कोलकाता की 12.5 बीघा जमीन पर फैला कॉलेज स्ट्रीट मार्केट करीब 1,200 दुकानदारों की रोजी रोटी का सहारा हुआ करता था।
इस 89 साल पुराने बाजार में किताबों, कपड़ों और ग्रॉसरी की दुकानें हैं। पर अब इस बाजार के छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए हालात पहले जैसे खुशहाल नहीं रहे और इन्हें अपने व्यवसाय में करीब 80 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है। वजह है कि इस बाजार पर तैयार किया जा रहा कॉलेज स्ट्रीट मॉल अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
कॉलेज स्ट्रीट मार्केट में वर्णपरिचय नाम का देश का पहला इंटीग्रेटेड बुक मॉल तैयार किया जा रहा है। इस वजह से यहां के 1,200 कारोबारियों को हटाया गया था। इस बात को अब 16 महीने बीत चुके हैं पर अभी तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। कॉलेज स्ट्रीट ट्रेडर्स एसोसिएशन कॉलेज स्ट्रीट मार्केट व्यवसायी समिति के अध्यक्ष बिमल नाग बताते हैं कि कारोबारियों को हर दिन भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें रोजाना की बिक्री में 80 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
जिन व्यवसायियों को कॉलेज स्ट्रीट मार्केट से हटाया गया है, उन पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो उनका कारोबार घाटे में चल रहा है और दूसरी ओर उन्हें जिस नई जगह ले जाया गया है, वहां का वातावरण दूषित होने से न केवल कारोबारियों बल्कि खरीदारों का भी स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। समिति के सदस्यों का कहना है कि कॉलेज स्ट्रीट मार्केट में किसी भी सामान्य दिन हर दुकान पर 5,000 से 10,000 रुपये की बिक्री होती थी। पर अब उनके लिए ये सुहावने दिन नहीं रह गए हैं।
कोलकाता नगर निगम (केएमसी) आश्वासन दे रहा है कि 15 अगस्त, 2008 के पहले कॉलेज स्ट्रीट बाजार को नई शक्लो-सूरत देने का काम पूरा कर लिया जाएगा। पर कारोबारियों को यह आश्वासन कुछ खास प्रभावित नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि इलाके की मरम्मत का काम पिछले 17 महीनों से चल रहा है और निजी डेवलपर अब तक केवल 15 फीसदी काम ही पूरा कर पाए हैं। ऐसे में अगस्त तक वे कैसे पुनरुद्धार का काम पूरा कर पाएंगे।
इस मॉल को तैयार करने में 250 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। फरवरी, 2006 में इसकी आधारशिला रखते समय कहा गया था कि इसका निर्माण 18 महीने में पूरा हो जाएगा, पर जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उसे देखते हुए लगता नहीं कि तय समय में निर्माण पूरा हो पाएगा। कॉलेज स्ट्रीट मार्केट से श्रीलेदर्स, खादिम्स, इंडियन सिल्क हाउस जैसे कुछ नामी ब्रांड कारोबार करते थे। इन्होंने चेतावनी दी है कि अगर निर्माण को लेकर इन्हें अंधेरे में रखा गया तो ये हड़ताल पर चले जाएंगे।
पश्चिम बंगाल ट्रेड एसोसिएशन फेडरेशन के अध्यक्ष महेश सिंघानिया ने बताया कि जब कारोबारी कॉलेज स्ट्रीट मार्केट में थे तो करीब 9,000 लोगों को इससे रोजगार मिला हुआ था। पर विस्थापन के बाद से हालात इतने खराब हो गए हैं और काम इतना मंदा चल रहा है कि कम से कम 3,000 लोगों को हटाना पड़ा है। एसएमबीएस के महासचिव समीर पाल ने बताया कि नए स्थान पर एक तो कारोबारियों का काम ठीक तरीके से नहीं चल पा रहा, फिर भी केएमसी ने किराए में प्रति वर्ग फुट 50 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है।
बंगाल शेल्टर्स के प्रबंध निदेशक समर नाग, जो मॉल के निर्माण कार्य से भी जुड़े हैं, कहते हैं कि उन्होंने कहा था कि परियोजना स्थल पर पूरा कब्जा मिलने के 18 महीनों के अंदर निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। उन्हें दो महीने पहले ही परियोजना स्थल पूरी तरह से खाली कर दिया गया है क्योंकि कारोबारियों के आखिरी दल ने दो महीने पहले ही यह जगह छोड़ी है। मेयर विकास रंजन भट्टाचार्य को नहीं पता कि निर्माण कार्य कहां तक पहुंचा है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस मामले में पूछताछ करूंगा।’
वर्णपरिचय अपने तरीके का एकमात्र और अनोखा बुक मॉल होगा जहां एक ही छत के नीचे हर तरीके की पुस्तकें मिल सकेंगी। इस मॉल को तैयार करने के लिए कलकत्ता नगर निगम और राज्य सरकार ने हाथ मिलाया है और यह उनका संयुक्त उपक्रम होगा। इस मॉल को बनाने का उद्देश्य दुनिया भर के प्रकाशकों, खरीदारों, बुक शॉप मालिकों को एक छत के नीचे लाना है। इस आठ मंजिला मॉल में 20,000 वर्ग फुट क्षेत्र में 1,200 विस्थापित कारोबारियों को भी जगह दी जाएगी।
वर्णपरिचय को बनाते वक्त यह खास खयाल रखा गया है कि पार्किंग के लिए किसी तरह की समस्या न हो, जो कि कॉलेज स्ट्रीट के लिए हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है। इस मॉल का डिजाइन तैयार कर रहे आर्किटेक्ट अतानु चक्रवर्ती कहते हैं कि उन्होंने ऐसी व्यवस्था की है कि मॉल में एक साथ 1,000 कारों को पार्क किया जा सके। अब इस बाजार के छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए हालात पहले जैसे खुशहाल नहीं रहे हैं और इन्हें अपने व्यवसाय में करीब 80 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है। वजह है कि इस बाजार पर तैयार किया जा रहा कॉलेज स्ट्रीट मॉल जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
कॉलेज स्ट्रीट मार्केट में वर्णपरिचय नाम का देश का पहला इंटीग्रेटेड बुक मॉल तैयार किया जा रहा है। इस वजह से यहां के 1,200 कारोबारियों को विस्थापित किया गया था। इस बात को अब 16 महीने बीत चुके हैं पर अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। कॉलेज स्ट्रीट ट्रेडर्स एसोसिएशन कॉलेज स्ट्रीट मार्केट व्यवसायी समिति (सीएसएमबीएस) के अध्यक्ष बिमल नाग बताते हैं कि कारोबारियों को हर दिन भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कारोबारियों को हर दिन की बिक्री में 80 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।