमबद्ध रूप से विनिर्माण कंपनियों के वेतन से अधिक हो चुका है। गैर-वित्तीय सेवा कंपनियों की वेतन राशि सितंबर 2018 की तिमाही में 560 अरब रुपये से बढ़कर सितंबर 2019 की तिमाही में 620 अरब रुपये हो चुकी है और सितंबर 2021 की तिमाही में यह 750 अरब रुपये रही। जून और सितंबर 2019 की महामारी वाली तिमाहियों के दौरान यह गिरावट अपेक्षाकृत कम रही, जो 635 अरब रुपये थी। गैर-वित्तीय सेवा कंपनियों की वेतन राशि में मुद्रास्फीति-समायोजित वृद्धि सितंबर 2019 के बाद से प्रति वर्ष 1.1 प्रतिशत और सितंबर 2018 से प्रति वर्ष 3.7 प्रतिशत की दर पर धनात्मक रही है।
हालांकि गैर-वित्तीय सेवा क्षेत्र में रोजगार इस वैश्विक महामारी से उबर चुका दिखता है, जैसा कि वेतन राशि में परिलक्षित होता है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र के लिए अब भी अपने रोजगार को लगे महामारी से पहले और महामारी के झटकों से उबरना बाकी है।
