अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम-ए) के एक पूर्व छात्र कृष्णा चेपुरी ने उस वक्त इतिहास रच डाला था जब वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी के साथ जुड़ गए थे।
कुछ इसी तरह के कदम उठाते हुए आईएमएम-ए के एक छात्र ने इस साल के फाइनल प्लेसमेंट को छोड़ राजनीति का दामन थामने का फैसला किया है। स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पीजीपी) के अंतिम वर्ष के छात्र श्रीजन पाल सिंह ने संस्थान से मिलने वाले प्लेसमेंट को छोड़ राजनीति में शामिल होने का फैसला किया है।
25 वर्षीय सिंह ने कांग्रेस पार्टी सहित कई राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के साथ जुड़ने की पहल की है और अब वह उन पार्टियों के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
सिंह ने बताया, ‘मैं हमेशा से ही राजनीतिक दलों के साथ काम करने के लिए इच्छुक रहा हूं। मैं राजनीति में सक्रिय रूप से जुड़ना चाहता हूं। छात्र जीवन में भी मैं कई तरीकों से राजनीतिक के साथ जुड़ा रहा हूं। लेकिन अब मेरी दिली तमन्ना है कि मैं पूरी तरह से राजनीति के साथ जुड़ जाऊं। यही वजह है कि मैंने इस साल संस्थान में हुए फाइनल प्लेसमेंट को छोड़ दिया है। मेरे पास प्लेसमेंट के लिए कई ऑफर आए थे। मैं व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी के साथ मिलकर काम करना चाहता हूं।’
राजनीति में प्रवेश करने के लिए सिंह ने कई राजनीतिक दलों की वेबसाइट पर आवेदन भी किया है। हालांकि अब वह अपने सपने को साकार करने के लिए दिल्ली के राजनीति गलियारों में उम्मीद भरी निगाहों से चक्कर लगा रहे हैं।
राजनीति में प्रवेश करने की सिंह की इच्छा को सार्वजनिक नीति समूह (पीपीजी) कोर्स के साथ जोड़ कर देखा जाना चाहिए। पीपीजी कोर्स के साथ सात छात्रों की एक टीम जुड़ी हुई थी, जिसमें सिंह भी शामिल थे। पिछले साल सांसद सीताराम येचुरी, मधुसूदन मिस्त्री और हरिन पाठक जैसे सांसद पीपीजी कोर्स से जुड़े छात्रों की सहायता कर रहे थे, ताकि निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सके।
इस पीपीजी कोर्स के तहत सिंह ने अपने सहपाठी के साथ मिलकर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) प्रणाली का विकास किया था। इस प्रणाली के तहत विभिन्न निर्वाचन-क्षेत्रों में रह रहे नागरिक इंटरैक्टिव आवाज प्रतिक्रिया प्रणाली (आईवीआरएस) के माध्यम से अपने संबंधित सांसदों के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं और उन्हें संबंधित विभागों से शीघ्र प्रतिक्रिया भी मिलता।
सिंह ने कई एनजीओ, जिनमें बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप (बीसीजी) भी शामिल है, के साथ काम किया है। सिंह को उस ग्लोबल एजेंसी की ओर से भी ऑफर मिला था। आईआईएम-ए से पीजीपी की पढ़ाई करने से पहले सिंह ने लखनऊ के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से यांत्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ली थी।
इस साल करीब सात छात्रों ने आईआईएम-ए के फाइनल प्लेसमेंट को छोड़ दिया है, जिनमें श्रीजन भी शामिल है। पीजीपी अंतिम वर्ष के एक छात्र वी कृष्णकांत ने खुद की कैरियर कंसल्टिंग फर्म शुरू करने का फैसला किया है, जहां स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा के लिए छात्रों को कोचिंग दी जाएगी। कृष्णकांत की उम्र 24 साल है।
कृष्णकांत ने बताया, ‘कोचिंग आज के समय में बहुत तेजी से उभरता हुआ बाजार है। मैंने यह महसूस किया है कि छात्र एक ही जगह पर कई तरह की कोचिंग चाहते हैं। मैं उन छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं में सफल होने की कोचिंग दूंगा।’
